अजीत/जौनपुर: योगी सरकार के लाख कोशिशों के बाद भी जौनपुर में धर्मांतरण का खेल नहीं रुक रहा है. आए दिन ईसाई मिशनरीज द्वारा छोटे-छोटे गांव और कस्बों में प्रार्थना सभाएं कर हिंदू धर्मावलंबियों को प्रलोभन देकर ईसाई धर्म में परिवर्तन कराया जा रहा है. एक बार फिर धर्मांतरण का मामला सामने आया है. यहां पुलिस की टीम ने छापा मारकर मौके से भारी संख्या में ईसाई धर्म के लोगों को हिरासत में लिया है. पुलिस ने तीन महिला समेत 16 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है. इसके साथ ही विधिक कार्रवाई में जुट गई है.


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क्या है पूरा मामला? 
मामला बदलापुर थाना क्षेत्र के मुरादपुर कोटिला गांव का है. पुलिस के अनुसार, हिंदू संगठन के प्रमोद कुमार शर्मा ने तहरीर दी थी. जिसके मुताबिक, सेंट जेवियर्स स्कूल के प्रबंधक थॉमस जोसेफ के प्रभाव में आकर कुछ महिलाएं व पुरुष अपना धर्म परिवर्तन कर रहे हैं. वे हिंदू धर्म छोड़ ईसाई धर्म अपना रहे हैं. इस सूचना पर पुलिस मुरादपुर कोटिला गांव में पहुंची. मौके से विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन करा रहे 13 पुरुष व 3 महिलाओं को गिरफ्तार किया. सभी के खिलाफ सुसंगत धाराओं मे एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई में जुट गई है. 


क्या बोले क्षेत्राधिकारी बदलापुर? 
इस मामले में जानकारी देते हुए क्षेत्राधिकारी बदलापुर शुभम तोदी ने बताया कि थाने पर सूचना प्राप्त हुई कि ग्राम मुरादपुर कोटिला में कुछ लोगों द्वारा प्रलोभन देकर एक कार्यक्रम आयोजित कर धर्मांतरण कराया जा रहा है. इस सूचना पर पुलिस द्वारा नामजद लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है. 


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2020 से लागू है धर्मांतरण कानून 
नवंबर 2020 में विवाह के लिए धर्मांतरण पर रोक लगाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने धर्म परिवर्तन अध्यादेश लागू किया. अध्यादेश के तहत गैर-कानूनी धर्म परिवर्तन को गैर-जमानती और संज्ञेय अपराध बना दिया गया है. प्रस्तावना के अनुसार, अध्यादेश का उद्देश्य, गलत बयानी, बल, अनुचित प्रभाव, जबर्दस्ती, प्रलोभन या कपटपूर्ण साधनों द्वारा या विवाह द्वारा एक धर्म से दूसरे धर्म में गैर कानूनी धर्म परिवर्तन पर रोक लगाना है. अध्यादेश के तहत, प्रलोभन के आधार पर गैर-कानूनी धर्म परिवर्तन पर प्रतिबंध है. प्रलोभन से तात्पर्य, (1) नगद या वस्तु के रूप में उपहार, परितोषण, सुलभ धन या भौतिक लाभ से है (2) रोजगार, किसी धार्मिक निकाय द्वारा संचालित प्रतिष्ठित विद्यालय में निःशुल्क शिक्षा, या (3) बेहतर जीवन शैली, दैवीय अप्रसाद से है. अध्यादेश के तहत, प्रपीड़न यानी जबर्दस्ती धर्म परिवर्तन को प्रतिबंधि त किया गया है. प्रपीड़न से तात्पर्य मनोवैज्ञानिक दबाव या भौतिक बल प्रयोग द्वारा किसी व्यक्ति को उसकी इच्छा के विरुद्ध कार्य करने के लिए बाध्य करने से है, जिसमें शारीरिक क्षति या धमकी शामिल है. धर्मांतरण, धर्म परिवर्तन या धर्म संपरिवर्तन से तात्पर्य किसी व्यक्ति द्वारा अपने धर्म को छोड़कर अन्य धर्म को ग्रहण करने से है.
अध्यादेश के अनुसार, धर्म परिवर्तन के संबंध में पीड़ित, उसके माता-पिता, भाई, बहन या ऐसा कोई व्यक्ति, जो उससे रक्त, विवाह या दत्तक ग्रहण से संबंधित हो एफआईआर दर्ज करा सकता है/सकती है. 


क्या है सजा का प्रावधान? 
अध्यादेश की धारा तीन में उल्लि खिरत प्रावधानों का उल्लंघन करने पर धारा पांच के तहत दंड निर्धारित है. धारा तीन के प्रावधानों का उल्लंघन करने पर एक वर्ष तक के कारावास, जो पांच वर्ष तक बढ़ सकती है, 15 हजार रुपए तक जुर्माने का प्रावधान है. इसके अलावा यदि कोई किसी अवयस्क, महिला या अनुसूचित जाति या अनुसूचित जन जाति के व्यक्ति के संबंध में धारा 3 के प्रावधानों का उल्लंघन करेगा/करेगी, तो वह ऐसी अवधि के लिए कारावास से दंडित किया जाएगा/की जाएगी, जो दो वर्ष से कम नही होगी, और जो दस वर्ष तक बढ़ सकेगी और वह ऐसे जुर्माने का दायी होगा/होगी ,जो 25 हजार रुपए से कम नहीं होगा. सामूहिक धर्म परिवर्तन के संबंध में धारा 3 के प्रावधानों का उल्लंघन करने पर तीन वर्ष तक कारावास, जो दस वर्ष तक बढ़ सकती है, और 50 हजार रुपए तक जुर्माने का प्रावधान है.


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