ISKCON History: यहां जानें इस्कॉन का पूरा इतिहास, भारत से उठकर कैसे विश्व में छा गया यह संप्रदाय
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ISKCON History: यहां जानें इस्कॉन का पूरा इतिहास, भारत से उठकर कैसे विश्व में छा गया यह संप्रदाय

ISKCON History: बांग्लादेश में चिन्‍मय प्रभु को गिरफ्तार कर लिया गया है. चिन्‍मय प्रभु इस्‍कॉन से जुड़े रहे हैं. चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी की रिहाई को लेकर इस्‍कॉन ने भारत सरकार से मदद की मांग की है. ऐसे में हम आपको बता रहे हैं कि क्या है इस्कॉन? कौन थे इस्कॉन के संस्थापक? आखिर क्यों इस्कॉन की स्थापना की गई. 

ISKCON History: यहां जानें इस्कॉन का पूरा इतिहास, भारत से उठकर कैसे विश्व में छा गया यह संप्रदाय

ISKCON History: इन दिनों बांग्लादेश में  हिंदुओं पर अत्‍याचार जारी है. इस अत्याचार के खिलाफ चिन्‍मय प्रभु खड़े हुए तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. चिन्‍मय प्रभु इस्‍कॉन से जुड़े रहे हैं. चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी की रिहाई को लेकर इस्‍कॉन ने भारत सरकार से मदद की मांग की है. इस गिरफ्तारी के बाद हर जगह चिन्‍मय प्रभु और इस्कॉन की चर्चा हो रही है. ऐसे में हम आपको बता रहे हैं कि क्या है इस्कॉन? कौन थे इस्कॉन के संस्थापक? आखिर क्यों इस्कॉन की स्थापना की गई. 

क्या है इस्कॉन का पूरा नाम

इस्कॉन का पूरा नाम इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस (International Society for Krishna Consciousness, ISKCON) है. जिसे शॉर्ट में हम इस्कॉन कहते हैं. इस्कॉन सोसाइटी की स्थापना साल 1966 में भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद की ओर से की गई थी. उनका जन्म कोलकाता में हुआ था.

किसने की थी इस्कॉन की स्थापना

भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद लीलाधर भगवान श्री कृष्ण के बहुत बड़े भक्त थे. वह हमेशा कृष्ण की भक्ति में ही लीन नजर आते थे. कृष्ण भक्ति में वह इतने रम गए कि उन्होंने गौड़ीय संप्रदाय के अभिलेख लिखने का काम शुरू कर दिया. स्वामी प्रभुपाद पर इस कार्य का इतना गहरा असर पड़ा कि उन्होंने एक भक्ति आंदोलन तैयार करने का मन बना लिया.

न्यूयॉर्क सिटी में की इस्कॉन की स्थापना

जिसके बाद स्वामी प्रभुपाद ने हरे कृष्णा मूवमेंट की शुरुआत की. कृष्ण भक्ति में लीन स्वामी प्रभुपाद ने न्यूयॉर्क सिटी में इस्कॉन की स्थापना कर दी. भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद पूरी दुनिया में कृष्ण भक्ति का प्रचार-प्रसार किया. नतीजा आज सभी के सामने है कि अक्सर आप सड़कों पर भी देखते होंगे कि विदेशी युवक-युवतियां झाल, ढोलक और मजीरा लेकर कृष्ण भक्ति में लीन नजर आते है.

इस्कॉन की स्थापना के लिए गए अमेरिका

भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद इस्कॉन की स्थापना की मंशा से अमेरिकी यात्रा पर चले गए. वहां पहुंचकर हरे कृष्ण मूवमेंट की स्थापना के लिए अकेले ही संघर्ष किया. इसे स्थापित करने के लिए वह जगह-जगह कृष्ण को लेकर व्याख्यान देने लगे. धीरे-धीरे लोग उनसे जुड़ने लगे. आज दुनिया भर में इस्कॉन के 400 से अधिक मंदिर हैं. इसके अलावा अब इस्कॉन की ओर से कई शाकाहारी भोजनालाय चलाए जाते हैं.

क्या है इस्कॉन का उद्देश्य?

इस्कॉन का उद्देश्य साफ है. वह भजन और भक्ति के जरिए देश-दुनिया के लोगों को ईश्वर से जोड़ने की कोशिश में है. इस्कॉन सोसाइटी की ओर से वेदों और वैदिक ग्रंथों की शिक्षा दी जाती है. इसमें श्रीमद्भागवत गीता भी शामिल है. इस्कॉन के अनुयायी दुनिया भर में श्री कृष्ण, गीता और हिंदू धर्म-संस्कृति का प्रचार करते नजर आते हैं. इस्कॉन के अनुयायी तामसिक भोजन से भी दूरी बनाए रहते हैं.

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