Bangaldesh Hindu Attacked: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हो रहे हमलों और मंदिरों को जलाए जाने की घटना पर गहरा आक्रोश जताया है. सीएम योगी ने कहा कि भारत का पड़ोसी देश जल रहा है और हिंदुओं पर चुन चुन कर हमला हो रहा है. हमें इतिहास से सबक लेना बेहद जरूरी है. संकट से बचने के लिए सनातन धर्म की एकजुटता जरूरी है.


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हिन्दुत्व ब्रांड के फायरब्रांड नेता सीएम योगी का यह बयान तूल पकड़ने लगा है. देश में हिन्दू और हिन्दुत्व से जुड़े मुद्दों पर बेबाकी से राय रखने वाले सीएम योगी ने बिना किसी हिचक के इस मुद्दे पर अपनी चिंता जाहिर की है. राजस्थान, हरियाणा और अन्य जगहों पर हिंदुओं से जुड़े मुद्दों पर वो अपनी प्रतिक्रिया देते रहे हैं. गोहत्या, अल्पसंख्यकों के अधिकारों और उनके धार्मिक रीति रिवाजों और त्योहारों को लेकर उनका सख्त रुख रहा है. कांवड़ यात्रा और मुहर्रम पर यूपी सरकार की गाइडलाइन इसका स्पष्ट उदाहरण है. 


उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बांग्लादेश के संकट को लेकर बयान दिया है. बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिन्दुओं पर हमले का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि हमारे पड़ोसी मुल्क जल रहे हैं. अत्याचार हो रहा है. पड़ोसी देशों में मंदिर तोड़े जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि सनातन धर्म को आने वाले संकट से बचाने के लिए एकजुट होने की जरूरत है. इतिहास की गलतियों से सबक लेने की जरूरत है, क्योंकि जो इतिहास से सबक नहीं लेता, उसके उज्ज्वल भविष्य पर भी ग्रहण लग जाता है. 


सीएम योगी ने यह भी कहा, राम मंदिर का निर्माण मंजिल नहीं,पड़ाव है. इसे आगे भी निरंतरता देनी है. उन्होंने बुधवार को दिगंबर अखाड़ा में श्रीराम जन्मभूमि न्यास के पूर्व अध्यक्ष ब्रह्मलीन परमहंस रामचंद्र दास की 21वीं पुण्यतिथि पर उनकी मूर्ति का अनावरण किया. 


ब्रह्मलीन परमहंस रामचंद्र दास ने रामजन्मभूमि आंदोलन को जीवन का मिशन बनाया
सीएम योगी ने कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के परम भक्त परमहंस रामचंद्र दास का पूरा जीवन रामजन्मभूमि के लिए समर्पित रहा. इस आंदोलन को जीवन का मिशन बनाया. संतों का संकल्प एक साथ एक स्वर में बढ़ा तो अयोध्या में मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त हुआ. सौभाग्य है कि 21 वर्ष बाद ही सही,उनकी प्रतिमा के स्थापना का सौभाग्य उन्हें प्राप्त हुआ. 


गोरक्षपीठ और दिगंबर अखाड़ा एक दूसरे के पूरक 
सीएम योगी ने कहा कि गोरक्षपीठ गोरखपुर और दिगंबर अखाड़ा अयोध्या 1940 के दशक से एक दूसरे के पूरक बनकर कार्य करते थे. जब रामचंद्र दास महराज बचपन में अयोध्या धाम आए थे, तब से उनका लगाव गोरक्षपीठ से था. तत्कालीन गोरक्षपीठाधीश्वर महंत दिग्विजयनाथ के सानिध्य में रहकर रामजन्मभूमि आंदोलन आगे बढ़ा. 1949 में रामलला के प्रकट होने के साथ ही तत्कालीन सरकार द्वारा प्रतिमा को हटाने की चेष्टा के खिलाफ न्यायालय में वो गए. सड़क तक संघर्ष को बढ़ाने का कार्य गोरक्षपीठ और परमहंस रामचंद्र दास जी महराज ने मिलकर किया.पूज्य संतों की साधना सफल हुई और 500 वर्षों का इंतजार समाप्त हुआ. 


संतों ने बातचीत से समस्या का हल निकालने का किया था प्रयास 
सीएम योगी ने कहा कि जिस रामजन्मभूमि के बारे में लोग कहते थे कि अगर फैसला राम मंदिर के पक्ष में हुआ तो सड़कों पर खून की नदियां बहेंगी. संतों ने बातचीत से समस्या का हल निकालने का भरपूर प्रयास किया, लेकिन जब सरकार की हठधर्मिता आड़े आने लगी तो पूज्य संतों ने लोकतांत्रिक तरीके से संघर्ष का रास्ता चुना. देश के अंदर मजबूती से राम जन्मभूमि आंदोलन आगे बढ़ा. मामला अदालत में गया तो भाजपा की डबल इंजन सरकार बनने के बाद समाधान का मार्ग निकला.


स्मरणीय बन गई पांच अगस्त और 22 जनवरी की तिथि 
सीएम योगी ने कहा कि 5 अगस्त 2020 को अयोध्या में पीएम मोदी ने अयोध्या में उच्चतम न्यायालय के आदेश के क्रम में भव्य मंदिर निर्माण कार्य का शिलान्यास व भूमि पूजन किया। 22 जनवरी 2024 को रामलला फिर से अयोध्या धाम में विराजमान हुए। यह तिथियां न केवल सनातन धर्मावलंबियों के लिए स्मरणीय बन गई। सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा जब 22 जनवरी 2024 को रामलला विराजमान हुए तो पूज्य संतों की आत्मा को शांति प्राप्त हुई। उन्हें भी वर्तमान पीढ़ी पर विश्वास हुआ होगा कि यह सही दिशा में कार्य कर रही है। उनका आशीर्वाद पीएम मोदी को प्राप्त हुआ। 


पूज्य गुरु के तुल्य थे परमहंस रामचंद्र दास जी महराज
सीएम ने कहा कि परमहंस रामचंद्र दास जी महराज मेरे पूज्य गुरु के तुल्य थे। गोरखपुर से अयोध्या, लखनऊ और प्रयागराज जाते समय गुरु जी मुझसे पूछते थे कि अयोध्या के दिगंबर अखाड़ा गए थे, परमहंस जी का हालचाल लिया। मैं यदि भूल गया तो वे मुझे डांटते भी थे। कहते थे वह मेरे लिए गुरु भाई हैं। जब भी इस रास्ते जाता था तो मुझे पता था कि मेरे गुरुदेव पूछेंगे कि परमहंस जी की तबियत कैसी है, मेरे पास जवाब नहीं होता था, इसलिए पहले मैं उनके पास पहुंचकर हालचाल लेता था. वह अपने दरवाजे पर बैठकर मस्ती के साथ लोगों से बातचीत करते थे. लोग समझ नहीं पाते थे यह संत दिव्य, भव्य, चमत्कारिक और नेतृत्व करने वाले हैं. उनका वात्सल्य भी हमें देखने को मिलता था. वह कहते थे कि अयोध्या में रामलला का मंदिर बने, यही मेरे जीवन का अंतिम संकल्प है.


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