UP Politics: हरियाणा में मायावती-चंद्रशेखर किसका बिगाड़ेंगे गेम, निर्णायक भूमिका में दलित वोटर
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UP Politics: हरियाणा में मायावती-चंद्रशेखर किसका बिगाड़ेंगे गेम, निर्णायक भूमिका में दलित वोटर

UP Politics:  हरियाणा विधानसभा चुनाव में बसपा और चंद्रशेखर आजाद की आजाद समाज पार्टी के उतरने से सियासी मुकाबला दिलचस्प हो गया है. चंद्रशेखर ने जेजेपी तो बसपा ने इनेलो के साथ गठबंधन किया है. ऐसे में दलित वोटर किसके पाले में जाएंगे, इसकी चर्चा तेज है. 

UP Politics: हरियाणा में मायावती-चंद्रशेखर किसका बिगाड़ेंगे गेम, निर्णायक भूमिका में दलित वोटर

UP Politics: हरियाणा विधानसभा चुनाव में बसपा और चंद्रशेखर आजाद की आजाद समाज पार्टी के उतरने से सियासी मुकाबला दिलचस्प हो गया है. चंद्रशेखर ने जेजेपी तो बसपा ने इनेलो के साथ गठबंधन किया है. ऐसे में दलित वोटर किसके पाले में जाएंगे, इसकी चर्चा तेज हो गई है. हरियाणा में दलित वोटरों की संख्या करीब 21 फीसदी है, जो चुनावा में निर्णायक भूमिका निभाते हैं.

हरियाणा में बीजेपी-कांग्रेस किसे फायदा?
सियासी गलियारों में इसको लेकर भी गुणा-गणित शुरू हो गई है कि दलित वोट बंटा तो इसका फायदा क्रांग्रेस को होगा या बीजेपी को. कांग्रेस संविधान और आरक्षण के मुद्दे को लेकर एक्टिव है तो जेजेपी और इनेलो भी इसी राह से दलितों को साधने में जुटे हैं. जिसके लिए आजाद समाज पार्टी और बसपा के साथ गठबंधन किया है. दलित वोट बंटता है तो कयास लगाए जा रहे हैं कि इसका नुकसान बीजेपी के मुकाबले कांग्रेस को ज्यादा हो सकता है.

कौन कितनी सीटों पर लड़ेगा चुनाव
हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों में जननायक जनता पार्टी  (जेजेपी) 70 सीटों पर तो आजाद समाज पार्टी 20 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. वहीं, एनेलो और बसपा के बीच क्रमश: 53 और 37 सीटों पर चुनाव  के फॉर्मूले पर सहमति बनी है.

हरियाणा के जातीय समीकरण
 हरियाणा के जातीय समीकरण देखें तो जाट और एससी वोटर सबसे ज्यादा है. जाट वोटरों की संख्या करीब 22 फीसदी, अनुसूचित जाति के 21 फीसदी, पंजाबी 8 प्रतिशत, ब्राह्मण 7.5 प्रतिशत हैं. वहीं अहीर, वैश्य, गुर्जर, जट्ट सिख, मेव-मुस्लिम और राजपूत वोटर करीब 25 फीसदी हैं.

बसपा-इनेलो को कितनी सीटें 
विधानसभा चुनाव  2019 में पार्टी वाइज वोट देखें तो बसपा ने 87 सीटों पर  अपने उम्मीदवार उतारे थे, पार्टी कोई भी सीट नहीं जीत पाई. साथ ही 82 सीटों पर उसकी जमानत जब्त हो गई. इस चुनाव में बसपा को 4.14 प्रतिशत वोट मिले थे. वहीं इनेलो ने भी बिना किसी दल से गठबंधन किए अकेले चुनाव लड़ा था. 81 सीटों पर पार्टी ने उम्मीदवार उतारे, जिसमें 1 सीट ऐलनाबाद में ही उसे जीत मिली थी. 78 सीटों पर पार्टी की जमानत जब्त हो गई. पार्टी का वोट शेयर 2.44 प्रतिशत था.

जेजेपी को मिलीं 10 सीटें 
वहीं जेजेपी के आंकड़े देखें तो पार्टी ने 87 सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे, जिनमें 10 सीटों पर जीत हासिल की थी. जेजेपी को चुनाव में 14.84 प्रतिशत वोट मिले. विधानसभा चुनाव में किसी भी दल को पूर्ण बहुमत नहीं मिला था, बाद में बीजेपी ने जेजेपी के साथ मिलकर राज्य में सरकार बनाई थी. लेकिन लोकसभा चुनाव से पहले दोनों दलों के रास्ते अलग हो गए. लोकसभा चुनाव के आंकड़े देखें तो बसपा को 3.65 प्रतिशत वोट, जेजेपी को 4.9 प्रतिशत, इनेलो को 1.9 प्रतिशत वोट मिले थे. वहीं बीजेपी को सबसे ज्यादा 58.21 प्रतिशत और कांग्रेस को 28.51 प्रतिशत वोट मिले थे.

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