अल्मोड़ा:  विश्व के सबसे बेहतरीन क्वालिटी के कश्मीरी केसर की खेती अल्मोड़ा में शुरू हो गई है. कश्मीर से अल्मोड़ा पहुंचे केसर स्पेश्लिस्ट वैज्ञानिक गोविन्द बल्लभ पंत, हिमालयी पर्यावरण विकास संस्थान और उद्यान विभाग के अधिकारियों की मौजूदगी में अल्मोड़ा के शीतलाखेत क्षेत्र में केसर के बल्ब यानि बीज रोपे गये. इस दौरान लाभान्तिव किसानों को केसर की खेती के बारे में ट्रेनिंग और आवश्यक जानकारी दी गई. 


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कश्मीर से आए 3 कुन्तल बीज
मुख्य उद्यान अधिकारी टीएन पांडे ने बताया कि पहले चरण में अल्मोड़ा के शीतलाखेत और रानीखेत के काश्तकारों को केसर के बीज निशुल्क बांटे गये हैं. कश्मीर से 3 कुन्तल केसर के बीज मंगवाकर शीतलाखेत में 5 और रानीखेत में 2 काश्तकारों को दिये गए हैं.


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ऐसे संभव हो पाई अल्मोड़ा में केसर की खेती
गोविन्द बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालय पर्यावरण एवं विकास संस्थान ने कश्मीर से केसर के बीज मंगवाकर अपने संस्थान में खेती का परीक्षण किया. संस्थान ने कश्मीर से मंगवाये केसर के बीज से केसर प्राप्त किया. महत्वपूर्ण बात यह रही कि संस्थान ने केसर का बीज बनाने में भी सफलता हासिल की. इससे किसानों के लिए केसर की खेती का रास्ता खुल गया.  


बेहद कीमती है केसर
औषधीय गुणों से भरपूर दुनिया के सबसे महंगे मशालों में शामिल केसर अपने आकर्षक रंग, खुशबू और पौष्टिकता के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध है. पौष्टिकता और स्वास्थ्य के लिए गुणकारी सहित अपनी तमाम विशेषताओं के कारण केसर 5 से 8 लाख रुपये प्रति किलो तक बिकता है. अल्मोड़ा में केसर की खेती के बाद स्थानीय कश्मीरी गुणवत्ता वाला केसर उगा सकेंगे. जिससे किसानों का आर्थिक लाभ कई गुना बढ़ जायेगा.


लैब टेस्ट में ए ग्रेड पाया गया, अल्मोड़ा का केसर
गोविन्द बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण एंव सतत विकास संस्थान में पैदा हुआ केसर बेस्ट क्वालिटी का है. संस्थान ने अपने यहां केसर की गुणवत्ता की जांच के लिए उगाए गये केसर को जम्मू कश्मीर के शेर-ए-कश्मीर यूनिवर्सिटी में भेजा. जहां पर अल्मोड़ा के संस्थान में पैदा किया गया केसर उच्च गुणवत्ता यानि ए ग्रेड पाया गया.


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प्रवासियों को रोजगार दिलाएगा केसर
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत सोच और कोरोना के कारण बेरोगार प्रवासी उत्तराखंडियों को रोजगार से जोड़ने के लिए केसर की खेती से जोड़ा जा रहा है. केसर की खेती को बढ़ावा देने के लिए अल्मोड़ा जिला प्रशासन ने कश्मीर से 3 कुंतल केसर के बीज मंगवाए हैं. वैज्ञानिक, अधिकारियों और केसर एक्सपर्ट कोरोना के कारण गांव वापस लौटे प्रवासी युवाओं को खेती की तकनीक के बारे में विस्तार से प्रशिक्षण दे रहें हैं.


किसानों को होगा फायदा
केसर के बल्ब यानि बीज की कीमत 2 से 2.5 लाख प्रति कुंतल होती है. इसकी खेती 6 महीने में पूरी हो जाती है जबकि बल्ब दो गुने हो जाते हैं. कम क्षेत्र में खेती करने के साथ काश्तकार बड़ा मुनाफा कमा सकते हैं. संस्थान के वैज्ञानिकों का कहना है कि उच्च गुणवत्ता के केसर की कीमत 5 से 8 लाख रुपये प्रति किलो आसानी से मिल जाती है. पहाड़ों में केसर की खेती होती है तो युवाओं को रोजगार मिलेगा और पलायन पर रोक लगेगी.


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