देहरादून: उत्तराखंड में सियासी उठा-पटक जारी है. सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने चार साल सरकार चलाने के बाद अपना इस्तीफा दे दिया.लेकिन ये पहली बार नहीं है. बल्कि उत्तराखंड का राजनीतिक इतिहास ही कुछ ऐसा रहा है. अपने इतिहास में 8 मुख्यमंत्री देने वाले इस राज्य में एक ही ऐसे नेता हुए, जिन्होंने अपना 5 साल का कार्यकाल पूरा किया.जिनका नाम है- नारायण दत्त तिवारी उर्फ एनडी तिवारी. एनडी तिवारी की यही एक मात्र खासियत नहीं है. वह उत्तराखंड के अलावा तीन बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री भी बने. इसके अलावा एक बार प्रधानमंत्री बनने के रेस में भी थे. लेकिन मामला बन नहीं पाया. इतना कुछ होने के बाद भी उन्हें विवादों के लिए जाना जाता है. 


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Uttarakhand Live: त्रिवेंद्र सिंह रावत ने उत्तराखंड के सीएम पद से दिया इस्तीफा


नैनीताल में पैदा हुए, यूपी में सीखा ककहरा
एनडी तिवारी का जन्म 18 अक्टूबर, 1925 को नैनीताल के बलूती गांव में हुआ. उनके पिता पूर्णानंद तिवारी वन विभाग में अफसर थे, लेकिन असहयोग आंदोलन में नौकरी छोड़ दी. ऐसे में एनडी तिवारी को स्वतंत्रता आंदोलन के जरिए राजनीति में आने का मौका मिला. साल 1942 में उन्हें नैनीताल जेल में भी रहना पड़ा. जब अंग्रेजी सरकार ने उन्हें छोड़ा, तो वह इलाहाबाद यूनिवर्सिटी पहुंचे. यहीं, वह 1947 में स्टूडेंट यूनियन के अध्यक्ष बने. 1945-49 के बीच ऑल इंडिया स्टूडेंट कांग्रेस के सेक्रेटरी भी रहे.


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नैनीताल से बने विधायक, उत्तर प्रदेश में सीएम 
साल 1952 में पहले चुनाव में एनडी तिवारी प्रजा समाजवादी पार्टी के टिकट पर जीतकर नैनीताल के विधायक बने. तब नैनीताल उत्तर प्रदेश का ही हिस्सा हुआ करता था. साल 1957 में एक बार फिर नैनीताल से विधायक बने और सदन में नेता विपक्ष बने. साल 1963 में उन्होंने पार्टी बदलते हुए कांग्रेस जॉइन कर लिया. इस बार काशीपुर से विधायक बने और यूपी सरकार में मंत्री भी बने. 1976 में पहली बार वो मौका आया, जब वह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने. इसके बाद उन्होंने 1985-85 और 1988-89 में भी सीएम का कार्यभार भी संभाला. वहीं, जब उत्तराखंड अलग राज्य बना तो, साल 2002 से 2007 तक सीएम रहे.


जब पीएम बनने से चूक गए एनडी तिवारी
एनडी तिवारी केंद्र की राजनीति में भी काफी सक्रिय रहे. 1979 से 1980 के बीच चौधरी चरण सिंह की सरकार में वित्त और संसदीय कार्य मंत्री रहे. 1980 के बाद योजना आयोग के डिप्टी चेयरमैन रहे. 1985-88 में राज्यसभा सांसद रहे. 1985 में उद्योग मंत्री भी रहे. 1986 से 1987 के बीच वह प्रधानमंत्री राजीव गांधी की कैबिनेट में विदेश मंत्री रहे. एक ऐसा भी मौका आया, जब वह पीएम बनने वाले थे. साल 90 दशक की शुरुआत में पीएम पद के दावेदर बने, लेकिन उनको पीछे छोड़ते हुए पीवी नरसिम्हा राव प्रधानमंत्री बन गए. 


जीवन के आखिरी समय तक नहीं छूटा विवादों का साथ
राजनीति के अलावा एनडी तिवारी के साथ हमेशा विवादों का भी साथ रहा. इसकी शुरुआत साल 2007 में हुई, जब वह आंध्र प्रदेश में गवर्नर थे. उस दौरान उनकी सीडी सामने आई. वह कथित सेक्स स्कैंडल में फंस गए. बाद में उन्होंने माफी मांगी और कहा कि विपक्ष की साजिश में फंसाया गया. इसके बाद वह साल 2009 में तब फिर चर्चा में आए, जब रोहित शेखर ने  पितृत्व वाद दायर किया और एनडी तिवारी को अपना जैविक पिता बताया. कोर्ट के आदेश के बाद डीएनए टेस्ट कराया गया और पता चला कि रोहित के दावे सही थे. साल 2014 में उन्होंने रोहित को अपना बेटा स्वीकारा और लखनऊ में रोहित की मां उज्ज्वला से शादी भी की. 18 अक्टूबर, 2018 को एनडी तिवारी ने दुनिया का साथ छोड़ दिया. 


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