Yogi Cabinet Decision: योगी आदित्यनाथ कैबिनेट की मंगलवार को हुई बैठक में कई बड़े फैसलों पर मुहर लगी है. यूपी के छोटे शहर और कस्बों में भी हाउस टैक्स की वसूली को अनिवार्य कर दिया गया है. नगर पालिका और नगर पंचायतों के लिए योगी सरकार नया नियम लाई है. कैबिनेट ने नगर निगम की तरह ही नगर पालिका परिषद और नगर पंचायत में रहने वालों को हाउस टैक्स जमा करने के लिए स्वकर निर्धारण सिस्टम को लागू करने की मंजूरी दे दी है. 


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नगर निगम में लागू थी नियमावली
अभी तक केवल नगर निगम में रहने वालों के लिए यह प्रणाली लागू थी, जिसे अब नगर पालिक और नगर पंचायत में भी लागू किया जाएगा. इसके बाद यहां रहने वाले लोग अपने घर का खुद हाउसटैक्स निर्धारित कर सकेंगे. अभी तक यहां कोई नियमावली लागू नहीं थी. जिसके चलते हाउस टैक्स की वसूली अनिवार्य रूप से नहीं हो पा रही थी. बोर्ड की मंजूरी लेकर निकाय प्रमुख इसमें छूट देते रहे हैं. 


इनको राहत
अमृत-2 के लिए केंद्र सरकार की ओर से भी सभी नगर निकायों में हाउस टैक्स की वसूली को अनिवार्य किया गया है. अभी तक नगर पंचायत और नगर पालिका में नियमावली के न होने से केंद्रीय वित्त आयोग को हाउस टैक्स की राशि नहीं मिल पा रही थी. लेकिन अब यहां भी इसे लागू किया जाएगा. हालांकि शहरी सीमा में जिन गांवों को शामिल किया गया है, उनसे 5 साल तक या विकास होने तक हाउस टैक्स नहीं वसूला जाएगा.


निकायों की हिस्सेदारी हुई कम
हालांकि यूपी सरकार ने विकास कार्यों के खर्च में निकायों की हिस्सेदारी भी कम कर दी है, ताकि उन पर ज्यादा बोझ न पड़े. इसमें दस लाख की आबादी पर निकायों को अब 20 से 10 फीसदी होगा. दस लाख से ज्यादा आबादी पर 30 की जगह 15 फीसदी होगा. अमृत योजना के तहत विकास कार्यों में 1 लाख तक की आबादी वाले निकायों में उनकी लागत के अंश को 20 से घटाकर 10 फीसदी कर दिया गया है. एक से दस लाख की जनसंख्या पर इसे 20 से 10 फीसदी किया गया है. जबकि 10 लाख से अधिक आबादी यह 30 से घटाकर 15 फीसदी किया गया है.


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