Supreme Court decision on Bulldozer Action: देशभर में बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी टिप्पणी की है. कोर्ट ने साफ कहा है कि कार्यपालक अधिकारी जज नहीं बन सकते हैं. आरोपी को दोषी करार नहीं दे सकते और उसका घर नहीं गिरा सकते हैं.  जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने कहा कि अपराध की सजा बुलडोजर कार्रवाई नहीं है. किसी पर मनमाने तरीके से बुलडोजर नहीं चलाया जा सकता है. बुलडोजर कार्रवाई पर सुप्रीम कोर्ट ने क्या कुछ कहा. नीचे पढ़िए टिप्पणी के 10 अहम बिंदु.


बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन (Supreme Court Guidelines on Bulldozer Action)


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

1 - सुप्रीम कोर्ट ने कहा अपराध की सजा के तौर पर किसी का घर नहीं तोड़ा जा सकता है. आरोपी केवल एक है, इसकी सजा पूरे परिवार को नहीं दी जा सकती है.
2 - मकान केवल एक संपत्ति नहीं है, यह परिवार के लिए आश्रय है. हर आम आदमी के लिए उसका घर उसके सपनों का, उसकी कड़ी मेहनत का आशियाना होता है. ध्वस्तीकरण को सिर्फ आखिरी विकल्प के तौर पर ही इस्तेमाल किया जाना चाहिए.

3 - मकान सिर्फ एक संपत्ति नहीं है, बल्कि पूरे परिवार के लिए आश्रय है और इसे ध्वस्त करने से पहले राज्य को यह विचार करना चाहिए कि क्या पूरे परिवार को आश्रय से वंचित करने के लिए यह अतिवादी कदम आवश्यक था.

4. सुप्रीम कोर्ट ने कहा बिना किसी कारण बताओ नोटिस के कोई मकान नहीं गिराया जाना चाहिए. कम से कम 15 दिनों का वक़्त दिया जाना चाहिए. नोटिस रजिस्टर्ड पोस्ट से भेजा जाना चाहिए और मकान के बाहर इसको चस्पा किया जाना चाहिए.

5. दोषी के खिलाफ मनमनानी कार्रवाई नहीं की जा सकती है. कार्यपालिका न्यायपालिका की जगह नहीं ले सकती और कानून संविधान विरुद्ध कार्रवाई नहीं कर सकती.

6- सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ ने कहा कि अगर ध्वस्तीकरण का आदेश दिया भी जाता है तो संबंधित पक्ष को समय दिया जाना चाहिए को वो फैसले को चुनौती दे सके. उसे बचाव का पूरा अधिकार मिलना चाहिए.

7. ध्वस्तीकरण से पहले 15 दिन का समय दिया जाना चाहिए. मकान के बाहर नोटिस चस्पा किया जाना चाहिए. मकान मालिक को सुनवाई का मौका मिलना चाहिए.

8.नोटिस में इस बात का जिक्र होना चाहिए कि कैसे नियमों का उल्लंघन हुआ है. ऑथोरिटी को मकान मालिक को सुनवाई के मौका देना चाहिए. डिमोलिशन की प्रकिया की वीडियोग्राफी होनी चाहिए. इसकी रिपोर्ट डिजिटल पोर्टल पर डाला जाना चाहिए

9. बुलडोजर एक्शन आशियाना यानी संपत्ति के अधिकार का उल्लंघन होगा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोई और विकल्प न होने पर ही बुलडोजर कार्रवाई की जाए.लेकिन किसी अपराधी को सजा देने के लिए मनमाने तरीके से किसी पर बुलडोजर कार्रवाई नहीं की जा सकती है

10. सरकारी अफसर जो मनमानी करते हैं, उनके खिलाफ एक्शन लिया जाए. अगर नियमों को ताक पर रखकर ध्वस्तीकरण होता है तो अफसरों को अपने खर्च पर घर बनवाना होगा. अगर किसी कारणवश या भूलवश गलत कार्रवाई हुई है तो ऐसे मामलों में पीड़ित को मुआवजा दिया जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में ऐसे एक मामले में पीड़ित को 25 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश भी दिया है.


कोर्ट के दिशानिर्देश के उल्लंघन पर अवमानना कार्रवाई
अगर कोई अधिकारी इन दिशा-निर्देश की अवहेलना करता है तो उसके खिलाफ अदालत की अवमानना का मामला चलेगा. कोर्ट ने कहा, अधिकारियों को पता होना चाहिए कि अगर वो इनका उल्लघन कर डिमोलिशन करते हैं तो फिर से मकान बहाली की जिम्मेदारी उनकी होगी. ऐसी सूरत में खर्च अधिकारियों को अपनी जेब से भरना होगा.


तीन महीने में बने डिजिटल पोर्टल - सुप्रीम कोर्ट
कोर्ट ने हर म्युनिसिल लोकल ऑथोरिटी से कहा है कि वो तीन महीने के अंदर डिजिटल पोर्टल तैयार करे. उस पोर्टल ऐसे नोटिस भेजने, उसे मकान के बाहर चस्पा करने, मकान मालिक के जवाब जैसी जानकारी होनी चाहिए.


यह भी पढ़ें - बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, कहा - अपराध की सजा घर तोड़ना नहीं


Supreme Court Guidelines on Bulldozer Action 



उत्तर प्रदेश की नवीनतम अपडेट्स के लिए ज़ी न्यूज़ से जुड़े रहें! यहाँ पढ़ें UP News in Hindi और पाएं हर पल की जानकारी. उत्तर प्रदेश की हर ख़बर सबसे पहले आपके पास, क्योंकि हम रखते हैं आपको हर पल के लिए तैयार. जुड़े रहें हमारे साथ और बने रहें अपडेटेड!