varanasi Lok Sabha Chunav 2024: वाराणसी लोकसभा क्षेत्र में सातवें और आखिरी चरण में 1 जून को मतदान होना है. उत्तर प्रदेश की वाराणसी लोकसभा सीट देश की वीवीआईपी सीट है. इस सीट से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीसरी बार चुनाव मैदान में हैं. वाराणसी में पीएम मोदी को मिलाकर कुल सात प्रत्याशी ही मैदान में हैं. इनमें गठबंधन प्रत्याशी अजय राय (कांग्रेस-सपा गठबंधन प्रत्याशी) का नाम भी शामिल हैं. 2024 में उनके खिलाफ चुनाव मैदान में सबसे कम छह उम्मीदवार ही हैं. जबकि इस सीट से 41 प्रत्याशियों ने नामांकन दाखिल किया था जिसमें 33 प्रत्याशियों के नामांकन रद्द  हुए और एक प्रत्याशी ने पर्चा वापस ले लिया. 


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नरेंद्र मोदी के सामने अजय राय समेत ये 6 प्रत्याशी
पीएम मोदी को चुनावी मैदान में टक्कर देने के लिए छह कैंडीडेट ही मैदान में हैं. इनमें बड़ा नाम कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय का है जो इंडिया गठबंधन की ओर से चुनाव लड़ रहे हैं.पीएम मोदी के खिलाफ दो बार और वाराणसी लोकसभा सीट पर तीन बार चुनाव लड़ चुके अजय राय हर बार तीसरे नंबर पर रहे थे, लेकिन इस बार  वे मजबूती से डटे हैं. इसकी वजह है कि सपा-कांग्रेस का गठबंधन और इंडिया गठबंधन के संयुक्त उम्मीदवार हैं. ऐसे में इस बार अजय राय का सीधा मुकाबला पीएम मोदी से है. बहुजन समाज पार्टी ने यहां से अतहर जमाल लारी (70) को मैदान में उतारा है. इनके अलावा दो निर्दलीय प्रत्याशी दिनेश कुमार यादव और संजय कुमार तिवारी भी पीएम मोदी के खिलाफ ताल ठोंक रहे हैं. 


बीजेपी का गढ़ वाराणसी
वाराणसी लोकसभा सीट भाजपा का गढ़ मानी जाती है. इस सीट पर साल 1991 के बाद से लगातार भाजपा जीतती आ रही है. हालांकि 2004 में कांग्रेस के राजेश कुमार मिश्रा को एक बार जीत मिल थी. इस क्षेत्र में अधिकांश सवर्ण वोटर्स हैं. जिनमें ब्राह्मण, भूमिहार और जयसवाल  हैं, मुस्लिम और ओबीसी भी बड़ी संख्या में हैं. 


अजय राय की जमानत हुई थी जब्त
2014 वाराणसी से कुल 42 प्रत्याशी चुनावी मैदान में थे, इस चुनाव में दूसरे स्थान पर आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल दूसरे नंबर पर  रहे थे. 2014 में अजय राय की जमानत जब्त हो गई थी. वहीं साल 2019 में 26 प्रत्याशियों ने किस्मत आजमाई थी. 2019 में अजय राय एक बार फिर से कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर वाराणसी लोकसभा सीट से चुनावी मैदान में उतरे और पराजित हो गए.


सपा-बसपा को नहीं मिली जीत
वाराणसी लोकसभा सीट पर अभी तक 17 लोकसभा चुनाव हुए हैं. यहां से 7 बार बीजेपी और सात पर कांग्रेस जीती.  एक-एक बार जनता दल और सीपीएम को भी जीत नसीब हुई है.  भारतीय लोकदल ने भी इस सीट पर एक बार जीत हासिल की है.  समाजवादी पार्टी और बसपा इस सीट पर कभी नहीं जीती.


दो बार कर चुके हैं प्रतिनिधित्व
राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण इस सीट, जिसका प्रतिनिधित्व पीएम मोदी दो बार कर चुके हैं. वाराणसी में रोहनिया, वाराणसी उत्तर, वाराणसी दक्षिण, वाराणसी कैंट और सेवापुरी विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं. इस चुनाव में पीएम मोदी का मुकाबला कांग्रेस के अजय राय से है.


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पांच विधानसभा
भारत की धार्मिक राजधानी कहलाने वाली वाराणसी लोकसभा सीट पांच विधानसभा सीटों को मिलकर बनी है. वाराणसी दक्षिण शहर, वाराणसी उत्तर, वाराणसी कैंट, रोहनिया और सेवापुरी. 1957 के बाद से बीजेपी ने सात बार इस सीट पर जीत हासिल की है और कांग्रेस के पास ये सीट छह बार गई है.


जातीय समीकरण
 वाराणसी संसदीय क्षेत्र में 19.62 लाख वोटर हैं. वाराणसी लोकसभा सीट पर जातीय समीकरण की बात करें तो यहां कुर्मी समाज के मतदाताओं की संख्या सबसे ज्यादा है. रोहनिया और सेवापुरी में कुर्मी मतदाता काफी संख्या में हैं. ब्राह्मण और भूमिहार की भी संख्या भी अच्छी है. यहां वैश्य, यादव, मुस्लिम मतदाताओं की संख्या भी जीत के लिए निर्णायक साबित होती है. बात करें यहां गैर यादव ओबीसी वोटर की तो इनकी तादात तीन लाख से ज्यादा है. 2 लाख से ज्यादा कुर्मी वोटर,  वैश्य वोटर करीब 2 लाख हैं. डेढ़ लाख के करीब भूमिहार वोटर हैं.  इसके अलावा एक लाख यादव और एक लाख अनुसूचित जाति के मतदाता हैं.


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