UP Rajya Sabha Seats: राज्यसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने अपने प्रत्याशियों की सूची जारी कर दी है. बीजेपी ने उत्तर प्रदेश की 7 सीटों के लिए सुधांशु त्रिवेदी, आरपीएन सिंह, तेजवीर सिंह, साधना सिंह, संगीता बलवंत, नवीन जैन और अमरपाल मौर्या को प्रत्याशी बनाया गया है. यूपी में राज्यसभा की 10 सीटें खाली हैं. बीजेपी ने यूपी के अलावा बिहार, छत्तीसगढ़, हरियाणा और कर्नाटक की सीटों के लिए उम्मीदवार घोषित किए हैं. पार्टी ने कुल 12 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की है. भाजपा ने लोकसभा चुनाव से पहले राज्यसभा चुनाव के जरिए  प्रदेश में पिछड़ा और महिला कार्ड खेला है. 


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BJP ने साधा जातीय समीकरण
पार्टी ने जातीय समीकरण साधने के लिए एक ब्राह्मण, एक वैश्य, एक ठाकुर और चार पिछड़े (एक कुर्मी, एक मौर्य, एक जाट और एक बिंद ) को प्रत्याशी बनाया है. सात में से चार प्रत्याशी पिछड़े वर्ग से मैदान में उतारकर पार्टी ने प्रदेश में ओसीबी की प्रमुख जातियों को प्रतिनिधित्व दिया है तो वहीं दो महिला उम्मीदवार उतारकर नारी शक्ति वंदन अधिनियम के तहत किए गए अपने वादे को पूरा करने का संदेश दिया है. बीजेपी ने अपने परंपरागत वोट बैंक ब्राह्मण, ठाकुर और वैश्य का भी ध्यान रखा है. विधानसभा में बीजेपी की सदस्य संख्या के लिहाज से सभी सात प्रत्याशियों का राज्यसभा सदस्य निर्वाचित होना तय है.  


जातीय समीकरणों पर जोर
भाजपा ने जिन 14 उम्मीदवारों के नाम का ऐलान किया है, उसमें लोकसभा चुनाव के मद्देनजर जातीय समीकरण का खास ध्यान रखा गया है. बीजेपी ने यूपी से राज्यसभा के उम्मीदवारों का चयन करने में पिछड़ी जातियों को खास तरजीह दी है. भाजपा ने ब्राह्मण समाज से सुधांशु त्रिवेदी और वैश्य समाज से नवीन जैन को प्रत्याशी बनाया है. वहीं साधना सिंह को प्रत्याशी बनाकर महिला और क्षत्रिय दोनों निशाने साधा है. लोकसभा चुनाव में 60 फीसदी वोट पाने के लिए पिछड़ों पर जोर दिया हैं. प्रदेश में पिछड़े वर्ग में कुर्मी, जाट, बिंद और मौर्य को बीजेपी का वोट बैंक माना जाता है.  प्रदेश के करीब 12 प्रतिशत कुर्मी वोट बैंक को साधने के लिए पूर्वांचल के कुर्मी नेता आरपीएन सिंह को उम्मीदीवार बनाया है. कुर्मी, कुशवाहा, शाक्य, सैनी वोट बैंक को साधने के लिए अमरपाल मौर्य को टिकट दिया है.


पश्चिमी यूपी में पकड़ मजबूत करने की कोशिश
पश्चिमी यूपी में जाट वोट बैंक में अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश बीजेपी ने की है. रालोद से गठबंधन की चर्चा के बीच पार्टी ने मथुरा के पूर्व सांसद तेजवीर सिंह को टिकट दिया है.पूर्वांचल में गाजीपुर, बलिया, मऊ, चंदौली और वाराणसी में बिंद मतदाताओं की अच्छी खासी संख्या है.  बिंद वोटरों में अपना जन आधार बढ़ाने के लिए पार्टी ने संगीता बलवंत बिंद को राज्यसभा भेजने का फैसला लिया है.


