अखिलेश का सियासी सफर: यूपी का सबसे युवा मुख्यमंत्री कैसे 20 सालों में बना दिल्ली की सियासत का चमकता सितारा
Akhilesh Yadav Birthday: छोटे कस्बे में जन्मे अखिलेश यादव ने कि विदेश में पढ़ाई, सीएम बनने तक का सफर तय किया, अब निभा रहे विपक्ष की भूमिका.
38 साल की उम्र में प्रदेश के मुख्यमंत्री
अखिलेश ने विदेश में अपनी पढ़ाई पूरी की और फिर उनका राजनीतिक करियर शुरू हुआ जिसमें बड़ा मुकाम तब हासिल किया जब 38 साल की उम्र में प्रदेश के मुख्यमंत्री बने.
शुरुआती पढ़ाई सैफई के सेंट मैरी स्कूल से
अखिलेश यादव ने अपनी शुरुआती पढ़ाई सैफई के सेंट मैरी स्कूल से ही पूरी की लेकिन इसके बाद उन्होंनेराजस्थान के धौलपुर के मिलिट्री स्कूल में अपनी आगे की पढ़ाई की.
मैसूर के जयचामाराजेंद्र कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग की
इसके बाद मैसूर के जयचामाराजेंद्र कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग की. एनवायरमेंटल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएट होकर अखिलेश ने ऑस्ट्रेलिया का रुख किया और सिडनी यूनिवर्सिटी से एनवायरमेंटल इंजीनियरिंग में मास्टर्स किया.
डिंपल से मुलाकात
जब अखिलेश यादव इंजीनियरिंग की पढ़ रहे थे तभी उनकी मुलाकात एक कॉमन फ्रेंड के माध्यम से डिंपल से हुई और दोनों में दोस्ती हो गई. दोस्ती धीरे-धीरे प्यार में बदली.
प्यार परवान चढ़ा
अखिलेश के ऑस्ट्रेलिया जाने के बाद भी प्यार परवान चढ़ा और जब वो देश लौटे तो उन्होंने डिंपल से शादी के लिए अपनी दादी को मनवा लिया. इस शादी के लिए अखिलेश को बहुत मशक्कत करनी पड़ी.
परिवार वालों के रजामंदी
तब के प्रदेश के मुख्यमंत्री और पिता मुलायम सिंह यादव को उन्होंने मनाया. बाद में परिवार वालों के रजामंदी से 24 नवंबर 1999 को अखिलेश और डिंपल ने शादी कर ली. दोनों की 2 बेटियां और एक बेटा हैं.
कन्नौज लोकसभा सीट
अखिलेश यादव ने साल 2000 में पहली दफा कन्नौज लोकसभा सीट से सांसदी जीती थी और फिर 3 बार उन्होंने चुनाव में अपनी जीत दर्ज की.
लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा
साल 2012 में अखिलेश ने लोकसभा की सदस्यता से अपना इस्तीफा देकर यूपी विधानसभा चुनाव के मौदान में कूद पड़े और जीत के बाद मुख्यमंत्री बने.
राहुल गांधी से हाथ मिला लिया
साल 2017 के जनवरी में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष पर को अखिलेश यादव ने संभाला और साल 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में ही उन्होंने राहुल गांधी से हाथ मिला लिया.
लोकसभा चुनाव आजमगढ़ से
चुनाव में सपा बुरी तरह पिट गई. उस साल बीजेपी का लंबा वनवास टूटा था लेकिन सपा विपक्ष में रहते हुए लगातार जनता के मुद्दों को उठाते रहे. साल 2019 में उन्होंने लोकसभा चुनाव आजमगढ़ से लड़कर तीज दर्ज की.
सटीक रणनीति का प्रदर्शन
साल 2022 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी से सपा को हार जरूर मिली लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में अखिलेश ने अपनी सटीक रणनीति का प्रदर्शन किया. आज सत्ता में भले ही अखिलेश न हो लेकिन प्रमुख विपक्षी नेता के तौर पर हमेशा से बीजेपी को घेरते रहते हैं.
कुल 37 लोकसभा सीट
इस बार लोकसभा 2024 के चुनाव में अखिलेश यादव ने ऐसी रणनीति पर काम करते हुए प्रदेश का सबसे बड़ी और देश की तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. कुल 37 लोकसभा सीटों पर अखिलेश की सपा काबिज है.