Pithoragarh: उत्तराखंड में अनेक प्राचीन धार्मिक स्थल हैं, इसलिए इसको देवभूमि भी कहा जाता है.  यहां के पहाड़ी इलाकों में देवी-देवताओं की पूजा की जाती है. हर गांव के अपने अलग इष्टदेव होते हैं. देवभूमि को खास कर मंदिरों के लिए ही जाना जाता है. यहां पर आपको  अनेकों अद्भुत प्राचीन मंदिर देखने को मिलेंगे. लेकिन यहां पर कुछ ऐसे भी मंदिर है जिन को देखकर हर कोई हैरान है. आज हम बात करेंगे एक ऐसे मंदिर की जहां सिर्फ बच्चे ही पूजा करते हैं औऱ बड़े लोगों का जाना यहां पर वर्जित माना जाता है. 


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सफल जीवन और अच्छी शिक्षा के लिए करते है पूजा
यह मंदिर सीमांत जिले पिथौरागढ़ के चीन सीमा के नजदीक दांतू गांव में बना है. इस मंदिर में शिक्षा ग्रहण करने वाले बच्चे ही जा सकते हैं, इस वजह से इसका नाम विद्या मंदिर रखा गया है. यहां आकर बच्चे अपने जीवन में सफल होने के लिए पूजा-अर्चना करते हैं और अच्छी शिक्षा के लिए प्रार्थना करते हैं. इस मंदिर में बच्चों के अलावा कोई भी उम्र के लोग नहीं जाते हैं.


दुर्गम क्षेत्र में रह कर शिक्षा पूरी करना है मुश्किल
इस मंदिर को खास इसकी मान्यता बनाती है, क्योंकि यह मंदिर उत्तराखंड का इकलौता मंदिर है जो सिर्फ बच्चों के लिए बनाया गया है. स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि इस मंदिर में सिर्फ बच्चे ही आकर पूजा करते है क्योंकि इस दुर्गम क्षेत्र में रह कर शिक्षा पूरी करना यहां के विद्यार्थियों के लिए बहुत मुश्किल होता है. ऐसे में विद्या मंदिर में बच्चे अच्छी विद्या प्राप्ति के लिए प्रार्थना करते हैं. ग्रामीण बताते है कि जब वे लोग भी इस स्कूल में पढ़ते थे तो इस मंदिर में रोज प्रार्थना करने आते थे. अब जब उन सबकी शिक्षा पूरी हो गई है तो उन लोगों को इस मंदिर में जाने की इजाजत नहीं है.


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