Shravasti Lok Sabha Seat: भगवान राम के बेटे लव की राजधानी और महात्मा बुद्ध के समय कोशल देश की राजधानी रहा यूपी का श्रावस्ती जिला न केवल बौद्ध धर्म की पवित्र स्थली के तौर पर दुनियाभर मशहूर है बल्कि राजनीति में भी खास पहचान रखता है. यहां की लोकसभा का इतिहास ज्यादा पुराना नहीं है, जितने भी चुनाव हुए हैं. हर बार नए दल के उम्मीदवार को यहां की जनता ने जिताकर संसद पहुंचाया. सपा अब तक इस सीट पर नहीं जीती है. 


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2024 लोकसभा चुनाव में कौन प्रत्याशी (shravasti Lok Sabha Chunav 2024 Candidate)
बीजेपी -  साकेत मिश्रा
सपा-कांग्रेस गठबंधन -   घोषित नहीं
बसपा - घोषित नहीं


श्रावस्ती लोकसभा सीट में आती हैं 5 विधानसभा
श्रावस्ती लोकसभा सीट कुल 5 विधानसभा क्षेत्रों से मिलकर बना है. इसमें दो श्रावस्ती जिले और 3 सीटें बलरामपुर जिले की शामिल है. श्रावस्ती जिले की भिनगा और श्रावस्ती विधानसभा सीट शामिल है, जबकि बलरामपुर की तुलसीपुर, गैंसारी और बलरामपुर शामिल है. इनमें से तीन पर बीजेपी और एक पर समाजवादी पार्टी का कब्जा है. 


2009 में पहली बार हुए चुनाव
2008 में आस्तित्व में आई इस सीट पर पहली बार 2009 में लोकसभा चुनाव हुआ. तब यहां कांग्रेस के डॉ. विनय कुमार पांडे ने जीत दर्ज की थी. तब उन्होंने बसपा प्रत्याशी रिजवान जहीर को शिकस्त दी है. बीजेपी उम्मीदवार सत्यदेव सिंह चौथे नंबर पर रहे थे. 


माफिया अतीक लड़ चुका है चुनाव 
2014 में इस लोक सआ सीट से समाजवादी पार्टी ने माफिया अतीक अहमद को इस सीट से उम्मीदवार बनाया था. प्रयागराज को छोड़कर इस सीट से चुनाव लड़ने के पीछे जातीय समीकरण बताए जाते हैं. 2014 लोकसभा चुनाव में मोदी लहर में इस सीट पर पहली बार कमल खिला था. तब बीजेपी के दद्दन मिश्र ने जीत दर्ज की थी. उन्होंने सपा के टिकट पर चुनाव लड़े अतीक अहमद को पटखनी दी थी. बसपा के लाल जी वर्मा तीसरे स्थान पर रहे थे. 


2019 में दौड़ा हाथी
2019 में यहां बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़े राम शिरोमणि वर्मा ने चुनाव जीता था. उन्होंने बीजेपी प्रत्याशी दद्दन मिश्रा को करीब 5 हजार वोटों से शिकस्त दी थी. कांग्रेस के धीरेंद्र सिंह तीसरे स्थान पर रहे थे. 


श्रावस्ती सीट के जातीय समीकरण 
श्रावस्ती लोकसभा क्षेत्र में ब्राह्मण मतदाता 30 प्रतिशत, मुस्लिम वोटरों की संख्या करीब 20 प्रतिशत, कुर्मी वोटर करीब 20 से 25 फीसदी, 15 फीसदी यादव, क्षत्रिय वोटर 5 से 7 प्रतिशत हैं. इसके अलावा दलित वोटरों की संख्या 10 से 12 फीसदी है. 


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