लखनऊ: बिजली चोरी को लेकर उत्तर प्रदेश पॉवर कॉरपोरेशन प्रबंधन बिल्कुल सख्त हो गया है. विभाग अब बिजली चोरी को रोकने और पकड़ने के लिए उन टीनों पर अपनी पैनी नजर बनाए रखेगी जो रेड पर जाती हैं. रेड पर जाने वाली विजिलेंस और विभागीय टीम पर प्रबंधन अपनी निगाहें गड़ाए रखेगी और इसके लिए रेड के दौरान इन टीमों को बॉडी वार्न कैमरे से लैस कर दिया जाएगा. जितनी देर तक रेड चलेगी उतने समय तक पॉवर कॉरपोरेशन मुख्यालय में बैठे अधिकारी पूरी कार्रवाई को देख पाएंगे. रेड के दौरान चलने वाली सौदेबाजी के खेल को अब ध्वस्त करने की पूरी तैयारी है. 


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प्रोसेस में पारदर्शिता


विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष है अवधेश कुमार वर्मा जिन्होंने इस प्रस्तावित पहल का खुले तौर पर स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि इस व्यवस्था को पहले ही लागू कर देना चाहिए था. जानकारी है कि उपभोक्ताओं को आसान तरीकों से बिजली कनेक्शन देनें जैसे निर्देशों का प्रभाव दिखने लगा है. 1.37 लाख नये कनेक्शन पिछले 20 दिनों में स्वीकार किया गया. इनमें मध्यांचल विद्युत वितरण निगम में सबसे ज्यादा 42260 नये कनेक्शन को एक्सेप्ट किया गया है. बाडी वार्न कैमरे से जब विजिलेंस व विभागीय जांच टीमें लैस होंगी और जांच की कार्रवाई करें तो पूरे प्रॉसेस में पारदर्शिता बनी रहेगी.


उत्तर प्रदेश में हर साल घूसखोरी की वजह से 5019 करोड़ की बिजली चोरी कर ली जाती है. ऐसा होने के पीछे की सबसे बड़ी और मेन वजह घूसखोरी है. विद्युत वितरण कंपनियों के पास बिजली चोरी रोकने के लिए भारी-भरकम विजिलेंस टीमें हैं पर घूसखोरी से प्रदेश के 5019 करोड़ रुपये हर साल चुरा लिए जा रहे हैं. बिजली चोरी पकड़ी नहीं जा रही है.


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