Lok Sabha Chunav 2024: रायबरेली लोकसभा सीट को कांग्रेस का गढ़ कहा जाता है. राहुल गांधी के अमेठी छोड़कर रायबरेली से चुनाव लड़ने के फैसले के बाद यहां सियासी तापमान और चढ़ा हुआ है. बीजेपी ने यहां से योगी सरकार में मंत्री दिनेश प्रताप सिंह को प्रत्याशी बनाया है. जबकि बसपा से ठाकुर प्रसाद यादव चुनावी मैदान में हैं. इस बार रायबरेली सीट की लड़ाई दिलचस्प नजर आ रही है. 


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कांग्रेस नेता राहुल गांधी के सामने चुनौती है कि वह यूपी में कांग्रेस के आखिरी किले को बचा पाएं और मां सोनिया गांधी की सीट पर जीत दर्ज करें. वहीं बीजेपी से चुनाव लड़ रहे दिनेश प्रताप सिंह उनको चित करने के जोर लगाने में जुटे हैं. बसपा के ठाकुर प्रसाद यादव की कोशिश होगी कि वह रायबरेली की सियासी लड़ाई को त्रिकोणीय बनाया जा सके. सपा के कांग्रेस को समर्थन से लड़ाई रोचक नजर आ रही है. 


रायबरेली सीट गांधी परिवार की परंपरागत सीटों में रही है. कांग्रेस के गढ़ के तौर पर गिनी जाने वाली इस सीट पर केवल तीन गैर कांग्रेसी सांसद चुने गए हैं. गांधी परिवार से यहां से पहला चुनाव राहुल गांधी के दादा फिरोज गांधी ने लड़ा था. इसके बाद इंदिरा गांधी और सोनिया गांधी जीतकर संसद पहुंचती रहीं. राहुल गांधी के नाम के ऐलान के साथ रायबरेली से गांधी परिवार की तीसरी पीढ़ी  चुनावी मैदान में उतरी है. 


सोनिया गांधी 2004 से यहां से सांसद रही हैं. लेकिन चुनाव दर चुनाव कांग्रेस का जनाधार खिसक रहा है. 2009 में कांग्रेस को 72.2. फीसदी वोट मिले. इसके बाद 2014 में 63.8 फीसदी और 2019 आते-आते यह 55.8 फीसदी पर आ गया. राहुल गांधी के सामने इसे बढ़ाने की चुनौती होगी. सपा का साथ मिलने से कांग्रेस को राहत मिली है. 2022 विधानसभा चुनाव में यहां की 5 विधानसभा में 4 पर साइकिल दौड़ी थी. 


बीजेपी का दिनेश सिंह पर क्यों दांव
2019 लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी से दिनेश प्रताप सिंह चुनाव लड़े थे लेकिन कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी से उनको हार मिली थी. सोनिया गांधी को 5 लाख 34 हजार 918 वोट मिले जबकि दिनेश सिंह को 3 लाख 67 हजार 740 वोट मिले थे. गौर करने वाली बात यह है कि दिनेश प्रताप सिंह इकलौते ऐसे प्रत्याशी हैं, जिनको गांधी परिवार के सामने सबसे ज्यादा वोट मिले. इसकी के चलते उनको पार्टी ने फिर मैदान में उतारा है. 


बड़े-बड़े सूरमा हारे
रायबरेली लोकसभा सीट के इतिहास को देखें तो यहां से कई दिग्गजों को हार का सामना करना पड़ा है. इसमें 1977 में इंदिरा गांधी, भीम राव अंबेडकर की पत्नी सविता अंबेडकर, विजया राजे सिंधिया, जनेश्वर मिश्र, विनय कटियार का नाम शामिल है. रायबरेली सीट पर ओबीसी वोटर करीब 23 फीसदी हैं, इसमें 9 फीसदी यादव मतदाता हैं. जबकि दलित मतदाता भी करीब 32 फीसदी के आसपास हैं. बसपा इनको अपने पाले में लाने की कोशिश करेगी.


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