IIT Kanpur: यूपी के कानपुर आईआईटी ने एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की है, जो भारतीय सेना के लिए सुरक्षा का कवच बनेगी. 'अनालक्ष्य' नामक मेटामैटीरियल सरफेस क्लोकिंग सिस्टम का लोकार्पण संस्थान के निदेशक प्रो. मणींद्र अग्रवाल ने किया. यह तकनीक भारतीय सेना के जवानों, विमानों और ड्रोन को दुश्मनों के अत्याधुनिक रडार और निगरानी उपकरणों से बचाने में सक्षम है.


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इस तकनीक की खासियत यह है कि इससे तैयार कपड़ा रडार, सैटेलाइट इमेज, इंफ्रारेड कैमरों, ग्राउंड सेंसर और थर्मल इमेजिंग की पकड़ में नहीं आता. इसका उपयोग सैनिकों की ड्रेस, गाड़ियों के कवर और विमानों के टेंट बनाने में किया जा सकता है. पूरी तरह स्वदेशी इस तकनीक की लागत विदेशी विकल्पों से छह से सात गुना कम है.


पृष्ठभूमि और निर्माण
इस प्रोजेक्ट पर 2010 में आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर कुमार वैभव श्रीवास्तव ने काम शुरू किया था. बाद में प्रो. एस अनंत रामाकृष्णन और प्रो. जे रामकुमार ने इसमें योगदान दिया. 2018 में इसका पेटेंट किया गया और सेना के साथ लगातार ट्रायल किए गए.


डिफेंस स्टार्टअप प्रदर्शनी में इसका प्रदर्शन किया गया, जहां इसे व्यापक सराहना मिली. 'मेटातत्व' कंपनी इस तकनीक को उत्पादित कर रही है और इसे एक साल के भीतर सेना को उपलब्ध कराने की तैयारी है.


क्या है 'अनालक्ष्य' की ताकत?
यह मेटामैटीरियल तकनीक दुश्मन की निगरानी तकनीकों को चकमा देने में सक्षम है. यह सैनिकों और बख्तरबंद वाहनों को दुश्मनों के रडार और अन्य निगरानी उपकरणों से बचाता है. मेटातत्व कंपनी के एमडी व सीईओ और पूर्व एयर वाइस मार्शल प्रवीण भट्ट ने इसे सेना की भविष्य की ज़रूरत बताया है. 


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