अयोध्या के सर्किल रेट पर सियासत, अखिलेश ने बताया-कैसे एक साल में BJP ने रचा सौदेबाजी-मुनाफाखोरी का खेल
UP Politics: अयोध्या में सर्किल रेट बढ़ाने को को लेकर समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने बीजेपी पर निशाना साधा है. सपा प्रमुख ने कहा, अयोध्या की जमीन भाजपाई सौदेबाज़ी और मुनाफ़ाखोरी की शिकार हुई है.
UP Politics: अयोध्या में सर्किल रेट बढ़ाने को को लेकर समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने बीजेपी पर निशाना साधा है. सपा प्रमुख ने कहा, अयोध्या की जनता तो पहले ही जान गयी थी कि भाजपा का अयोध्या से भावात्मक-भावनात्मक लगाव नहीं बल्कि 'भू-नात्मक' और 'मुनाफ़ात्मक' लोभ है अयोध्या की जमीन भाजपाई सौदेबाज़ी और मुनाफ़ाखोरी की शिकार हुई है. भाजपाइयों ने सस्ते में अपनों को खरीदवाया और जब बेचकर निकलने का समय आया तो भाजपा सरकार ने सर्किल रेट बढ़ाने का प्रबंध करवाया.
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो अयोध्या में सर्किल रेट में करीब 200 फीसदी का इजाफा हो सकता है. जिलाधिकारी ने सर्किल रेट में वृद्ध का प्रस्ताव दिया है. राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा से पहले 2022 में स्थानीय प्रशासन ने सर्किल दरों में बढ़ोतरी का प्रस्ताव दिया था. लेकिन इजाफा नहीं किया गया. प्रस्तावित रेट को 31 अगस्त तक फाइनल किया जाएगा. इसमें क्षेत्रीय लोगों से सुझाव और आपत्तियां भी ली जाएंगी, जिसके लिए 10 दिन का समय दिया जाएगा. आपत्तियों के निपटारे के बाद ही फैसला लिया जाएगा.
अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर लिखा, "भाजपाइयों ने सस्ते में अपनों को खरीदवाया और जब बेचकर निकलने का समय आया तो भाजपा सरकार ने सर्किल रेट बढ़ाने का प्रबंध करवाया। अयोध्या की भूमि भाजपाई सौदेबाज़ी और मुनाफ़ाखोरी की शिकार हुई है। अयोध्या की जनता तो पहले ही जान गयी थी कि भाजपा का अयोध्या से भावात्मक-भावनात्मक लगाव नहीं बल्कि ‘भू-नात्मक’ व ‘मुनाफ़ात्मक’ लोभ है. भाजपाई लालच ने जब अयोध्या को नहीं छोड़ा तो बाकी देश का क्या हाल कर रहे होंगे, ये कहने की बात नहीं. भाजपा = भू ज़मीन पार्टी."
वहीं, सीएम के लाल टोपी काले कारनामे के बयान पर पलटवार किया है. उन्होंने कहा कि लाल और काले रंग को देखकर भड़कने के क्या-क्या कारण हो सकते हैं। लाल रंग' मिलन का प्रतीक भी बताया है। सपा मुखिया अखिलेश यादव ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री योगी के सपा की टोपी लाल, लेकिन कारनामे काले हैं बयान पर पलटवार करते हुए सोशल मीडिया पर काले और लाल रंग की विधिवत व्याख्या की है.
उन्होंने लिखा कि जनता की संसद का प्रश्नकाल प्रश्न लाल और काले रंग को देखकर भड़कने के क्या-क्या कारण हो सकते हैं? दो-दो बिंदुओं में अंकित करें. उत्तर - रंगों का मन-मानस और मनोविज्ञान से गहरा नाता होता है. यदि कोई रंग किसी को विशेष रूप से प्रिय लगता है तो इसके विशेष मनोवैज्ञानिक कारण होते हैं और यदि किसी रंग को देखकर कोई भड़कता है तो उसके भी कुछ नकारात्मक मनोवैज्ञानिक कारण होते हैं.
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