Kanpur News: स्कूल बदलने की स्थिति हो या दूसरे स्कूल में प्रवेश लेना हो अब  ट्रांसफर सर्टिफिकेट यानी टीसी का सत्यापन बड़ी ही आसानी से हो सकेगा. दरअसल, कानपुर के साथ ही देश भर में स्कूल बदलते समय छात्र-छात्रा को दिया जाने वाला टीसी का सत्यापन मात्र दो मिनट में किया जा सकेगा. इसके लिए व्यवस्था ये होगी कि परमानेंट एजुकेशन नंबर (पेन)  हर छात्र का यूनीक होगा. 


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छात्र से जुड़ी जानकारी
पेन से ये होगा कि कक्षाएं ड्रॉप कर अगली कक्षाओं में एंट्री लेने, एडमिशन पाने के लिए फर्जी टीसी लगाने, स्कूल को बिना फीस भरे छोड़ कर फर्जी टीसी की मदद से किसी और स्कूल में एंट्री लेने जैसे कामों पर रोक लाया जा सके. आधार के जैसा ही हर स्कूल का खुद का  एक यू-डायस कोड बनाया गया है. यू-डायस में स्कूलों को पहले सीमित जानकारियां देनी होती थीं पर अब इसका प्रसार किया गया है. अब इसमें हर एक कक्षा में पढ़ने वाले बच्चे का हर एक डीटेल मौजूद होगा. बच्चे का आधार भी इन डीटेल्स में होगा. यू-डायस पोर्टल पर ऑथराइज्ड डिपार्टमेंट किसी भी स्कूल का पूरा डीटेल व छात्र से जुड़ी जानकारी हासिल कर पा सकेंगे. 


एडमिशन के समय मिलेगा 'पेन'
एडमिशन के वक्त या जब से नियम लागू किया गया तभी से परमानेंट एजुकेशन नंबर (पेन) छात्र को मिल गया. जोकि 12वीं कक्षा की पढ़ाई तक काम आएगा. इसी के आधार पर टीसी को जारी किया जाएगा. जिन स्कूल में छात्र प्रवेश चाहेंगे ले सकेंगे, इससे उनके 'पेन' में को बदलाव नहीं आएगा. उसका प्रवेश इसी नंबर से पहचाना जाएगा. अभी तक टीसी से लिए स्कूल में एक रजिस्टर बनाया जाता है जिसके आधार छात्रों टीसी दी जाती है और मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशक कार्यालय के स्तर पर इसका सत्यापन होता है. हालांकि, इसमें पारदर्शिता की कमी होती है और फर्जीवाड़े की संभावनाएं बनी रहती है. पेन का यू-डायस पोर्टल से अब सत्यापन करना होगा जिसमें डीटेल और टीसी के बारे में पूरा विवरण होने पर ही टीसी सत्यापित मानी जाएगी. 


फर्जी टीसी ऐसे आएगी पकड़ में
यदि किसी ने स्कूल में गलत तरीके से या फर्जी टीसी लगाई तो इस बारे में स्कूल 'पेन' से पता लगा लिया जाएगा कि यह किस स्कूल का छात्र है. टीसी को स्कूल ने जारी किया है या नहीं, अगर टीसी स्कूल जारी करेगा तो पोर्टल पर पहले उसे विड्रॉल दिखाना होगा. जहां भी छात्र प्रवेश ले रहा है बीच की कक्षाओं में उसे सशर्त 'पेन' जारी करने का राइट तो दिया जाएगा लेकिन इसकी रूपी प्रक्रिया बहुत ही कठिन होगा. इससे होगा ये कि फर्जी 'पेन' एलॉट कर यू-डायस में दर्ज कराने वाला स्कूल की पहचान आसानी से की जा सकेगी. एक भी छात्र स्कूल में बिना 'पेन' के नहीं पढ़ पाएगा.


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