Haridwar Lok Sabha Chunav 2024: कांग्रेस में टिकट के लिए जीजा-साला और पिता- पुत्र आमने- सामने, क्या ढह जाएगा निशंक का किला?
Haridwar Lok Sabha Chunav 2024: हरिद्वार लोकसभा सीट का इतिहास बहुत ही रोचक रहा है. आगे जानें इस सीट का पूरा इतिहास, मायावती और रामविलास पासवान का उत्तराखंड की इस सीट से क्या नाता है?. इस सीट की संपूर्ण जानकारी के लिए आगे जरूर पढ़ें....
Haridwar: उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के करीब वाली इस सीट राजनीति में खास जगह रखता है. तीर्थनगरी हरिद्वार लोकसभा सीट से वर्तमान में भाजपा के डॉ.रमेश पोखरियाल सांसद हैं. गंगा के समीप वाली इस सीट का स्वभाव भी गंगा की लहरों की तरह कभी एक समान नहीं रहा है.इस सीट पर हमेशा से जातिय समीकरण और हिंदुत्व हावी रहा है. यही कारण है कि लोकसभा के 11 चुनावों में सबसे ज्यादा पांच बार इस सीट पर भाजपा जीती है. पिछले कुछ समय से इस सीट पर पहाड़ी बनाम मैदानी का मुद्दा गरमाया है. यहां के ग्रामीण क्षेत्रों में खासकर विधानसभा ऋषिकेश, डोईवाला-भानियावाला, रुड़की पथरी विस्थापित में पहाड़ी वोटर का अपना दबदबा है, जो कहीं ना कहीं चुनाव में अहम भूमिका निभाते हैं.
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हरिद्वार का ऐताहासिक महत्व
हिंदू पौराणिक कथाओं से मिली जानकारी के अनुसार हरिद्वार समय के समान पुराना है और यह देश के सात सबसे पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक है. उत्तराखंड में स्थित, हरिद्वार की आबादी लगभग 18,90,422 के आस- पास है. जिसमें हिंदू, मुस्लिम, सिख, बौद्ध, जैन और ईसाई शामिल हैं और राज्य के सबसे पवित्र स्थानों के प्रवेश द्वार के रूप में सौहार्दपूर्वक रहते हैं.हिंदू धर्म के प्राचीन संतों ने भी शहर को शिक्षा के क्षेत्र में नेतृत्व करने के रुप में स्थापित किया था. 1902 में स्वामी श्रद्धानंद द्वारा स्थापित गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय, अध्ययन की गुरुकुल प्रणाली को बढ़ावा देता है. शहर में संस्कृत अध्ययन को बढ़ावा देने के लिए कई कॉलेज के साथ-साथ आयुर्वेदिक कॉलेज भी हैं.
हरिद्वार लोकसभा सीट का समीकरण
हरिद्वार सीट के समीकरण पर नजर डालें तो साल 2017 के चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक हरिद्वार सीट पर करीब 18 लाख मतदाता हैं. चुनाव आयोग के द्वारा दी गई जानकारी के अनुसारल साल 2014 के लोकसभा चुनाव में यहां पर 71.56 फीसदी वोटिंग हुई थी. हरिद्वार लोकसभा सीट में प्रदेश की 14 विधानसभा की सीटें हैं. इनमें 11 हरिद्वार जिले में तथा 3 देहरादून जिले की सीटें हैं. लोकसभा के अनुसार इस सीट का 60% भूभाग ग्रामीण है और 40% शहरी क्षेत्र है. इस सीट के शहरी भूभाग पर अनुसूचित जनजाती और अनुसूचित जाति का वर्चस्व रहता है. यहां पर 0.44 फीसदी अनुसूचित जनजाती तथा 19.23 प्रतिशत अनुसूचित जाति का वोटर रहता है. प्रदेश में सबसे ज्यादा ओबीसी वर्ग (40 फिसदी) का वोटर भी इसी लोकसभा सीट पर रहता है. बात मुस्लिम वोट की करें तो यहां मुस्लिम वोटर की अच्छी खासी तादात है. इस लोकसभा सीट पर 25 फिसदी मुस्लिम वोटर का दबदबा रहता है.
