Mainpuri Loksabha Seat: पश्चिमी उत्तर प्रदेश की मैनपुरी सीट पर हमेशा से समाजवादी पार्टी का दबदबा रहा है. 1996 में हुए लोकसभा चुनाव के बाद से हमेशा सपा ही यहां जीत हासिल करती रही है. अकेले मुलायम सिंह यादव ने 5 बार इस सीट से जीत हासिल कर दिल्ली संसद तक का सफर किया है. समाजवादी पार्टी को इस सीट से 9 बार जीत हासिल हुई है. बीजेपी को इस सीट पर कभी भी जीत नहीं मिल पाई है. तो क्या इस बार के लोकसभा चुनाव में बीजेपी इस सीट को जीतकर इतिहास बना पाएगी?. जातिगत समीकरण की बात करें तो इस सीट पर यादव वोटर्स सबसे ज्यादा हैं. आगे जानें क्या है इस सीट का पूरा समीकरण.....


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किसने किसको बनाया उम्मीदवार
उत्तर प्रदेश में सपा का "इंडिया" के साथ गठबंधन है. भारतीय जनता पार्टी की बात करें तो बीजेपी, आरएलडी. अपना दल और निषाद पार्टी का गठबंधन है. इंडिया गठबंधन ने पूर्व सीएम अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव को अपना प्रत्याशी बनाया है. भाजपा और उनके सहयोगी दलों ने अभी तक अपने प्रत्याशी के नाम का ऐलान नहीं किया है. मैनपुरी सीट पर वोटिंग लोकसभा चुनाव 2024 तीसरे चरण के दौरान 7 मई को होने हैं. 


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जातीगत समीकरण
सपा का गढ़ कहे जाने वाली मैनपुरी लोकसभा सीट पर पिछड़ी जातियों की बहुलता है. इस सीट पर योदव वोटर की अधिकता है. मीडिया रिपोर्ट ते मुताबिक इस सीट पर यादव वोटर्स की संख्या 3.5 लाख है. इसके अलावा राजपूत वोटर्स की संख्या 1.5 लाख है और शाक्य वोटर्स की संख्या 1.6 लाख है. इस सीट पर ब्राह्मण वोटर 1.2 लाख, जाटव वोटर 1.4 लाख और लोधी राजपूत वोटर्स की संख्या एक लाख है. मैनपुरी में मुस्लिम वोटर भी एक लाख के करीब है. जबकि कुर्मी मतदाता भी एक लाख हैं.


विधानसभा में बढ़ा बीजेपी का ग्रा
मैनपुरी लोकसभा सीट के अंतर्गत 5 विधानसभाएं आती हैं. जिसमें मैनपुरी, भोंगांव, किशनी, करहल और जसवंतनगर शामिल है. साल 2022 विधानसभा चुनाव में 3 सीटों पर समाजवादी पार्टी और 2 सीटों पर भारतीय जनता पार्टी को जीत मिली है. मैनपुरी विधानसभा सीट से बीजेपी के जयवीर सिंह और भोंगांव सीट से बीजेपी के रामनरेश अग्निहोत्री ने जीत हासिल की. जबकि किशन, करहल और जसवंतनगर से समाजवादी पार्टी को जीत मिली. किशनी से ब्रजेश कठेरिया, करहल से अखिलेश यादव और जसवंतनगर से शिवपाल सिंह यादव विधायक हैं.


राजनीतिक समीकरण
इस लोकसभा सीट  के राजनीतिक इतिहास की बात करें तो इस पर 1957 में सबसे पहले पीएसपी की टिकट पर बंसीदास धांगर ने जीत हासिल की थी. 1962 में कांग्रेस के बादशाह गुप्ता और फिर 1967 से 1971 में कांग्रेस के ही महाराज सिंह को इस सीट पर जीत हासिल हुई थी. देश में इमरजेंसी के बाद 1977 में हुए चुनाव में भारतीय लोकदल के रघुनाथ सिंह वर्मा ने कांग्रेस को झटका देते हुए महाराज सिंह को हराया. 1980 में हुए लोकसभा चुनाव  में रघुनाथ सिंह वर्मा जनता पार्टी सेक्यूलर की टिकट पर जीते. 1984 में कांग्रेस के बलराम सिंह यादव जीते और वे यहां से सांसद चुने गए. 1989 जनता दल और 1991 में जनता पार्टी से उदय प्रताप सिंह ने इस सीट पर जीत हासिल की. 1996 में पहली बार मुलायम सिंह यहां से सांसद चुने गए थे. 


सपा का दबदबा कायम
साल 1996 के बाद से हमेशा सपा का ही इस सीट पर  कब्जा रहा है. साल 1998 और साल 1999 चुनाव में समाजवादी पार्टी के बलराम सिंह यादव को जीत मिली. साल 2004 आम चुनाव में एक बार फिर मुलायम सिंह यादव सांसद चुने गए. उन्होंने 2009, 2014 और 2019 आम चुनाव में भी जीत दर्ज की. साल 2014 में जीत के बाद मुलायम सिंह यादव ने सीट छोड़ दी थी. जिसके बाद उपचुनाव में समाजवादी पार्टी के तेज प्रताप सिंह यादव ने जीत दर्ज की थी. 


एक बार फिर मुलायम
लोकसभा चुनाव 2019 में इस सीट पर फिर से मुलायम सिंह यादव ने चुनाव लड़ा. समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद मैनपुरी लोकसभा सीट खाली हुई थी. जिसपर साल 2022 में उपचुनाव हुए. जिसमें मुलायम सिंह की बहू और अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव को जीत मिली थी. एसपी उम्मीदवार ने 2.88 लाख वोटों से जीत हासिल की थी. डिंपल यादव को 6 लाख 18 हजार 120 वोट मिले थे. जबकि बीजेपी के उम्मीदवार रघुराज सिंह शाक्य को 3 लाख 29 हजार 659 वोट मिले थे.