प्रयागराज का वो पौराणिक घाट, जहां ब्रह्मा ने किया पहला यज्ञ, आदि गणेश यहीं हुए विराजमान
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प्रयागराज का वो पौराणिक घाट, जहां ब्रह्मा ने किया पहला यज्ञ, आदि गणेश यहीं हुए विराजमान

Prayagraj Hindi  News: प्रयागराज को तीर्थराज भी कहा जाता है. श्री आदि गणेश मंदिर का जीर्णोद्धार 16वीं सदी में राजा टोडरमल ने कराया था और अब महाकुंभ 2025 के अवसर पर इस मंदिर का सौंदर्यीकरण किया जा रहा है. 

 Kumbh Mela 2025, Prayagraj News

Prayagraj News: प्रयागराज में वाराणसी की तरह दशाश्वमेध घाट है. यहां श्री आदि गणेश का मंदिर है, जहां भगवान गणेश ने सृष्टि निर्माण के बाद धरती पर विराजमान हुए. महाकुंभ आएं तो ये मंदिर देखना नहीं भूलें, जहां ब्रह्मा ने धरती के निर्माण के बाद पहला यज्ञ किया था.

पौराणिक महत्व
माना जाता है कि भगवान गणेश ने सबसे पहले इसी क्षेत्र में मूर्तिमान होकर गणेश रूप में प्रतिष्ठान प्राप्त किया था. त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश के साथ गंगा तट पर स्थापित ऊंकार ने आदि गणेश का रूप धारण किया, जिसके बाद ब्रह्मा जी ने यहां सृष्टि का पहला यज्ञ किया. यही कारण है कि इस क्षेत्र को दशाश्वमेध घाट और भगवान गणेश के विग्रह को आदि गणेश के नाम से जाना जाता है.

इतिहासिक पुनर्निर्माण
राजा टोडरमल के नेतृत्व में 16वीं सदी में इस मंदिर का जीर्णोद्धार हुआ था. अकबर के नवरत्नों में शामिल राजा टोडरमल ने गंगा तट पर स्थित इस मंदिर की मूर्ति की पुनर्स्थापना करवाई और मंदिर का कायाकल्प किया. उनके समय में यह मंदिर फिर से अपने ऐतिहासिक गौरव को प्राप्त हुआ.

महाकुम्भ और मंदिर का सौंदर्यीकरण 
महाकुम्भ 2025 के अवसर पर इस मंदिर का विशेष रूप से सौंदर्यीकरण और चित्रण किया जा रहा है. जिससे यह स्थान श्रद्धालुओं के लिए और भी आकर्षक बनेगा. विशेष पूजन तिथियां मंदिर में विशेष पूजा माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को होती है. इस दिन पूजा करने से सभी कार्य निर्विघ्न रूप से संपन्न होते हैं. श्रद्धालु दूर-दूर से यहां भगवान गणेश का आशीर्वाद लेने आते हैं. 

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