Bulldozer Action Plea Supreme Court Hearing: बुलडोजर एक्शन मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. जस्टिस गवई ने बुलडोजर कार्रवाई पर सवाल उठाया. जस्टिस गवई ने कहा, किसी के महज आरोपी होने पर उसका घर कैसे गिराया जा सकता है. यहां तक कि उसके दोषी साबित होने पर भी यूं ही उसका घर नहीं गिराया जा सकता. SC के पहले रुख के बावजूद सरकार के रुख में हमे कोई बदलाव नजर नहीं आता.


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कोर्ट ने कहा-हम अवैध निर्माण को संरक्षण देने के पक्ष में नहीं है लेकिन इस बारे में कुछ दिशा-निर्देश तय करने की ज़रूरत है. कोर्ट ने कहा, हम देश भर के लिए दिशानिर्देश जारी करेंगे. दोनों पक्षों को इसके लिए सुझाव देने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई 17 सितंबर को होगी. 


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क्या बोले सॉलिसिटर जनरल?
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इस मुद्दे पर अगस्त 2022 में सरकार ने हलफनामा दायर कर साफ किया है कि केवल आरोपी होने से किसी की प्रॉपर्टी पर बुलडोजर नहीं चलाया जा सकता. केवल म्युनिसिपल कानून के उल्लंघन में ही ऐसा किया जा सकता है. जिन जगह पर कार्रवाई हुई, नोटिस जारी किए गए थे. तुषार मेहता ने कहा, अगर मुझे अपने अवैध अतिक्रमण के लिए पहले से नोटिस मिला है और इसी बीच मैं किसी दूसरे अपराध में शामिल पाया जाता हूँ तो इसी वजह से मुझे बुलडोजर कार्रवाई से संरक्षण नहीं मिल सकता.


बता दें कि आपराधिक मामलों में आरोपियों के घरों पर बुलडोजर चलाने की सरकार की अनुमति को लेकर जमीयत उलमा-ए-हिंद की ओर से याचिका दायर की गई. याचिका में सरकार के आरोपियों के घरों पर बुलडोजर चलाने पर रोक लगाने की मांग की गई है. अर्जी में मध्यप्रदेश के एक आरोपी के पिता की संपत्ति पर कुछ घंटे के भीतर ही बुलडोजर एक्शन का जिक्र किया गया. कहा गया कि कानूनी प्रक्रिया शुरू होने से पहले ही सरकार ने उसे सजा दे दी.


जस्टिस भूषण आर गवई की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच केस की सुनवाई की. आपराधिक मामलों में आरोपी. जमीयत की याचिका में यूपी के मुरादाबाद, बरेली, मध्य प्रदेश और राजस्थान के उदयपुर में ऐसी घटनाओं का हवाला दिया गया है.


राज्यमंत्री का बड़ा बयान
सुप्रीम कोर्ट में बुलडोजर कार्रवाई पर सुनवाई को लेकर सहकारिता राज्य मंत्री जेपीएस राठौर ने कहा, अगर अपराधियों और माफियाओं को दहशत में नहीं लाया जायेगा तो पीड़ित दहशत में रहेंगे और अपराधी के हौसले बुलंद रहेंगे. बुलडोजर एक्शन बहुत जरुरी है, प्रशासनिक निर्णय लेने को हम सब स्वतंत्र हैं. न्यायपालिका के आदेशों का पालन करेंगे, लेकिन अपने विवेक स्वरुप निर्णय लेने के लिए हमारी सरकार स्वतंत्र है.


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