हरिद्वार लोकसभा का इतिहास
देश में लगे आपातकाल के बाद अस्तित्व में आई हरिद्वार लोकसभा सीट का अभी तक का इतिहास बहुत ही रोचक है. 1977 में पहली बार इस सीट पर चुनाव लड़े गए थे. भारतीय लोक दल के भगवान रामदास राठौड़ को इस सीट पर जीत हासिल हुई. 1980 में हुए लोकसभा चुनाव में जनता पार्टी (सेकुलर) के जगपाल सिंह को इस सीट पर जीतने का मौका मिला. इस सीट से 1984 में कांग्रेस के सुंदरलाल को जीत हासिल हुई. सुंदरलाल के निधन के कारण 1987 में उपचुनाव कराए गए. इस उपचुनाव में बसपा सुप्रीमो मायावती और लोक जनशक्ति पार्टी के शीर्ष नेता व मौजूदा केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने भी अपने हाथ अजमाए. इस उपचुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी राम सिंह 1,49,377 मत लेकर 23,978 वोटों के अंतर से चुनाव जीते. मायावती दूसरे स्थान पर रही और उन्हें 1,25,399 मत मिले.
चुनाव | सदस्य | पार्टी |
---|---|---|
1977 | भगवान दास राठौड़ | भारतीय लोक दल |
1980 | जग पाल सिंह | जनता पार्टी (सेकुलर) |
1984 | सुंदर लाल | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
1987 (उपचुनाव) | राम सिंह सैनी | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
1989 | जग पाल सिंह | भारतीय जनता पार्टी |
1991 | राम सिंह सैनी | भारतीय जनता पार्टी |
1996 | हरपाल सिंह साथी | भारतीय जनता पार्टी |
1998 | हरपाल सिंह साथी | भारतीय जनता पार्टी |
1999 | हरपाल सिंह साथी | भारतीय जनता पार्टी |
2004 | राजेंद्र कुमार बादी | समाजवादी पार्टी |
2009 | हरीश रावत | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
2014 | रमेश पोखरियाल | भारतीय जनता पार्टी |
2019 | रमेश पोखरियाल | भारतीय जनता पार्टी |
हरीश रावत की सियासत में वापसी
वर्तमान में कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के लिए हरिद्वार लोकसभा सीट सियासत में वापसी के लिए टर्निंग प्वाइंट साबित हुई. अल्मोड़ा संसदीय सीट से लगातार हार रहे हरीश रावत को 2009 में हरिद्वार से लोकसभा चुनाव पहली बार जीत मिली. वर्तमान में भी हरीश रावत हरिद्वार लोकसभा सीट से टिकट की दावेदारी कर रहे हैं.
बीजेपी में टिकट को लेकर संशय
भारतीय जनता पार्टी ने देश भर की 195 लोकसभा सीटों के लिए अपने प्रत्याशियों के नामों की घोषणा कर दी है. उत्तराखंड की पांच लोकसभा सीटों में से तीन लोकसभा सीटों पर चुनाव समिति ने नाम का ऐलान किया है. दो लोकसभा सीटों पर चुनाव समिति ने नाम तय नहीं किए हैं. हरिद्वार लोकसभा सीटों से पूर्व मुख्यमंत्री रह चुके पार्टी के वरिष्ठ नेता डॉ.रमेश पोखरियाल सांसद हैं. माना जा रहा है कि इस लोकसभा सीटों पर मौजूदा सांसद का टिकट कट सकता है.
कांग्रेस की तैयारी
हरिद्वार लोकसभा सीट पर कांग्रेस के भीतर कई लोग टिकट की दावेदार कर रहे हैं. दावेदारी करने वालों में सबसे आगे हरीश रावत का नाम लिया जा रहा है. पूर्व कैबिनेट मंत्रियों में डॉ हरक सिंह रावत व शूरवीर सिंह सजवाण ने इस सीट पर टिकट के लिए खुलकर दावेदारी की है. सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार हरिद्वार लोकसभा सीट से हरीश रावत के पुत्र वीरेंद्र रावत टिकट पाने की दौड़ में बताए जा रहे हैं. खबर है कि कांग्रेस पार्टी अभी पार्टी में टिकट तो दूर की बात दावेदारों का ही आकलन हो रहा है.