विशाल सिंह/लखनऊ: उत्तर प्रदेश के कानपुर बिकरू कांड में पुलिस ने मंगलवार को पूरक चार्जशीट दाखिल कर दी. इस चार्जशीट में सिर्फ उमाशंकर का नाम है. कुछ समय पहले जेल भेजे गए विपुल दुबे के खिलाफ अभी जांच जारी है. इस चार्जशीट में मनु पांडेय का नाम नहीं है. साफ है कि पुलिस ने अभी मनु को आरोपी नहीं बनाया है. मनु पांडेय के खिलाफ अभी जांच चल रही है.


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एक नवंबर को पुलिस ने दाखिल की थी चार्जशीट 
बिकरू कांड में एक नवंबर को पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की थी. चार्जशीट में जेल भेजे गए 34 आरोपियों के अलावा मुठभेड़ में मारे गए बदमाशों के नाम भी थे. उमाशंकर और विपुल फरार थे. इनके खिलाफ जांच चल रही थी. वहीं मनु पांडेय को लेकर पुलिस ने दावा किया था कि उसके खिलाफ सबूत हैं, लेकिन उनकी पुष्टि अभी नहीं हो सकी है.


उमाशंकर पर वारदात में शामिल होने और साजिश रचने का आरोप
उमाशंकर पर वारदात में शामिल रहने के साथ-साथ साजिश रचने का आरोप भी है. केस की सभी धाराओं में उसे आरोपी बनाया गया है. 14 अक्टूबर को माती कोर्ट में आत्मसमर्पण करने वाले दूधिया उमाशंकर पर आरोप लगा है कि वह दूध के केन में कारतूस भरकर विकास दुबे तक पहुंचाता था. उमाशंकर के खिलाफ पुलिस ने सीडीआर समेत अन्य इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य कोर्ट में पेश किए. उमाशंकर से पूछताछ के आधार पर ही पुलिस ने अतुल दुबे के बेटे विपुल उर्फ वितुल दुबे को बिकरू कांड का आरोपित बनाया था.  


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2 जुलाई 2020 को हुआ था बिकरू कांड
आपको बता दें कि पिछले साल 2 जुलाई को कानपुर के बिकरू गांव में विकास दुबे और उसके साथियों ने आठ पुलिसवालों की हत्या कर दी थी. जिसके बाद वो एक हफ्ते तक फरार रहा. पुलिस ने उसे मध्यप्रदेश के उज्जैन जिले से पकड़ा था. वहां से कानपुर लाते वक्त एनकाउंटर में मारा गिराया था. विकास दुबे पर करीब 60 से अधिक मामले थे, लेकिन फिर भी वो पैरोल पर बाहर था. उसके भाई दीप प्रकाश दुबे पर भी संगीन अपराध के तहत मामले दर्ज हैं, लेकिन वह भी जमानत पर बाहर था.


हालांकि पुलिस ने पिछले हफ्ते उसने कोर्ट में सरेंडर किया था. इसके बाद कोर्ट ने उसे न्यायिक हिरासत में रखा है. उसकी रिमांड लेने के कानपुर पुलिस भी तैयारी कर रही है. विकास दुबे के मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने भी गंभीर सवाल खड़े किए थे और कहा था कि इतने गंभीर अपराधी को पैरोल कैसे मिली. जिसके बाद राज्य सरकार की काफी किरकिरी हुई थी. 


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