वाराणसी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बेटी बचाओ के सपने को वाराणसी की लेडी डॉक्टर शिप्राधर श्रीवास्तव साकार करने में जुटी हुई हैं. वाराणसी की लेडी डॉक्टर शिप्राधर श्रीवास्तव 'बेटियां नही हैं बोझ, आओ बदले सोच' मुहिम के तहत अपने नर्सिंग हॉस्पिटल में डिलिवरी के दौरान बेटी होने पर फीस नहीं लेती हैं. इतना ही नहीं मिठाई बांटकर वो जश्न भी मनाती हैं.


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डॉक्टर शिप्राधर श्रीवास्तव ने 2014 से बेटी बचाने की मुहिम में जुटी हुई हैं. नर्सिंग होम में 375 बेटियों के जन्म पर वो उनके परिजनों से फीस नहीं ली हैं. इतना ही नहीं लोगों में बेटियों के प्रति भेदभाव खत्म करने के लिए वो पैसा खर्च करने से भी नहीं पीछे हटतीं. अगर बेटी हुई तो वो किसी तरह का कोई चार्ज नहीं लेती. जिससे लोगों को काफी राहत मिलती है और बेटी पैदा होने पर लोगो के चेहरे पर खुशी भी दिखती है.


बेटियों के जन्म को अभिशाप मानने की सोच रखने वालों के लिए डॉक्टर शिप्राधर की बेटी बचाओ की मुहिम बेहद सरहानीय है. इस मुहिम से अब न सिर्फ लोगों की सोच बदल रही है बल्कि लोग अब बेटी पैदा होने पर खुशी भी मना रहे हैं.