Bulandshahr Lok sabha Seat Chunav 2024: यूपी में होने वाले लोकसभा चुनाव 2024 के दूसरे चरण में कुल 8 सीटों पर वोट डाले जाएंगे. इनमें बुलंदशहर भी शामिल है. आइए जानते हैं बुलंदशहर लोकसभा सीट के प्रमुख प्रत्याशियों और यहां के समीकरण के बारे में.
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Bulandshahr Lok sabha Seat Chunav 2024: लोकसभा चुनाव 2024 के दूसरे चरण में कुल 8 सीटों पर वोट डाले जाएंगे. इनमें बुलंदशहर भी शामिल है. बीते चुनाव में यह सीट बीजेपी के खाते में गई थी. और इस बार भी ऐसा ही होता दिखाई दे रहा है. क्योंकि बीजेपी ने सिटिंग सांसद भोला सिंह को ही टिकट दिया है. परंतु इस बार बसपा और कांग्रेस दोनों ने ही पूर्व प्रत्याशियों का टिकट काटकर नए प्रत्याशियों को मैदान में उतारकर बुलंदशहर सीट की लड़ाई को दिलचस्प बना दिया है.
कौन हैं बीजेपी प्रत्याशी डॉ. भोला सिंह
डॉ. भोला सिंह बुलंदशहर लोकसभा क्षेत्र से वर्तमान सांसद हैं. 2014 से वह भाजपा के टिकट पर बुलंदशहर सीट से सांसद हैं. 2019 के लोकसभा चुनावों में भोला सिंह ने 6,81,321 वोट हासिल कर बुलंदशहर लोकसभा सीट जीती थी.
कौन हैं कांग्रेस प्रत्याशी शिवराम वाल्मिकी
बुलंदशहर सुरक्षित लोकसभा सीट पर कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी शिवराम वाल्मिकी को बनाया है. वर्तमान में वह अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य हैं. पूर्व में उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव भी रह चुके हैं.
कौन हैं बसपा प्रत्याशी गिरीश चन्द्र जाटव
बुलंदशहर लोकसभा सीट पर बसपा ने बिजनौर की नगीना सीट से सांसद गिरीश चन्द्र जाटव को अपना प्रत्याशी बनाया है. 1995 में मुरादाबाद नगर निगम में पार्षद बने. 2000-2006 से बसपा के जिलाध्यक्ष रह चुके हैं. वहीं 2007 से चन्दौसी से विधायक और 2019 में बिजनौर की नगीना सीट से बसपा के सांसद हैं.
पांचों विधानसभा में बीजेपी विधायक
वर्तमान में बुलंदशहर की सभी पांच विधानसभा सीटों पर भाजपा का कब्जा है. जिससे भाजपा को एक बार फिर से इस लोकसभा सीट को जीतना आसान माना जा रहा है.
बुलंदशहर का जातीय समीकरण
बुलंदशहर में बड़ी आबादी हिंदू समुदाय की है. 2011 की जनगणना के अनुसार, यहां करीब 64 फीसदी आबादी हिंदू और करीब 35 फीसदी आबादी मुस्लिम समुदाय की है. यानी मुख्य रूप से हिंदू और मुस्लिम आबादी ही है. हिंदुओं में दलित, लोध राजपूत, ब्राह्मण, ठाकुर, जाट प्रत्येक जाति के लोग 10 से 15 प्रतिशत हैं. तो वहीं यादव, सिख, कायस्थ, जैन आदि अपेक्षा में कम हैं. इस वजह से सभी मुख्य पार्टियों ने दलित उम्मीदवारों को टिकट देकर ज्यादा वोटों को साधने का लक्ष्य बनाया है.