अयोध्या: मंदिर-मस्जिद के बाद अब बनेगा कैंसर का सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल, नहीं जाना पड़ेगा शहर से बाहर
Ayodhya News: अयोध्या में जल्दी ही कैंसर सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल बनाया जाएगा. इसके लिए जमीन तलाशने का काम शुरू हो गया है. अगले साल जनवरी-फरवरी तक रजिस्ट्री होने की संभावना .
Ayodhya News: इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन मस्जिद ट्रस्ट (Indo Islamic Cultural Foundation Masjid Trust) ने सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल बनाने के लिए अयोध्या के धन्नीपुर (Dhannipur) में जमीन की तलाश तेज कर दी है. अस्पताल बनाने के लिए छह एकड़ भूमि चाहिए. हॉस्पिटल की जमीन की तलाश उसी पांच एकड़ भूमि के पास की जा रही है जिसे श्रीराम मंदिर निर्माण के फैसले के तहत देश की सर्वोच्च अदालत ने मस्जिद निर्माण के लिए देने का आदेश दिया था.
सुपर स्पेशियलिटी हास्पिटल के लिए भूमि की तलाश
यह जमीन लखनऊ-अयोध्या राजमार्ग (Lucknow-Ayodhya Highway) के पास सोहावल ब्लाक के धन्नीपुर गांव में रौनाही फार्म से जिला प्रशासन ने मुहैया कराई है. इस मस्जिद (Masjid) का निर्माण तो अभी ट्रस्ट की तरफ से शुरू नहीं किया गया है, लेकिन सुपर स्पेशियलिटी हास्पिटल (Super Specialty Hospital) के लिए भूमि की तलाश की जा रही है.
डॉक्टरों की टीम ने किया स्थलीय निरीक्षण
करीब एक हफ्ते पहले आर्थिक नगरी मुंबई से चिकित्सकों की एक टीम धन्नीपुर आई और स्थलीय निरीक्षण किया. टीम के सदस्य डॅा.आबिदी ने अस्पताल के लिए मुंबई के प्रतिष्ठित एकार्ड हास्पिटल की फ्रेंचाइजी लेने के लिए जानकारी दी. उनके अनुसार, यहां कैंसर हास्पिटल बनेगा. अभी जमीन खरीदने के लिए बात चल रही है. उनके मुताबिक अगले साल जनवरी-फरवरी तक रजिस्ट्री होने की संभावना है.
सशुल्क जमीन मुहैया कराने के लिए जिला प्रशासन को लेटर
इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन मस्जिद ट्रस्ट के सदस्य अरशद अफजाल के अनुसार,लंबे समय से जमीन की जरूरत महसूस की जा रही है. उनके पिता कैप्टन अफजाल ट्रस्ट के सदस्य के नाते सशुल्क जमीन मुहैया कराने के लिए जिला प्रशासन को लेटर भी लिख चुके हैं. पिता का निधन होने के बाद अरशद अफजाल अब उनके स्थान पर ट्रस्टी हैं.
‘फर्स्ट लुक’का अनावरण मुंबई में हुआ
अयोध्या के धन्नीपुर गांव में प्रस्तावित मस्जिद के ‘फर्स्ट लुक’ 12 अक्टूबर को मुंबई में अनावरण हुआ. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, राम जन्मभूमि विवाद में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के तहत धन्नीपुर में मिली जमीन पर बनी इस मस्जिद में मुगल बादशाह बाबर का कोई निशान नहीं होगा. मस्जिद का नाम ‘मोहम्मद बिन अब्दुल्ला मस्जिद’ होगा. खबरों के मुताबिक इस मस्जिद में एक साथ 9 हजार लोग नमाज पढ़ सकते हैं. इसके अलावा मस्जिद की पहली मंजिल पर 4 हजार महिलाएं भी एक साथ नमाज पढ़ सकती हैं.
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