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महाकुंभ में स्नान की 10 प्रमुख तारीखें, शाही स्नान की भीड़ से बचकर आसानी से लगाएं डुबकी

हर 12 साल बाद लगने वाला प्रयागराज महाकुंभ जल्द शुरू होने वाला है. दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक आयोजनों में से एक प्रयागराज महाकुंभ के त्रिवेणी संगम में स्नान का बहुत महत्व है. मान्यता है कि त्रिवेणी संगम में स्नान करने से मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है.

महाकुंभ में स्नान की 10 प्रमुख तिथि

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महाकुंभ में स्नान की 10 प्रमुख तिथि

इस बार महाकुंभ में स्नान के लिए 10 प्रमुख तिथियां निर्धारित की गई हैं. श्रद्धालु इन तिथियों पर संगम में डुबकी लगाकर पुण्य लाभ कमा सकते हैं. इसके अलावा, तीन विशेष शाही स्नान होंगे, जिनका धार्मिक महत्व और भी ज्यादा है. 

10 जनवरी: पौष शुक्ल एकादशी

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10 जनवरी: पौष शुक्ल एकादशी

इस दिन साल 2025 की पहली एकादशी है. इस दिन कुंभ में पवित्र स्नान कर भगवान विष्णु की पूजा करने के लिए शुभ योग और शुक्ल योग का संयोग बन रहा है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शुभ योग में भगवान विष्णु की पूजा करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है.

13 जनवरी: पौष पूर्णिमा

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13 जनवरी: पौष पूर्णिमा

सनातन धर्म में पौष पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों में स्नान का बहुत महत्व बताया गया है. स्नान के बाद दान-पुण्य किया जाता है. इस दिन दान करने से जगत के पालनहार श्री हरि यानी भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है. 

14 जनवरी: मकर संक्रांति (शाही स्नान)

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14 जनवरी: मकर संक्रांति (शाही स्नान)

इस दिन सूर्य अपनी कक्षा परिवर्तन कर दक्षिणायन से उत्रायन होकर धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं. मान्यता है कि इस दिन देवी-देवता अपना रूप बदलकर प्रयागराज के गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम पर स्नान के लिए आते हैं. कहा जाता है कि जो श्रद्धालु इस दिन संगम में स्नान करते हैं उन पर देवों की विशेष कृपा रहती है. 

25 जनवरी: माघ कृष्ण एकादशी

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25 जनवरी: माघ कृष्ण एकादशी

सनातन धर्म में माघ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को षटतिला एकादशी के नाम से जाना जाता है.  क्योंकि माघ मास भगवान विष्णु का प्रिय महीना है. इसलिये इस प्रयागराज के त्रिवेणी संगम में स्नान के दान कर भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा करने से सुख-सौभाग्य, धन-संतान और मोक्ष की प्राप्ति होती है.

29 जनवरी: मौनी अमावस्या (द्वितीय शाही स्नान)

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29 जनवरी: मौनी अमावस्या (द्वितीय शाही स्नान)

मौनी अमावस्या पर ब्रह्म मुहूर्त में त्रिवेणी संगम में स्नान के बाद मौन रहकर पूरे दिन भगवान विष्णु का जाप और ध्यान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. साथ ही पितृ दोष से मुक्ति मिलती है.  

2 फरवरी: बसंत पंचमी (तृतीय शाही स्नान)

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2 फरवरी: बसंत पंचमी (तृतीय शाही स्नान)

बंसत पंचमी पर ज्ञान की देवी सरस्वती की पूजा का विधान है. यह पर्व माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है. मान्यता है कि इस दिन त्रिवेणी संगम में स्नान के बाद मां सरस्वती की पूजा अर्चना से ज्ञान और बुद्धि की प्राप्ति होती है. 

 

4 फरवरी: रथ सप्तमी

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4 फरवरी: रथ सप्तमी

रथ सप्तमी के दिन पवित्र नदी या कुंड में स्नान करना बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. इस दिन सुबह सूर्य निकलने से पहले स्नान करना चाहिए और सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए. मान्यता है कि इस दिन महाकुंभ के त्रिवेणी संगम में स्नान करने से बीमारियों से मुक्ति मिलती है और अच्छा स्वास्थ्य प्राप्त होता है.

5 फरवरी: भीष्माष्टमी

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5 फरवरी: भीष्माष्टमी

शास्त्रों के अनुसार भीष्म अष्टमी के दिन ही भीष्म पितामह ने अपने शरीर का त्याग किया था. कहा जाता है कि इस दिन त्रिवेणी संगम में स्नान के बाद भीष्म पर्व का पठन करने से भीष्म पितामह जैसी दीर्घायु और निरोगी काया का आशीर्वाद प्राप्त होता है.

8 फरवरी: जया एकादशी

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8 फरवरी: जया एकादशी

जया एकादशी का व्रत करने से साधक को विष्णु जी और लक्ष्मी जी की कृपा मिलती है. अगर इस दिन महाकुंभ के त्रिवेणी संगम में स्नान के बाद एकादशी का व्रत रखा जाए और फिर विधि अनुसार भगवान विष्णु और लक्ष्मी जी की पूजा की जाए तो सुखी जीवन का वर प्राप्त होता है. 

 

12 फरवरी माघ पूर्णिमा

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12 फरवरी माघ पूर्णिमा

इस दिन प्रयागराज त्रिवेणी संगम में स्नान का ब्रह्म मुहूर्त 5 बजकर 19 मिनट पर शुरू होगा और 6 बजकर 10 मिनट पर खत्म होगा. इस दिन भगवान विष्णु और हनुमान जी की पूजा की मान्यता है. 

 

महाकुंभ 2025 के शाही स्नान कब-कब

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महाकुंभ 2025 के शाही स्नान कब-कब

बता दें कि महाकुंभ 2025  का पहला शाही स्नान 13 जनवरी पौष पूर्णिमा के दिन, दूसरा शाही 14 जनवरी मकर संक्रांति, तीसरा शाही स्नान मौनी अमावस्या 29 जनवरी, चौथा शाही स्नान 3 फरवरी बसंत पंचमी, पांचवा शाही स्नान 13 फरवरी माघ पूर्णिमा और आखिरी शाही स्नान 26 फरवरी महाशिव रात्रि के दिन हैं.

Disclaimer

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Disclaimer

यहां बताई गई सारी बातें धार्मिक मान्यताओं पर आधारित हैं. इसकी विषय सामग्री और एआई द्वारा काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.