हरेंद्र नेगी/रुद्रप्रयाग: केदारनाथ में 16-17 जून 2013 को आई भयंकर त्रासदी में हजारों लोगों की जान चली गयी थी. तीन साल बाद केदारनाथ धाम आपदा से उबर श्रद्धालुओं के लिए फिर तैयार तो हो गया था. इस हादसे में हजारों लोगों की जान चली गई थी. जिन तलाश 2019 में छोड़कर पिछले 6 सालों से लगातार चल रही हैं. इस बार फिर पिछले तीन दिन से रुद्रप्रयाग एसपी के नेतृत्व में 10 टीमें बनाई गयी थीं. ये टीम केदारघाटी के अलग-अलग जगहों पर भेजी गयी हैं और नरकंकाल की खोजबीन जारी है, लेकिन किसी टीम को नरकंकाल नहीं मिले.


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पुलिस अधीक्षक का कहना है कि वे भी स्वयं टीमों की देखरेख कर रहे हैं. अभी तक किसी भी टीम को कोई नरकंकाल नहीं मिला है. अगर किसी भी टीम को कोई नरकंकाल मिलता है तो उसकी विधिवत डीएनए और हिन्दू रीतिरिवाज के साथ सोनप्रयाग में अंतिम संस्कार किया जाएगा. 7 दिन चलने वाले अभियान में 4 दिन और बचे हैं. 


केदारनाथ आपदा में जान गंवाने वालों के कंकाल ढूंढने के​ लिए 10 सर्च टीमें रवाना, 7 दिन चलेगा ऑपरेशन


प्रलय में कितने लोग मारे गए थे इसकी जानकारी नहीं
हालांकि इस प्रलय के कारण पहुंचे नुकसान से उबरने में केदारघाटी के लोगों को काफी लम्बा समय लगा. लोग धीरे-धीरे अपने पुराने कामों में जुटने शुरू हो गए. उस भयानक मंजर को भुला चुके हैं. मगर आज तक इस सवाल का जवाब नहीं मिल सका है कि केदारनाथ आपदा में कितने लोगों ने अपनी जान गंवाई? इसके पुख्ता प्रमाण किसी के पास नहीं हैं. यह कहा जाता है कि 10,000 के करीब लोग इस प्रलय के शिकार हुए, जिनमें चार हजार के शवों को ढूंढ़ा गया, जबकि बीते वर्षों में सैकड़ों नर कंकाल मिल चुके हैं.


लोगों के कंकाल खोजने के लिए 10 टीमें बनाई गई
केदारनाथ आपदा में जान गंवाने वालों के कंकालों को ढूंढने के लिए पुलिस अधीक्षक ने दस टीमें गठित की थीं. हर एक टीम में एक सब इंस्पेक्टर, एसडीआरएफ के दो जवान, एक पुलिस कांस्टेबल हैं. स्थानीय लोगों को गाइड के तौर पर रखा गया है. ये टीमें एक सप्ताह तक वासुकीताल, चैराबाड़ी, गरुड़चट्टी, त्रियुगीनारायण, कालीमठ, खाम, चैमासी, रामबाड़ा, जंगलचट्टी, भैरवनाथ मंदिर, गौरीकुंड, गौरीगांव, मुनकटिया, सोनप्रयाग में सर्च ऑपरेशन चला रही हैं.


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