Lok Sabha Election 2024 / लखनऊ: हर पार्टी का एक कोर वोटर तो होता है जिसे साधने के लिए पूरे दम के साथ कोशिश भी करनी पड़ती है. इसी तरह एक कोशिश बहुजन समाज पार्टी की ओर से भी की जा रही है. लोकसभा चुनाव 2024 के लिए मुस्लिम बोट बैंक साधने के लिए सारी कोशिश बीएसपी कर रही है. प्रत्याशियों का चयन हो या मुस्लिम वोटरों को लुभाने का प्रयास, बसपा की सरकार में जो भी अल्पसंख्यक कल्याण की योजनाएं लाई गई उनकी तारीफ और प्रचार होनों में कोई कमी नहीं है. पार्टी के नेशनल कोऑर्डिनेटर है आकाश आनंद जिनकी टीम दिल्ली कार्यालय में लावलश्कर के साथ प्रचार कार्य की कमान अपने हाथ में लिए हुए हैं. 


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बीएसपी सरकार के किए काम
यूपी में बदल रहे सियासी समीकरणों के हिसाब से मुस्लिम प्रत्याशियों को चुनने में तो बसपा ने अपनी रणनीति का परिचय दिया ही है इसके साथ साथ अब मतदाताओं पर भी पार्टी का पूरा फोकस होने लगा है. चुनाव को लेकर बसपा सरकार में अल्पसंख्यकों के पक्ष में और हित में किए गए उल्लेखनीय कामें का सोशल मीडिया पर तारीफ की जा रही है, जल्दी ही पार्टी सुप्रीमो मायावती की रैलियों में भी बीएसपी सरकार के किए कामों का प्रचार करने की योजना तैयारी की गई है. 


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प्रत्याशी चयन में सतर्कता
प्रत्याशी चयन में बीएसपी ने खूब सतर्कता बरती है. बसपा के अब तक के घोषित 37 प्रत्याशियों की लिस्ट देखें तो 9 मुस्लिम हैं.


डुमरियागंज से ख्‍वाजा शमसुद्दीन को उतारा है.
पार्टी ने सहारनपुर से माजिद अली को उतारा है.
मुरादाबाद से मोहम्मद इरफान सैनी को उतारा है.
रामपुर से जीशान खां को उतारा है.
संभल से शौलत अली को उतारा है.
अमरोहा से मुजाहिद हुसैन को उतारा है.
आंवला से आबिद अली को उतारा है.
पीलीभीत से अनीस अहमद खां उर्फ फूलबाबू को उतारा है.
लखनऊ से सरवर मलिक को उतारा है.
कन्नौज से इमरान बिन जफर को उतारा है.


परिणामों को बदलने वाला
हालांकि पार्टी ने इस बात का भी पूरा ध्यान दिया है कि अगर मुस्लिम प्रत्याशी उतारने भी हैं तो कहीं मुस्लिम वोट साधते साधते कोई गड़बड़ न हो जाए. पश्चिमी यूपी में हाल ऐसा है कि पार्टी ने मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में भी मुस्लिम प्रत्याशी उतारने से परहेज किया है. दरअसल, मुस्लिम बहुल कुछ एक सीटों के अलावा बीएसपी ने पश्चिमी यूपी की सीटों पर अपने प्रत्याशी ऐसे उतारे हो तो सीधे बीजेपी के कोर वोट बैंक पर चोट कर सकते हैं. बीएसपी के उतारे उम्मीदवार कारगर साबित हो गए तो बीजेपी के लिए लोकसभा चुनाव में परिणामों को बदलने वाला साबित हो सकता है. 


बिजनौर में भी बीएसपी ने विजेंद्र सिंह को टिकट दिया है. मेरठ से किसी त्यागी को पहली बार पार्टी ने मौका दिया है, उम्मीदवार देवव्रत त्यागी हैं. पहले मुस्लिम को ही मौका देती रही थी. कैराना में भी बीएसपी ने यहां स ठाकुर समाज के श्रीपाल राणा को उतारा है. इस तरह उम्मीदवार उतारने में बीएसपी ने अपनी सूझबूझ का खूब परिचय दिया है.


उत्तराखंड का हाल 
लगे हाथ उत्तराखंड को भी देख लीजिए. हरिद्वार और नैनीताल में बसपा ने मुस्लिम चेहरे को ही प्रत्याशी बनाया है. 
हरिद्वार के प्रत्याशी बनाए जमील अहमद कासमी को साल 2012 में मुजफ्फरनगर की मीरापुर सीट से विधानसभा का बसपा ने टिकट दिया था जिस पर पार्टी की जीत हुई थी. नैनीताल-उधमसिंहनगर सीट से पार्टी ने अख्तर अली को टिकट दिया है. दो साल पहले हुए प्रदेश में जो नगर निकाय का चुनाव हुआ उसमें बसपा ने 11 मुस्लिम प्रत्याशी को मेयर पद के लिए बीएसपी ने मैदान में उतारे थे.