यूपी की अहमियत को बेहतर समझती है बीजेपी
बीजेपी के जिन नौ सदस्यों का कार्यकाल 2 अप्रैल 2024 को पूरा हो रहा है. उनमें केवल कांता कर्दम महिला सदस्य हैं. पार्टी महिलाओं को बताने का प्रयास कर रही है कि मोदी सरकार ने संसद में महिला प्रतिनिधित्व बढ़ाने के लिए यह अधिनियम मंजूर कराया है.  इसे साकार करने के लिए पार्टी ने राज्यसभा में एक की जगह दो महिलाओं को टिकट दिया है. यूपी की राजनीति में चंदौली की राजनीतिक ताकत बढ़ी है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह चंदौली से है.  राज्यसभा सदस्य दर्शना सिंह भी चंदौली से हैं. अब चंदौली की ही साधना सिंह का भी राज्यसभा जाना पक्का लग रहा है.


इन्हें नहीं मिला टिकट
राज्यसभा में बीजेपी की कांता कर्दम अनुसूचित जाति से हैं. लेकिन, मौजूदा 7 प्रत्याशियों में एक भी एससी नहीं हैं.  वर्तमान में अनिल जैन और अनिल अग्रवाल वैश्य समाज से हैं, लेकिन इस बार केवल वैश्य समाज से नवीन जैन को टिकट दिया गया है.  ब्राह्मण समाज से अशोक बाजपेयी और सुधांशु त्रिवेदी राज्यसभा सदस्य हैं. सुधांशु को ही दोबारा मौका मिला है.


राज्यसभा चुनाव के जरिए  प्रदेश में पिछड़ा और महिला कार्ड


आरपीएन सिंह (RPN Singh)
आरपीएन सिंह पूर्वी उत्तर प्रदेश के एक सैंथवार नेता हैं. ये यूपी के कुशीनगर (पडरौना) के एक सैंथवार शाही परिवार से आते हैं. 1996, 2002 और 2007 में पडरौना सीट से कांग्रेस के टिकट पर विधायक भी रह चुके हैं. 2009 में सांसद भी चुने गए थे. हालांकि, 2014 और 2019 में मोदी लहर में आरपीएन सिंह को हार गए थे. इसके बाद 2022 में इन्होंने बीजेपी ज्वाइन कर ली. बीजेपी ने अब इन्हें राज्यसभा भेजने का फैसला किया है.


चौधरी तेजवीर सिंह
मथुरा ने लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व करते हुए तेजवीर सिंह ने संसद सदस्य के रूप में कार्य किया है. चौधरी तेजवीर सिंह यूपी के जाट नेता हैं और उत्तर प्रदेश सहकारी बैंक के पूर्व चेयरमैन भी रह चुके हैं. तेजवीर सिंह 1996, 1998, 1999 में सांसद भी निर्वाचित हुए थे. इनकी गिनती बीजेपी के संगठन नेताओं में होती है.


साधना सिंह
साधना सिंह चंदौली की रहने वाली हैं. वह विधायक भी रह चुकी हैं. साधना जिला पंचायत अध्यक्ष भी रह चुकी हैं. भाजपा महिला मोर्चा चंदौली की अध्यक्ष भी रह चुकी हैं. विधायक रहते हुए साधना सिंह मुगलसराय (अब दीनदयाल उपाध्याय नगर) को रिप्रजेंट करती थीं. वह पार्टी की पुरानी नेता और 2022 में टिकट नहीं मिलने के बाद भी इन्होंने जमीन पर पार्टी को मजबूत करने का काम किया. 


संगीता बलवंत
संगीता बलवंत का गृहनदर गाजीपुर जिला है. इनका ताल्लुक बिंद जाति से है. इनके पिता रामसूरत बिंद की गिनती बीजेपी के बड़े नेताओं में होती थी. वर्तमान में गाजीपुर की सदर सीट से विधायक भी रह चुकी हैं. संगीता छात्र जीवन से ही राजनीति में सक्रिय रही हैं. इसके अलावा वे गाजीपुर पीजी कालेज की उपाध्यक्ष भी रह चुकी हैं. योगी की पहली सरकार में मंत्री भी थीं. 


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