यूपी में शुरू हुई धान की खरीद, जानें सरकार कैसे तय करती है MSP
What is MSP: एमएसपी वह राशि है जिसे सरकार गांरटी के तहत किसानों को देती है. यानी इतना मूल्य तो किसानों को मिलेगा ही. एमएसपी तय करते समय कृषि पर होने वाले खर्च और श्रम को गिना जाता है.
MSP for Farmers: यूपी के कई जिलों में आज से धान की खरीद शुरू हो चुकी है. योगी सरकार ने जिला प्रशासन, कृषि विभाग, मंडी अधिकारियों को धान खरीदने संबंधी सभी निर्देश दिए हुए हैं. योगी सरकार ने धान का समर्थन मूल्य 2300 रुपये व धान ग्रेड ए का 2320 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है. वहीं यूपी में किसानों की ओर से धान बेचे जाने के लिए कुल 4000 क्रय केंद्र तय किए गए हैं. सरकार ने पूर्वांचल में आज से धान की खरीद शुरू की है. लखनऊ, रायबरेली व उन्नाव में भी आज से खरीद शुरू हुई है. हालांकि हरदोई, लखीमपुर खीरी, सीतापुर में एक महीने पहले से सरकार की ओर से धान खरीदा जा रहा है.
खास बात ये है कि किसानों को उनकी फसल की कीमत 48 घंटे के भीतर दे दी जाएगी. कृषि विभाग के मुताबिक धान क्षेत्रफल 61.24 लाख हेक्टेयर है. इस साल धान का उत्पादन 265.54 लाख मीट्रिक टन रहने की उम्मीद है. आइए आपको बताते हैं कि समर्थन मूल्य सरकार की ओर से कैसे तय होता है? आपको बता दें कि समर्थन मूल्य वह राशि है जो सरकार द्वारा किसानों की उपज खरीदने पर उन्हें दी जाती है. यह राशि एक गारंटी राशि है यानी इतना सरकार देगी ही.
समर्थन मूल्य कृषि लागत और मूल्य आयोग की सिफारिशों पर तय होता है. राज्य सरकारें भी इस आयोग की सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए अपने यहां समर्थन मूल्य तय करती हैं. इसमें उत्पादन की लागत, मांग और आपूर्ति, बाजार की कीमतों आदि जैसे विभिन्न कारकों पर विचार किया जाता है. सीएसीपी केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत कार्य करता है. एमएसपी का उद्देश्य किसानों को उनकी उपज के लिए लाभकारी मूल्य तय करना और फसल विविधीकरण को बढ़ावा देना है.
सीएसीपी हर फसल के लिए तीन तरह की लागत का अनुमान लगाता है.
A2: इसमें किसान द्वारा बीज, उर्वरक, कीटनाशक, किराए पर लिए गए मजदूर, पट्टे पर ली गई भूमि, ईंधन, सिंचाई आदि पर खर्च शामिल हैं.
A2+FL: इसमें A2 के साथ-साथ पारिवारिक श्रम का अनुमानित मूल्य भी सम्मिलित होता है.
C2: इसमें A2+FL के अलावा मालिकाना हक वाली जमीन और जमीन के लिए किराया और ब्याज भी शामिल है.
एमएसपी की सिफारिश करते समय ए2+एफएल और सी2 दोनों लागतों पर विचार किया जाता है.
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