हल्द्वानी/लखनऊ : बस एक्सीडेंट पर ड्राइवर को सजा और जुर्माने के प्रावधान के विरोध का मुद्दा गरमाता जा रहा है. उत्तर प्रदेश से लेकर उत्तराखंड तक ट्रक और बस चालकों की हड़ताल का असर देखने को मिल रहा है. उत्तराखंड में रोडवेज ड्राइवरों के हड़ताल के चलते हल्द्वानी डिपो की 60 से अधिक बसें खड़ी हो गई है. इससे दिल्ली देहरादून, हरिद्वार,जयपुर, चंडीगढ़ जाने वाली यात्रियों की दिक्कतें बढ़ गई है.


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लखनऊ, कानपुर से लेकर बांदा मैनपुरी समेत यूपी के तमाम शहरों में विरोध प्रदर्शन देखने को मिल रहा है. हड़ताल लंबी चलने के अंदेशे को देखते हुए लोगों की पेट्रोल पंपों पर कतार लग गई है. मंडियों में सब्जियों की लूट मचने लगी है. साहिबाबाद और आजादपुर मंडी में भी थोक भाव में उछाल देखने को मिल रहा है.


हल्द्वानी के रोडवेज स्टेशन पर दिल्ली, देहरादून, जयपुर जाने वाले यात्री घंटे तक खड़े रहे लेकिन उन्हें बस नहीं मिल सकी. अब यात्री अपने लिए ट्रेन और टैक्सी का इंतजाम करने में जुटे हुए हैं.नए साल की शुरुआत में ही स्थानीय यात्रियों के अलावा पर्यटकों को भी आवाजाही में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. बताया जा रहा है कि अगले तीन दिन तक रोडवेज बस ड्राइवरों की हड़ताल जारी रहेगी, जिससे यात्रियों की दिक्कत है बढ़ सकती हैं. 


उत्तराखंड में चालकों को दी गई चेतावनी


उत्तराखंड राज्य परिवहन निगम के चालक परिचालकों के कार्य बहिष्कार के चलते रोडवेज बसों के पहिये पूरी तरह थमे रहे. हल्द्वानी से एक भी रोड पर बसे नहीं चलने के चलते यात्री मायूस नजर आए. यात्री सामान लेते भटकते रहे लेकिन रोडवेज की तरफ से उन्हें कोई उम्मीद दूर-दूर तक नजर नहीं आई. हालांकि प्रशासन की ओर से ड्राइवरों को मनाने का प्रयास जारी है. वहीं उत्तराखंड राज्य परिवहन निगम ने आदेश जारी किया है कि अगर मंगलवार से निर्धारित शेड्यूल पर अनुबंधित बसें उपलब्ध न कराई गईं तो प्रति बस प्रतिदिन 50 हजार रुपये का जुर्माना लगेगा.


सब्जियों और जरुरी सामान की सप्लाई का संकट
देहरादून ट्रांसपोर्ट नगर में ट्रक ड्राइवर हड़ताल पर हैं. यहां से हर दिन 1500 से ज्यादा ट्रक देश के अलग-अलग राज्यों में जाते हैं. ट्रांसपोर्ट नगर से पहाड़ों में जरुरी सामान की सप्लाई होती है. ट्रक ड्राइवर की हड़ताल से पहाड़ों में सब्जी खाद्य और अन्य सामान की सप्लाई में असर पड़ सकता है.


कठोर नियम लागू करने से नाराजगी
ट्रक और बस ड्राइवरों की हड़ताल का असर उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में भी देखने को मिल रहा है. लखनऊ के ट्रांसपोर्ट नगर में सैकड़ो की संख्या में ट्रक चक्काजाम हो चुकी हैं. ड्राइवर और ट्रक मालिक सड़क पर धरना दे रहे हैं. उनका कहना है कठोर नियम लागू नहीं करने चाहिए कोई जानबूझ के एक्सीडेंट नहीं करता है, जब तक ये कानून वापस नहीं होगा तब तक गाड़ियां सड़कों पर नहीं दौड़ेंगे. जिससे सिर्फ हमारा ही नहीं बल्कि आम लोगों का भी बड़ा नुकसान होगा.


इन राज्यों में व्यापक असर
उत्‍तर प्रदेश,मध्‍य प्रदेश, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात, छत्तीसगढ़, पंजाब और उत्तराखंड में आज हालात बिगड़ सकते हैं. आल इंडिया मोटर ट्रांसपार्ट कांग्रेस (गैर राजनीतिक ) ने आज दोपहर में इसे लेकर देशभर के ट्रांसपोर्ट यूनियनों की बैठक बुलाई है, जिसमें आगे की रणनीति तय की जाएगी.


दरअसल केंद्र सरकार ने अपराध और उसकी जांच प्रक्रिया को लेकर नए कानून बनाए हैं. इसके तहत यदि कोई ट्रक या डंपर चालक किसी को कुचलकर भागता है तो उसे 10 साल की जेल होगी.  इसके अलावा 7 लाख रुपये जुर्माना भी देना होगा.  


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पहले इस मामले में कुछ ही दिनों में आरोपी ड्राइवर को जमानत मिल जाती थी और वो पुलिस थाने से ही बाहर आ जाता था. हालांकि इस कानून के तहत भी दो साल की सजा का प्रावधान था. देश में हजारों जान सड़क हादसों में जाती है. अधिकांश मामलों में ड्राइवर चालकों को आसानी से जमानत मिल जाती है. सड़क हादसों में ज्यादातर मामले रफ्तार, नशा और लापरवाहीपूर्वन वाहन चलाने के हैं. ऐसे में ड्राइवर चालकों का विरोध लोगों के गले नहीं उतर रहा है.