लखनऊ: उत्तर प्रदेश की लखनऊ यूनिवर्सिटी के छात्र अब ‘एक जिला एक उत्पाद’ (ODOP) के बारे में अब विस्तार से पढ़ेंगे. यूनिवर्सिटी ने ओडीओपी को वोकेशनल कोर्स का हिस्सा बनाने की तैयारी की है.  ये कोर्स स्नातक स्तर पर होगा और लखनऊ विवि के स्टूडेंट्स को स्किल डिवेलेपमेंट का मौका मिलेगा. इससे ओडीओपी के बारे में लोगों की समझ भी बढ़ेगी और साथ ही वो आसानी से रोजगार पा सकेंगे. ओडीओपी का कोर्स तैयार करने के लिए एक समिति बनाई जाएगी. एलयू लगातार रोजगारपरक कोर्स शुरू करने पर विचार कर रहा है.


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ODOP को कोर्स का हिस्सा बनाने की तैयारी


इसी कड़ी में सत्र 2024-25 से ओडीओपी को भी कोर्स का हिस्सा बनाने की तैयारी है.  ग्रेजुएशन के दूसरे और चौथे सेमेस्टर में इसे वोकेशनल कोर्स के तौर पर जोड़ने पर विचार किया जा रहा है.  एलयू वीसी प्रो.आलोक कुमार राय के मुताबिक ओडीओपी का कोर्स तैयार करने के लिए एक समिति बनाई जाएगी.


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ये होंगे वोकेशनल कोर्स में शामिल
मीडिया खबरों के मुताबिक, पहले चरण में लखनऊ की चिकनकारी, जरी-जरदोजी, रायबरेली की काष्ठ कला, सीतापुर की दरी, हरदोई के हैंडलूम और लखीमपुर खीरी के जनजातीय शिल्प और गुड़ उत्पाद को वोकेशनल कोर्स में शामिल किया जाएगा.  इसके बाद दूसरे प्रोडक्ट जोड़े जाएंगे. यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार डॉ. विनोद कुमार सिंह के मुताबिक इसके लिए छात्रों को अलग से सर्टिफिकेट देने पर भी विचार चल रहा है.


इसलिए जरूरी हैं यह कोर्स?
वर्तमान समय में ODOP के लिए ज्यादा युथ आगे नहीं आ रहे है.  स्थानीय उत्पादों का महत्व कायम रखने और रोजगार बढ़ाने के लिए शासन लगातार ओडीओपी को बढ़ावा दे रहा है.  इस पर प्रमुख सचिव ने सभी राज्य यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रारों के साथ बैठक के बाद ओडीओपी के कोर्स शुरू करने के निर्देश दिए थे. फिर इसके बाद एलयू ने इस पर काम करना शुरू किया. इन कोर्स से छात्रों की स्किल डिवेलेप होगी और वे  आसानी से नौकरी  हासिल करेंगे. ओडीओपी के बारे में लोगों की समझ भी बढ़ेगी.


क्या है ओडीओपी ?


एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) पहल का उद्देश्य देश के सभी जिलों में संतुलित क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा देना है.  सभी क्षेत्रों में समग्र सामाजिक आर्थिक विकास को सक्षम करने के लिए देश के प्रत्येक जिले (एक जिला – एक उत्पाद) से कम से कम एक उत्पाद का चयन, ब्रांड और प्रचार करना है.


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