Gandhi Gayanti 2024: देश आज राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 155वीं जयंती मना रहा है. गांधी जयंती पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित देश के बड़े नेताओं ने राजघाट स्थित बापू की समाधि स्थल जाकर श्रद्धांजलि दी. इस मौके पर वहां सर्व धर्म प्रार्थना सभा का भी आयोजन किया गया, जिसमें केंद्रीय मंत्रियों सहित बीजेपी के वरिष्ठ नेता भी मौजूद थे. राजघाट ही वो जगह है जहां राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की समाधि बनाई गई थी.


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राजघाट बापू का समाधि स्थल
राजघाट काले पत्थर से बना बापू का स्मारक है. गांधी जी की हत्या के बाद  31 जनवरी, 1948 को इसी जगह पर बापू को अंतिम विदाई दी गई थी. गांधी जी की समाधि को काले पत्थर से बनाया गया है. इसी जगह पर महात्मा गांधी का अंतिम संस्कार किया गया था. इस समाधि के साथ में ही एक अमर ज्योति हमेशा जलती रहती है. इस पर गांधी जी के आखिरी शब्द 'हे राम' भी लिखे हैं.  जो फूलों से सजा रहता है. 


वानू जी भूपा ने किया राजघाट का डिजाइन तैयार
बापू के अंतिम संस्कार के बाद यमुना नदी के तट पर बना ये स्थल काफी समय तक ऐसे ही रहा. कहा जाता है कि देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित नेहरू किसी विदेशी डिजाइनर से इसे तैयार करना चाहते थे लेकिन विपक्ष इसके लिए तैयार नहीं हुआ. इसके बाद 1956 में इसकी जिम्मेदारी वानू जी भूपा को मिली, उन्होंने ही इसका डिजाइन तैयार किया था. उन्होंने इसका डिजाइन सीधा और सरल रखा था. 


नामी हस्तियों ने लगाए परिसर में पेड़
राजघाट देश ही नहीं विदेश के लोगों के लिए शांति, प्रेरणा, और गांधीजी के जीवन दर्शन को समझने का केंद्र है. बापू को श्रद्धांजलि देने आने वाली दुनिया की नामी हस्तियों ने राजघाट में पेड़ लगाए हैं. इसमें क्वीन एलिजाबेथ-2, अमेरिकी राष्ट्रपति आइजनहावर और वियतनाम के बड़े नेता हो-ची-मिन समेत कई बड़े नाम शामिल हैं. 


विशाल संग्राहलय 
राजघाट परिसर में गांधी स्मारक संग्राहलय भी है. जहां गांधी की लिखी पुस्तकों, लेखों के अलावा अन्य चीजों का अनोखा संग्रह है. यहां 35 हजार से ज्यादा पुस्तकें हैं. जिसमें गांधी जी के जीवन से जुड़ी 2 हजार पुस्तिकाओं का संग्रह शामिल है. संग्राहलय में गांधी जी की छड़ी, हत्या के समय पहनी शॉल और धोती जैसी चीजें भी रखी हैं. 


अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में भी मनाई जाती है गांधी जयंती
महात्मा गांधी का जन्म गुजरात के पोरबंदर में दो अक्टूबर 1869 को हुआ था. उनके जन्मदिन को गांधी जयंती के साथ ही अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में भी मनाया जाता है. उन्होंने अंग्रेजी हुकूमत से भारत को आजाद कराने की लड़ाई का नेतृत्व किया था. अहिंसक विरोध का उनका सिखाया सबक आज भी पूरी दुनिया में सम्मान के साथ याद किया जाता है.


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