UP Politics: राष्ट्रीय लोक दल (RLD) प्रमुख जयंत चौधरी ने सोमवार को समाजवादी पार्टी का दामन छोड़कर भाजपा के साथ जाने का फैसला कर लिया. इसके बाद ही अखिलेश यादव और जयंत चौधरी की पुरानी दोस्‍ती टूट गई. जयंत चौधरी का यूं अखिलेश यादव से दूरी बना लेना लोकसभा में सीट शेयरिंग प्रमुख वजह बताई जा रही है. तो आइये जानते हैं आखिर अखिलेश यादव ने पांच वो कौन सी बड़ी गलतियां कर दीं, जिसने जयंत की दोस्‍ती में खटास पैदा कर दी.  


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अखिलेश-जयंत की दोस्‍ती में खटास की ये वजहें 
दरअसल, जानकारों का मानना है कि सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने जयंत चौधरी के सामने सीट बंटवारे का जो फार्मूला रखा था, वह उससे सहमत नहीं थे. सपा ने रालोद को पश्चिमी यूपी की सात सीटें (मेरठ, कैराना, मुजफ्फरनगर, मथुरा, हाथरस, बागपत, बिजनौर और अमरोहा) देने की बात कही थी. लेकिन रालोद के सामने 4 सीटों (कैराना, मुजफ्फरनगर, बिजनौर और मेरठ) के लिए उसी के सिंबल हैंडपंप पर समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार उतारने की शर्त रख दी. 


मुजफ्फरनगर सीट न देना भी बड़ी वजह 
सपा अध्‍यक्ष अखिलेश यादव की ये शर्त जयंत चौधरी की नाराजगी की बड़ी वजह रही. दरअसल, पश्चिमी यूपी की मुजफ्फरनगर सीट जाट लैंड मानी जाती है. जयंत चौधरी के लिए जाट लैंड में अपना प्रत्‍याशी उतारना  उनके लिए नाक का सवाल बन गया.  


अखिलेश यादव ने जयंत को मनाने की कोशिश नहीं की 
वहीं, नाराज जयंत चौधरी को सपा अध्‍यक्ष मनाने की बिल्‍कुल कोशिश नहीं की. इस बीच जयंत चौधरी की भाजपा से बातचीत शुरू हो गई. भाजपा ने बड़ा दांव खेलते हुए पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को भारत रत्‍न देने का ऐलान कर दिया. ऐसे में भाजपा ने सपा से नाराज जयंत चौधरी का दिल जीत लिया. 


सीट बंटवारे पर नहीं रखने दी जयंत को अपनी बात 
माना जाता है कि अखिलेश ने सात सीटों पर प्रत्‍याशियों का ऐलान तो कर दिया, लेकिन एक बार भी जयंत चौधरी को बात रखने का मौका भी नहीं दिया. बता दें कि पश्चिमी यूपी में जाट समुदाय का करीब 17 फीसदी वोट है. यहां लोकसभा की कुल 27 सीटें हैं. ऐसे में जयंत चौधरी का NDA गठबंधन का हिस्‍सा बनने पर भाजपा को सीधे फायदा होगा. 


पूर्वी यूपी में पैठ बढ़ाना चाहते थे जयंत 
सपा से रालोद की दूरी की एक और वजह ये बताई जा रही है कि जयंत चौधरी पश्चिमी यूपी के बाद अब पूर्वी यूपी में भी अपनी पैठ बढ़ाना चाहते थे, लेकिन सपा ने उन्हें एक भी सीट किसी और इलाके में देने पर बात तक नहीं की. ऐसे में अब सपा को पश्चिमी यूपी में झटका लग सकता है. 


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