लखनऊ: चुनावी मौसम में लाख कोशिशों के बावजूद आज भी जातिगत समीकरण का ही बोलबाला नजर आता है. जाहिर है उत्तर प्रदेश के फूलपुर लोकसभा क्षेत्र में होने जा रहा आगामी उपचुनाव पर भी इसका असर नजर आएगा. भाजपा, कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी चारों ही पार्टियां अपने-अपने तरीके से चुनावी दांव खेल रहे हैं. आइए जानते हैं पार्टियों की रणनीति और वहां का जातिगत समीकरण.... 


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भाजपा ने कौशलेंद्र सिंह पटेल को अपना उम्मीदवार बनाया है, जबकि समाजवादी पार्टी ने नागेंद्र प्रताप पटेल पर दांव आजमाया है. वहीं दूसरी ओर कांग्रेस ने मनोज मिश्र के कंधों पर अपनी पार्टी की उम्मीदों को रखा है. इसके पीछे उम्मीद यह की जा रही है कि ब्राह्मण वोटरों का साथ पार्टी को मिलेगा. इसके साथ ही कांग्रेस ने यह उम्मीद भी जताई कि मुस्लिम और वैश्य वोटर भी उनमें अपनी दिलचस्पी दिखाएंगे. 


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भाजपा की बात करें तो शुरू से ही शहरी वोटर उनके साथ रहे हैं, जहां मुस्लिम, ब्राह्मण, कायस्थ सभी की अच्छी तादाद है. पिछले विधानसभा में भाजपा को इस इलाके की दोनों शहरी सीटों पर बड़ी जीत मिली थी और पार्टी के लिए सुकून देने वाली बात यह है कि फूलपूर और फाफामऊ विधानसभा सीटें भी उनके ही खाते में है. भाजपा की रणनीति तैयार करने वाले मानते हैं कि मुस्लिम और वैश्य और कायस्थ उनके पक्के वोटर हैं जो उनका साथ नहीं छोड़ेंगे, जबकि कुशवाहा, मौर्य जाति से आनेवाले वोटर्स पहले से ही भाजपाई है. ऐसे में भाजपा के लिए एकमात्र मुश्किल ग्रामीण मतदाता हैं और अगर पार्टी उसे अपने पाले में लाने में कामयाब होती है तो निश्चित तौर पर भाजपा की जीत सुनिश्चित होगी.  


पटेल बहुल वाले इस लोकसभा में सपा और बसपा भी पीछे नहीं हैं और प्रदेश की राजनीति में फिर से अपनी धाक जमाने के लिए आतुर हैं. दोनों ही पार्टियों ने पटेल उम्मीदवार को मैदान में उतारा है. मायावती और मुलायम के साथ आने से निश्चित तौर पर भाजपा नुकसान है क्योंकि दलितों का एक बड़ा तबका बसपा के साथ रहा है और मायावती यह मानकर चल रही हैं कि इसबार भी उन्हें दलितों का साथ मिलेगा. वहीं दूसरी ओर सपा यह उम्मीद जता रही है कि बसपा के साथ आने से उसे मुस्लिम वोटरों का साथ मिलेगा जिन्होंने विधानसभा चुनाव में अपने हाथ शायद पीछे खींच लिए. हालांकि यहां अतीक अहमद सपा के लिए परेशानी खड़ी कर सकते हैं क्योंकि उनके चुनावी मैदान में होने से मुस्लिम वोटों के बंटने की पूरी संभावना है. ऐसे में भाजपा को इसका फायदा मिल सकता है.


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फूलपुर लोकसभा क्षेत्र में जातियों के समीकरण पर नजर डालें तो यहां पटेल के 3.25 लाख, यादव के 2.80 लाख, ब्राह्मण के 2.75 लाख, अनुसूचित जाति के 2.60 लाख, मुस्लिम के 2.50 लाख, कायस्थ के 2 लाख, वैश्य के 1.2 लाख, कुशवाहा/मौर्य के 1 लाख, पाल/प्रजापति के 0.75 लाख और क्षत्रिय के 0.5 लाख मतदाता हैं. इसके अलावा उत्तराखंडी, सिंधी, ईसाई, बंगाली और पंजाबी समुदाय भी है जो कि गणित को बनाने और बिगाड़ने में अहम किरदार निभा सकते हैं.


फूलपुर व गोरखपुर उपचुनाव में सपा को रालोद का भी समर्थन
पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी अजित सिंह की पार्टी राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) ने उत्तर प्रदेश के फूलपुर और गोरखपुर में होने जा रहे लोकसभा उपचुनाव में समाजवादी पार्टी (सपा) को समर्थन देने का फैसला लिया है. पार्टी ने राज्यसभा और विधान परिषद के चुनाव में भी सपा और बसपा के पक्ष में मतदान करने का फैसला लिया है. रालोद के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी अनिल दुबे ने कहा, "रोलोद के राष्ट्रीय ने केंद्र व प्रदेश सरकार द्वारा किसानों के साथ की गई वादाखिलाफी के खिलाफ और सांप्रदायिकता के फैलाव को रोकने के लिए 'विपक्षी एकता' की पहल को मजबूत करने के मकसद से फूलपुर और गोरखपुर में होने जा रहे लोकसभा उपचुनाव में समाजवादी पार्टी को समर्थन देने का निर्णय लिया है."


(इनपुट एजेंसी से भी)