कौन हैं महाकुंभ मेले के रक्षक वेणी माधव?, एक माह पूरे मेला क्षेत्र का भ्रमण कर कल्पवासियों की करते हैं रक्षा
Veni Madhav Mandir History: महाकुंभ 2025 में 40 करोड़ श्रद्धालुओं के आने का अनुमान है. ऐसे में महाकुंभ से पहले द्वादश यात्रा निकाली जाती है. वेणी माधव को नगर भ्रमण कराने की परंपरा है. इसके बाद पूरे एक माह तक वेणी माधव माघ मेले का भ्रमण करते रहते हैं.
Veni Madhav Mandir: प्रयागराज महाकुंभ की शुरुआत हो चुकी है. साधु-संतों का आना शुरू हो गया है. कल्पवासी 13 जनवरी से आने लगेंगे. इस महाकुंभ 13 जनवरी से शुरू होकर 26 जनवरी तक चलेगा. पूरे 45 दिनों तक संगम किनारे करोड़ों श्रद्धालु कल्पवास करते हैं. इतने बड़े और विशाल माघ मेले की सुरक्षा की जिम्मेदारी 'वेणी माधव' के हाथों होती है. माघ मेले के रक्षक कहे जाने वाले वेणी माधव कल्पवास के समय पूरे मेला क्षेत्र में भ्रमण करते रहते हैं. तो आइये जानते हैं कौन हैं वेणी माधव?.
यह है पौराणिक मान्यता
पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, माघ मेले में कल्पवासी ही नहीं बल्कि देवता और दानव भी यहां स्नान करने आते हैं. कल्पवासी एक महीने यहीं गंगा किनारे रहकर संयम का पालन करते हैं. मेला क्षेत्र में ही दारागंज के पास प्राचीन वेणी माधव का मंदिर है. यहां पूरे एक महीने कल्पवासी दर्शन करने आते रहते हैं. संगम स्नान के बाद वेणी माधव मंदिर के दर्शन करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. गोस्वामी तुलसीदास ने भी इसका वर्णन किया है. वेणी माधव को माघ मेले का रक्षक भी कहा जाता है.
भगवान विष्णु के बाल स्वरूप विराजमान
पौराणिक कथाओं के मुताबिक, वेणी माधव का माघ मेले से उतना ही पुराना नाता है जितना माघ मेले का इतिहास. मान्यता है कि संगम में ही सृष्टि का पहला यज्ञ हुआ था. तब देवता ही नहीं दानव भी इस यज्ञ में शामिल हुए थे. पौराणिक कथाओं के मुताबिक, सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा जी ने भगवान विष्णु से मेले की रक्षा करने को कहा था. भगवान विष्णु ने मेले की रक्षा की थी. वेणी माधव, भगवान विष्णु के बाल स्वरूप यहां स्थापित हो गए. प्रयागराज में द्वादश माधव विराजमान हैं. साल भर में एक बार द्वादश माधव यात्रा भी निकाली जाती है. माघ मेले की शुरुआत से पहले वेणी माधव को नगर भ्रमण कराया जाता है.
भगवान वेणी माधव के दर्शन के बिना कल्पवास अधूरा
इसका मकसद होता है कि वेणी माधव पूरे माध मेले के दौरान भ्रमण करते रहे. साथ ही माघ मेले की रक्षा भी करते रहें. मान्यता है कि कल्पवास तभी पूरा होता है जब कल्पवास के दौरान वेणी माधव के दर्शन किए जाएं. दारागंज में शालिग्राम शिला से बनी वेणी माधव की प्रतिमा के साथ त्रिवेणी की प्रतिमा भी है. मान्यता है कि संगम स्नान के बाद भगवान वेणी माधव के दर्शन करने से ही पूर्ण पुण्य प्राप्त होता है. ऐसी मान्यता पुराणों एवं रामचरितमानस में वर्णित है. इस प्राचीनतम मंदिर के प्रांगण में चैतन्य महाप्रभु जी वेणी माधव जी के दर्शन करने हेतु संकीर्तन एवं नृत्य किया करते थे.
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