BJP in Uttar Pradesh: उत्तर प्रदेश से लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद बीजेपी के भीतर पराजय का पोस्टमार्टम शुरू हो चुका है. संगठन में बड़े स्तर पर बदलाव देखे जा सकते हैं. हालांकि सूत्रों के मुताबिक, मोटे तौर पर जो बातें सामने आ रहे हैं, उनमें स्थानीय स्तर पर दो या तीन बार से जीत रहे सांसदों के खिलाफ नाराजगी और पार्टी के कुछ नेताओं के भितरघात को बड़ी वजह माना जा रहा है. ऐसे में बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी दिल्ली रवाना हो गए हैं.  पार्टी का प्रचारतंत्र पर पूरी तरह ताकत भरोसा करना और जमीनी स्तर पर जनता से कनेक्ट न करना भी बड़ी वजह माना जा रहा है. वहीं सूत्रों का कहना है कि सीएम योगी आदित्यनाथ भी गुरुवार शाम दिल्ली जा सकते हैं और आलाकमान से चर्चा के बाद शीर्ष स्तर पर बड़े फैसले लिए जा सकते हैं.


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मुजफ्फरनगर में संजीव बालियान और संगीत सोम का झगड़ा पार्टी नेतृत्व के प्रयासों के बावजूद सुलझ नहीं सका. वहीं अंबेडकरनगर जैसी लोकसभा सीटों पर भी दूसरे दल से आए प्रत्याशी रीतेश पांडेय के लिए भी स्थानीय स्तर पर कई नेता भितरघात करते दिखे.


उत्तर प्रदेश में बीजेपी के खराब प्रदर्शन के कई कारण रहे हैं. इसमें सत्ताधारी दल का अत्यधिक केंद्रीयकरण और मशीनी करण भी शामिल है. लोकसभा चुनाव 2024 में भारतीय जनता पार्टी का प्रदर्शन गिरने के बाद अब प्रदेश मंत्रिमंडल और संगठन में बदलाव तय माने जा रहे हैं. इसे लेकर सियासी गलियारों में चर्चाएं भी शुरू हो गई हैं. ऐसा कहा जा रहा है कि दिल्ली में नई सरकार बनने के बाद सबसे पहले राष्ट्रीय स्तर पर संगठन में बदलाव होंगे.  फिर इसके बाद प्रदेश में बदलाव किए जाएंगे.


यूपी की सभी 80 सीटों को जीतने का लक्ष्य लेकर लोकसभा चुनाव के  मैदान में उतरी बीजेपी को महज 36 (बीजेपी 33, रालोद 2 और अपना दल एक) सीटें ही मिली. ये बीजेपी के अनुमान से कम थी. बात करें पिछले चुनाव की तो इस बार बीजेपी को 30 सीटों का नुकसान उठाना पड़ा है. माना जा है कि संगठन ने जमीनी स्तर पर उस तरह से काम नहीं किया, जैसे करना चाहिए था. इसी को लेकर  प्रदेश संगठन में फेरबदल की चर्चाएं शुरू हो गई हैं.


चेहरे बदलने की तैयारी
सूत्रों के मुताबिक राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का कार्यकाल इसी महीने पूरा हो रहा है, इसलिए पहले राष्ट्रीय संगठन में बदलाव किया जाएगा. राष्ट्रीय अध्यक्ष समेत अन्य पदों पर भी चेहरे बदलने की तैयारी है. फिर इसके बाद यूपी में बदलाव की बात कही जा रही है.  सूत्रों का कहना है कि यूपी  में खासकर उन जिलों पर ज्यादा ध्यान दिया जाएगा, फोकस किया जाएगा, जहां पार्टी का प्रदर्शन खराब रहा है और जहां से हार का भी सामना करना पड़ा है.  इसके अलावा खबर है कि अच्छा प्रदर्शन नहीं करने वाले क्षेत्रीय अध्यक्ष से लेकर जिला और महानगर अध्यक्षों तक पर गाज गिर सकती है.


कई मंत्रियों को हटाकर नए लोगों को मौका
इस चुनाव में बीजेपी ने प्रदेश के चार मंत्रियों को मैदान में उतारा था. इनमें से दो की जीत मिली. ऐसे में उनकी जगर  पर मंत्रिमंडल में दो नए सदस्यों को भी शामिल किया जाएगा. इसके साथ उन मंत्रियों पर भी गाज गिर सकती है जो रिजल्ट में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाए. इनकी जगह पर कई मंत्रियों को हटाया जाएगा और नए लोगों को मौका मिल सकता है.


होगी समीक्षा
सूत्रों का कहना है कि बीजेपी नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने के बाद सबसे पहले ग्राफ गिरने के कारणों की समीक्षा करेगी. फिर इसके बाद केंद्रीय नेतृत्व के साथ ही उन प्रदेशों के संगठन की भी समीक्षा करेगी, जिन प्रदेशों में बीजेपी के ग्राम में गिरावट आई है.  सूत्रों के मुताबिक अगले महीने की 15 तारीख से पहले संगठन में बदलाव करने की तैयारी है.


कम हो सकती है यूपी की हिस्सेदारी
यूपी में बीजेपी को तगड़ा झटका लगा है और उम्मीद से कम सीटें मिली हैं.  सीटें घटने के बाद अब केंद्र में बनने वाली एनडीए-3 की सरकार में यूपी की हिस्सेदारी भी घटने के अनुमान लगाए जा रहे हैं. मौजूदा सरकार में पीएम नरेन्द्र मोदी और अपना दल (एस) की अनुप्रिया पटेल समेत यूपी से कुल 14 मंत्री हैं. इनमें से एक मंत्री राज्यसभा से हैं, जबकि 13 मंत्री लोकसभा चुनाव लड़कर जीते हैं.


यूपी में भीतरघात के कारण हारी बीजेपी?
सूत्रों के हवाले से खबर है कि यूपी में भीतरघात के कारण बीजेपी हार गई है. उत्तर प्रदेश में बीजेपी के खराब प्रदर्शन के बाद अब पार्टी के भीतर भीतरघात की आवाज़ तेज़ हो गई है. बीजेपी पार्टी के अंदर हुई भीतरघात पर रिपोर्ट तैयार करेगी. भाजपा आलाकमान को इसकी रिपोर्ट भेजी जाएगी  और इस पर बड़ी कार्यवाही हो सकती है.


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