लखनऊ: उत्तर प्रदेश के सरकारी दफ्तरों (Government Offices) में गृहकर (House Tax) के रूप में राजधानी के विकास का 100 करोड़ रुपये दबाकर बैठे  हुए हैं. इसमें राज्य संपत्ति विभाग पहले नंबर पर, एलडीए (LDA) दूसरे और पुलिस विभाग (Police Department) तीसरे नंबर पर है. बकाया वसूली के लिए निगम की तरफ से नोटिस भी दिए गए लेकिन ये मामला जस के तस है.


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करीब दो दर्जन विभाग पर करोड़ों का बकाया
सिंचाई, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, परिवहन, नियोजन वन विभाग, सहकारिता, शिक्षा और उद्यान समेत करीब दो दर्जन विभाग विभागों पर नगर निगम (Municipal council) का करोड़ों रुपये गृहकर बकाया (House Tax) है. नोटिस दिए जाने के बाद भी ये विभाग टैक्स नहीं चुका रहे हैं. अगर ये बकाया टैक्स मिल जाए तो एक साल के लिए वार्डों में होने वाले खड़ंजा, नाली, क्रॉसिंग समेत कई जरूरी काम  हो जाएंगे. चालू वित्तीय वर्ष को खत्म होने में महज 14 दिन  बचे हैं.


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हर साल करीब 110 वार्डों को 100 करोड़ आवंटित होते हैं
पार्षदों की संस्तुति पर निगम हर साल करीब सौ करोड़ रुपये 110 वार्डों को आवंटित करता है. इस समय हर वार्ड पर करीब 95 लाख रुपये का पार्षद कोटा है. ये बजट नगर निगम की होने वाले आय से खर्च किया जाता है और ये House tax सबसे बड़ी इनकम है. सरकारी विभागों (Government Dept) से बकाया टैक्स न मिलने के चलते निगम की आमदनी गिरी है. ऐसे में नए बजट में पार्षद कोटा खत्म करने की तैयारी है.


ये हैं टॉप 5 बकाएदार
राज्य संपत्ति विभाग - 45 करोड़
एलडीए - 18 करोड़
पुलिस विभाग - 17 करोड़
लोक निर्माण विभाग - 07 करोड़
राजस्व परिषद-: 05 करोड़


इन विभागों से टैक्स नहीं मिलने पर विकास कार्यों के बजट पर असर पड़ रहा है. गृहकर (House tax) निगम की इनकम का प्रमुख जरिया है.


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