Rae Bareli Lok Sabha: रायबरेली में टकराएंगे दो गांधी, 40 साल पुरानी कहानी क्या फिर दोहराएगी
Rae Bareli Lok Sabha: रायबरेली लोकसभा सीट को लेकर सियासी घमासान अब जल्दी ही परिवार के बीच जा सकता है. प्रियंका गांधी का चुनावों में उतरना इस बात को जल्दी ही तय कर सकता है कि गांधी परिवार की बेटी का मुकाबला गांधी परिवार के बेटे संभव हो.
Lok Sabha Elections 2024, Rae Bareli Lok Sabha, लखनऊ: रायबरेली लोकसभा सीट पर चुनाव बेहद दिलचस्प हो सकता है. ऐसी उम्मीद है कि नेहरू-गांधी परिवार के दो चेहरे आमने सामने की लड़ाई में चुनावी मैदान में उतर जाएं. इंडिया गठबंधन के तहत प्रियंका गांधी कांग्रेस की ओर से चुनाव लड़ सकती हैं, वहीं बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व की ओर से इस सीट पर वरुण गांधी को उतारने की बात चर्चा का विषय बना हुआ है.
दो दिन में स्थिति साफ
वैसे, अपनी ही चचेरी बहन प्रियंका गांधी के सामने अगर वरुण गांधी उन्हें हराने के लिए उतरते हैं तो इस सीट का चुनाव काफी दिलचस्प हो जाएगा. हालांकि, इस बारे में निर्णय लेने के लिए वरुण गांधी ने शीर्ष नेतृत्व से थोड़ा समय मांगा है. यह फैसला वरुण के हाथ में ही है कि रायबरेली सीट पर उतरते हैं या नहीं. उच्च पदस्थ राजनीतिक सूत्रों की माने तो प्रियंका गांधी व वरुण गांधी के आपसी रिश्ते अच्छे हैं, ऐसे में रायबरेली सीट पर उतरने को लेकर वरुण गांधी अपने परिवार के अन्य सदस्यों के साथ विचार करना चाहते हैं. एक से दो दिन में स्थिति साफ होने की उम्मीद जताई झा रही है.
संजय गांधी की मौत (23 जून, 1980) के बाद उनकी पत्नी मेनका गांधी अपने पति के संसदीय क्षेत्र अमेठी से चुनाव लड़ना चाहती थीं। लेकिन तब उनकी उम्र 25 वर्ष नहीं थी, जो भारत में चुनाव लड़ने की न्यूनतम आयु है।ऐसे में मेनका चाहती थीं कि उनकी सास और देश की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी संविधान में संशोधन कर चुनाव लड़ने की न्यूनतम आयु को ही कम कर दें। हालांकि इंदिरा गांधी ने ऐसा नहीं किया और उपचुनाव में राजीव गांधी को अमेठी से उतार दिया। वह सांसद बन गए।
40 साल पहले
40 साल पहले भी यूपी की एक ही सीट पर दो गांधी आमने सामने थे. दरअसल, संजय के करीबी व विश्वासपात्र अकबर अहमद के साथ मिलकर मेनका ने राष्ट्रीय संजय मंच की स्थापना की. साल 1984 में राजीव गांधी के खिलाफ आम चुनाव अमेठी से ही मेनका ने लड़ा. हालांकि, 31 अक्टूबर, 1984 के बाद चुनाव का माहौल पूर्ण रूप से बदल गया. जब इंदिरा गांधी की हत्या उनके ही सिख अंगरक्षक द्वारा की गई. राजीव गांधी अंतरिम प्रधानमंत्री बना दिए गए औक चुनाव में जनता की भावना उनके पक्ष में हो गई. इस तरह माहौल राजीव गांधी की ओर मुड़ गया. घटना से पहले राजीव खेमे को नहीं लगता था कि वो मेनका गांधी को हरा पाएंगे क्योंकि जमीनी स्तर पर मेनका की अच्छी पकड़ थी पर घटना के बाद सबकुछ बदल गया और कांग्रेस ने शानदार जीत हालिस की, पार्टी को 514 में से 404 सीटें मिली. अमेठी में उन्होंने मेनका गांधी को बड़ी हार दी. 3.14 लाख से अधिक वोटों से हारने के बाद मेनका गांधी की जमानत जब्त हुई. इसके बाद अमेठी से उन्होंने चुनाव नहीं लड़ा
सुल्तानपुर लोकसभा सीट
मौजूदा समय की बात करें तो सांसद वरुण गांधी और उनकी मां और बीजेपी की दिग्गज नेता मेनका गांधी के पीलीभीत से चले आ रहे 30 साल पुराने रिश्ते पर इस चुनाव में ब्रेक लग गया. बीजेपी ने मेनका गांधी को तो सुल्तानपुर से उतारा है और वरुण गांधी का टिकट पीलीभीत से काटा है. पहली बार 2009 और फिर 2019 में वरुण गांधी पीलीभीत से सांसद हुए थे. साल 2014 में उनकी जीत सुल्तानपुर लोकसभा सीट से हुई थी.
2019 में एकमात्र सीट रायबरेली पर जीत
अगर रायबरेली लोकसभा सीट की बात करें तो इस सीट को हमेशा से कांग्रेस का गढ़ माना जाता रहा है. इसे और पुख्ता करने के लिए इस बात पर गौर कर सकते हैं कि साल कांग्रेस ने यूपी में 2019 में एकमात्र सीट जीती थी और वो सीट कोई और नहीं बल्कि रायबरेली ही थी. बीजेपी नेतृत्व इस दफा रायबरेली सीट को जीतने के लिए एक अभेद्य चक्रव्यूह का निर्माण करना चाहती है. पार्टी के गोपनीय सर्वे पर ध्यान दें तो इसमें वरुण गांधी का नाम सबसे ऊपर है. जिसके कारण बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व ने इस सीट से वरुण गांधी को उतरने को लेकर तैयारियां करनी शुरू कर दी है.