Lucknow Crime News : लखनऊ के बंथरा इलाके में ट्रांसफार्मर की मरम्मत को लेकर हुए विवाद के बाद ऋतिक पांडेय की घर में घुसकर हत्या किए जाने के मामले में पुलिस ने जमकर लापरवाही बरती थी. इस बात के आरोप परिजन ने भी लगाने शुरू कर दिए थे. शुरूआती जांच में लापरवाही के आरोप सामने आने पर डीसीपी साउथ तेज स्वरूप सिंह ने बंथरा थाने में तैनात दरोगा सुभाष चंद्र, सुशील यादव और सिपाही यतीन्द्र को सस्पेंड कर दिया है. साथ ही आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए टीम भी गठित की गई है. 48 घंटे बीत जाने के बाद भी पुलिस अभी तक आरोपियों को गिरफ्तार नहीं कर पाई.  


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क्या था पूरा मामला
रविवार की रात में बंथरा के कुछ घरों में लाइट नहीं आ रही थी तो उसे ही ठीक करने के लिए आसपास के लोग ट्रांसफार्मर के पास पहुंच गए. ट्रांसफॉर्मर के पास ही कुछ घरों में लाइट आ रही थी तो इस पर घरों के लोगों ने बिजली ठीक करने का विरोध किया. इस दौरान मृतक ऋतिक पांडेय भी वहां मौजूद था और उसकी आरोपियों के साथ बहस हो गई. बहस के बाद कुछ ठीक हो गया और लोग अपने- अपने घर चले गए. 


मृतक के पिता इंद्रकुमार ने पुलिस को शिकायत दर्ज करा कर बताया कि रात करीब 10:30 बजे अवनीश पुत्र शबोहन सिंह,  हिमांशु सिंह, प्रियांशु, प्रत्युष पुत्र कन्हैया सिंह, शनि पुत्र विनोद सिंह अपने कई साथियों को लेकर लाठी-डंडों व अलहों के साथ घर में घुस गए. अरोपियों ने ऋतिक ने खूब पीटा और वहां से फरार हो गए. अंदरूनी चोट होने के कारण ऋतिक की तबियत बहुत खराब होने लगी. जिसके बाद उसको तुरंत अस्पताल ले जाया गया लेकिन उसकी बीच रासेते में ही मौत हो गई थी. 


पुलिसकर्मी देख रहे थे रील
 परिजनें ने बताया कि ऋतिक और पूरा परिवार घर में ही थें. इसी बीच आरोपियों ने जमकर मारपीट की थी. इस बात कि शिकायत करने जब परिजन पहुंचे तो वहां मौजूद पुलिसकर्मीयों ने शिकायत दर्ज नहीं की. वहां सब हंसी-मजाक औऱ फोन में रील देख रहे थे और शिकायत सबहर दर्ज कराना ये कहकर वहां से भगा दिया. 


अस्पताल के बाहर प्रदर्शन
जब युवक की मौत हो गई तो परिजन ने पुलिस पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए पोस्टमार्टम कराने से मना कर दिया. देखते ही देखते अस्पताल के बाहर लोगों ने सुबह धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया और पुलिसवालों के खिलाफ नारेबाजी करने लगे. जब पुलिस को प्रदर्शन की सूचना मिली तो वे आन्न-फान्न में अस्पताल पहुंच गए और परिजन को शांत कराया.


पुलिसकर्मियों पर आरोप
पुलिस कर्मियों पर आरोप है कि हलका इंचार्ज दरोगा सुभाष यादव घटना के बाद आरोपियों की गिरफ्तारी की कोशिश करने की बजाय बिना इजाजत दूसरे जिले में घूमते पाए गए. वहीं दरोगा सुशील यादव ने घटना के बाद थाने पहुंचे पीड़ितों से अच्छा व्यवहार नहीं किया और पीड़ितों की बातों को सुनने की बजाए मोबाइल में लूडो खेलते रहे. कांस्टेबल यतेंद्र घटना के बाद आरोपियों के साथ लगातार संपर्क में था. 


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