Chhattisgarh Assembly Election Results:  राजस्थान की तरह छत्तीसगढ़ में भी कांग्रेस का किला ढह गया है. भूपेश बघेल की अगुवाई वाली कांग्रेस सरकार को यहाँ बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा. 90 सीटों के रुझान सामने आने के बाद भाजपा को 55 और कांग्रेस 32 सीटों के साथ आगे है. छतीसगढ़ में भाजपा ने क्लीन स्वीप कर सियासी पंडितों को चौका दिया है। छत्तीसगढ़ (chhattisgarh) में भाजपा ने प्रचण्ड बहुमत हासिल कर राज्य की भूपेश (Bhupesh Baghel) सरकार को चारों खाने चित कर दिया है. अगर छत्तीसगढ़ (chhattisgarh) में कांग्रेस की हार के कारणों पर गौर किया जाए तो ये कारण सामने निकल कर आते है. जो हार का बड़ा फैक्टर माने जा रहे है. 


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ओबीसी और आदिवासी नेतृत्व पर भरोसा 
छत्तीसगढ़ में केन्द्रीय नेतृत्व ने भाजपा में अनुभवी और नए दोनों ही लीडरशिप को उभारने का काम किया. अरुण साव (Arun Sao) को जहां प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बनाया गया. वहीं धरमलाल कौशिक (Dharmlal Kaushik)जैसे वरिष्ठ नेताओं को फ्री हैंड दिया. ओपी चौधरी जैसे युवा नेताओं को केंद्रीय नेताओं ने आगे बढ़ाने का भरोसा देकर युवाओं को साधने का काम किया.


धान का बोनस,  मोदी की गांरटी 
 छत्तीसगढ़ में भाजपा ने किसानों के लिए धान का बोनस 3100 रु प्रति क्विंटल करने की घोषणा की. इससे किसान वोट में भाजपा सेंध लगाने में सफल रही. इसी तरह बीजेपी ने अपने घोषणा पत्र में कहा है कि राज्य में 5500 रुपए प्रति मानक बोरा तेंदूपत्ता की खरीदी होगी. बीजेपी ने अपने घोषणा पत्र में कहा है कि राज्य में युवाओं को 50 फीसदी सब्सिडी के साथ ब्याज मुक्त लोन दिया जाएगा. बीजेपी के घोषणा पत्र में इसे छत्तीसगढ़ उद्यम क्रांति योजना नाम दिया गया है.


चल गया मोदी मैजिक 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने छत्तीसगढ़ में चुनाव प्रचार की कमान संभाली. पीएम मोदी की आक्रामक चुनावी जनसभाओं के बाद स्टेट लीडरशिप में ऊर्जा का संचार हो गया. पीएम मोदी और अमित शाह ने बस्तर से लेकर सरगुजा और बिलासपुर (Bilaspur) से लेकर  हर हिस्से के लिए अलग रणनीति तैयार की.


संघ और आनुषांगिक संगठनों की सक्रियता 
छत्तीसगढ़ में भाजपा की जीत के पीछे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और उसके सहयोगी संगठनों की सक्रियता की अहम भूमिका रही. बस्तर क्षेत्र में वनवासी कल्याण आश्रम समेत कई संगठन लगातार जमीनी स्तर पर सक्रिय रहे.


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