UP Politics:उत्तर प्रदेश के 36 BJP सांसदों को खराब परफारमेंस रिपोर्ट जिला स्तर पर तैयार की गई थी, लेकिन लोकसभा चुनाव में इनको फिर भी टिकट मिला. स्थानीय स्तर पर ये नाराजगी भारी पड़ गई.
Trending Photos
UP Lok Sabha Election Result: उत्तर प्रदेश में भाजपा की लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद इसकी समीक्षा और कार्रवाई तेज हो गई है.सूत्रों के मुताबिक, इसी कड़ी में सामने आया है कि करीब 36 ऐसे सांसद थे, जिनकी खराब परफारमेंस रिपोर्ट लोकसभा चुनाव के टिकट बंटवारे के पहले भेजी गई थी, लेकिन इन्हें फिर से टिकट देना भारी पड़ गया. सूत्रों के अनुसार जिला लेवल पर ये बात निकल कर सामने आई है. यूपी में भाजपा के हारे हुए सांसदों की खराब परफॉर्मेंस पर रिपोर्ट फिर तैयार हो रही है.
पांच साल तक गायब रहे
जिन सांसदों के खिलाफ माहौल होने के आधार पर संगठन की ओर से टिकट बदलने की रिपोर्ट हाईकमान को भेजी गई थी, उनमें अधिकांश सांसदों के बारे में यही कहा जाता रहा है कि चुनाव जीतने के बाद पांच साल तक यह जनता के बीच से गायब रहे, क्षेत्र से इनका जुड़ाव नहीं रहा. वो स्थानीय स्तर पर नेताओं और कार्यकर्ताओं के मुद्दों से कोई जुड़ाव नहीं रखते थे.
पीएम मोदी और सीएम योगी के भरोसे
अपने पूरे कार्यकाल में जनता के बीच काम न करके ऐसे तमाम सांसद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के भरोसे बैठे रहे. इसी कारण तमाम सांसदों को जनता ने नकार दिया..पश्चिम से लेकर पूरब तक करीब 40 मौजूदा सांसदों के खिलाफ माहौल खराब होने की बात कही जा रही थी, जिनमें 36 के चुनाव जीतना मुश्किल बताते हुए रिपोर्ट भेजी गई थी.
सांसदों की रिपोर्ट दिल्ली भेजी गई
पार्टी की जिला इकाई से लेकर क्षेत्रीय और प्रदेश स्तर से भी ऐसे सांसदों के बारे में रिपोर्ट दिल्ली भेजी गई थी, इसके बावजूद उनमें से अधिकांश को दोबारा टिकट दिया गया. आंतरिक रिपोर्ट में फेल घोषित ऐसे सांसदों के खिलाफ बने माहौल को भांपते हुए आखिरी वक्त पर जोर लगाने की खूब कोशिश भी की गई. संबंधित सीटों के जातीय समीकरणों को देखते हुए उसी जाति के कई मंत्रियों के साथ प्रदेश संगठन के पदाधिकारियों को भी उन सीटों पर उतारा गया. इसके बावजूद जनता में पनपी नाराजगी कम नहीं हुई.
कई केंद्रीय मंत्रियों की भी खराब रिपोर्ट
सूत्रों के मुताबिक सांसदों की लोकप्रियता और जीतने की संभावना को आधार बनाकर पार्टी की ओर से कराए गए सर्वे में भी तीन दर्जन से अधिक सांसदों के चुनाव न जीतने की रिपोर्ट शीर्ष नेतृत्व को मिली थी। इनमें कई केंद्रीय मंत्री भी शामिल थे। लेकिन इसकी अनदेखी करके उन्हें दोबारा टिकट दे दिया गया.
सूत्रों का कहना है कि यूपी में भाजपा की बिगड़ी चाल के लिए सबसे अधिक जिम्मेदार पार्टी के ही बड़े नेताओं का अति आत्मविश्वास है. जिस तरह से स्थानीय और पार्टी के काडर कार्यकर्ताओं की अनदेखी करते हुए टिकट का बंटवारा किया गया, उससे भाजपा को बड़ा नुकसान हुआ.
यूपी से केंद्रीय मंत्रियों में मोहनलालगंज से सांसद कौशल किशोर, चंदौली से महेंद्र नाथ पांडेय, मुजफ्फरनगर से संजीव बालियान, लखीमपुर खीरी से अजय मिश्रा उर्फ टेनी, फतेहपुर से साध्वी निरंजन ज्योति भी चुनाव हार गईं. अमेठी लोकसभा सीट से स्मृति ईरानी भी अप्रत्याशित तरीके से चुनाव हार गईं. जबकि मिर्जापुर से अनुप्रिया पटेल, लखनऊ से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को जीत हासिल हुई.
और पढ़ें
चुनावी मैदान में उतरेंगी प्रियंका गांधी, इस सीट से उपचुनाव लड़ सकती हैं राहुल की बहन
यूपी में 37 सीटें जीत पिता मुलायम से आगे निकले अखिलेश, MY की जगह हिट रहा PDA का फार्मूला