Mahakumbh 2025: महाकुंभ में पेशवाई बहुत अहम और भव्य समारोह होता है. यह एक ऐसी शोभायात्रा होती है, जिसमें कई अखाड़ों के साधु-संत शाही कुंभ नगरी में प्रवेश करते हैं. ये ऐतिहासिक परंपरा सदियों से चली आ रही है. पढ़िए
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Mahakumbh 2025: प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन होने वाला है. इस भव्य आयोजन की तैयारियां हो रही है. यह महाकुंभ 45 दिनों तक चलेगा. दुनिया भर से श्रद्धालु इस महाकुंभ में आस्था की डुबकी लगाने आएंगे. इस दौरान संगम समेत प्रमुख घाटों पर स्नान करने के लिए साधु-संतों का जमावड़ा भी लगेगा. महाकुंभ के दौरान अखाड़े की पेशवाई होती है, जिसे बेहद अहम माना गया है. ऐसे में जानिए महाकुंभ के समय अखाड़े की पेशवाई क्या होता है और इसमें कौन-कौन शिरकत करता है.
दुनिया का सबसे बड़ा धर्म उत्सव
दुनिया का सबसे बड़ा धर्म उत्सव महाकुंभ को माना गया है. दुनिया में इससे बड़ा धार्मिक उत्सव कोई नहीं है. इसे सांस्कृतिक परंपराओं को सहेज कर रखने का महापर्व है. इसके अलावा धर्म का समाज से रिश्ता बनाए रखने का भी महापर्व है. महाकुंभ का वाहक साधु-संतों को माना जाता है. विपरीत हालातों में भी इन साधु-संतों ने धर्म को संभाल कर रखा और मजबूत किया. कहा जाता है जरुरत पड़ने पर धर्म और देश की रक्षा के लिए साधु संत हथियार उठाने से भी पीछे नहीं हटते.
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किसे कहते हैं पेशवाई?
अभी से ही महाकुंभ की रौनक प्रयागराज में दिखाई देने लगी है. संगम समेत सभी घाटों को सजाया जा रहा है. जब तक महाकुंभ शुरू होगा प्रयागराज और भव्य दिखेगा. आने वाले दिनों में संगम नगरी में साधुओं की भव्य पेशवाई भी देखते ही बनेगी. महाकुंभ में अखाड़ों के साधु संत राजसी ठाठ बाट के साथ आते हैं. इसी को पेशवाई कहते हैं. राजा महाराजों की तरह हाथी, घोड़ों और रथों पर साधु-संतों की शाही सवारी निकलती है. अखांड़ों की ये पेशवाई बेहद अहम और खास होती है.
साधु-संतों का स्वागत
श्रद्धालु साधु-संतों का स्वागत रास्ते में करते हैं. इन साधु-संतों के हाथ में अपने-अपने अखाड़ों की ध्वजा होती है. साधु-संत ध्वजा हाथ में लिए अपनी सेना के साथ पूरे रीति-रिवाज से नगर में निकलते हैं. इस पेशवाई को देखने के लिए दुनियाभर से श्रद्धालु संगम नगरी में आते हैं. आपको बता दें 13 जनवरी 2025 से महाकुंभ की शुरुआत हो रही है, जो 26 फरवरी 2025 तक चलेगा.