UP Hospitals: अस्पतालों में लापरवाही पर डिप्टी सीएम का अल्टीमेटम, हाईलेवल मीटिंग में अफसरों को चेताया
Jhansi Medical College Latest News: यूपी सरकार ने झांसी मेडिकल कॉलेज में नवजात बच्चों के वार्ड में हुए अग्निकांड के बाद सख्त रुख अपनाया है. डिप्टी सीएम बृजेश पाठक ने सोमवार को बड़ी बैठक बुलाई. उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक की इस बैठक में स्वास्थ्य एवं चिकित्सा विभाग के आला अधिकारी मौजूद थे.
UP Deputy CM Brijesh Pathak: झांसी मेडिकल कॉलेज में नवजात बच्चों के वार्ड में हुए अग्निकांड के बाद यूपी सरकार ने सख्त रुख अपनाया है. डिप्टी सीएम बृजेश पाठक ने सोमवार को बड़ी बैठक बुलाई. उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक की इस बैठक में स्वास्थ्य एवं चिकित्सा विभाग के आला अधिकारी मौजूद थे. उन्होंने दो टूक कहा कि अगर अस्पतालों के संचालन में किसी तरह की लापरवाही पाई गई तो किसी को बख्शा नहीं जाएगा.
पाठक ने कहा, सभी अस्पतालों में मानक के अनुरूप अग्निशमन यंत्र और जरूरी उपकरण लगाए जाएं. डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने दो टूक कहा कि किसी अस्पताल में आग लगने की कोई दुर्घटना न हो. एक सरकारी आदेश के तहत सभी अस्पतालों के दोबारा ऑडिट का आदेश दिया जाएगा. 24 घंटे एक स्टॉफ वार्ड में उपस्थित रहेगा, जो फायर के उपकरणों को चलाने में ट्रेंड होगा.
टेंपरेरी वायरिंग नहीं चलेगी
टेंपरेरी वायरिंग और एक्सटेंशन बोर्ड वार्ड में नहीं रखे जाएंगे.जितने वॉट बिजली की आवश्यकता होगी, उसी के अनुरूप वायरिंग होगी. 20 नवंबर को प्राइवेट अस्पतालों के संचालकों से बात करने की तैयारी है.यूपी के सभी अस्पतालों में व्यवस्था ठीक रहे, इसके लिए हर सख्त कदम उठाया जाएगा.
मॉक ड्रिल से परखें ताकत
पाठक ने निर्देश दिया कि सभी अस्पतालों में आग बुझाने के उपकरणों का पर्याप्त इंतजाम हो. समय समय पर मॉकड्रिल कर उपकरणों की जांच परख की जाए. चिकित्साधिकारी विशेषज्ञ टीम के साथ अस्पताल परिसर का राउंड लें.
अस्पताल परिसरों में फायर सेफ्टी ऑडिट कराएं. इलेक्ट्रिक वायरिंग की बारीकी से जांच हो. हाइड्रेंट के पाइप चेक किए जाएं. आग लगने की हालत में जब इलेक्टिकल सप्लाई बंद होने से अंधेरा होता है. इमरजेंसी बैटरी वाली लाइटें लगाई जाएं
एक्सपर्ट कर्मचारी तैनात रहें
डिप्टी सीएम ने कहा कि आईटी,आईसीयू-एनआईसीयू में आग बुझाने में ट्रेंड कर्मचारियों की 8-8 घंटे की शिफ्ट में रखा जाए. ऐसे वार्डों में प्रवेश एवं निकास की सही व्यवस्था रहे. धुआं निकालने के लिए एक्जॉस्ट फैन हो. अस्पताल परिसर में स्क्रैप कबाड़ न हो.
सीएचसी-पीएचसी पर भी फोकस
जिला अस्पतालों, सीएचसी-पीएचसी पर भी आग बुझाने के पर्याप्त साधन हों. सभी अस्पतालों को चेक लिस्ट तैयार करें. फायर अलार्म चेक करें. वार्डों के बाहर आग लगने के हालात को लेकर मॉक ड्रिल कर जायजा लें. सरकारी मान्यता प्राप्त उपकरण ही वार्डों में लगाए जाएं.
प्राइवेट अस्पतालों की जांच
पाठक ने कहा कि प्राइवेट अस्पतालों में भी फायर सेफ्टी ऑडिट एवं मॉक ड्रिल कराई जाए. सुरक्षा उपकरणों को परखा जाए. गुणवत्ता और निशुल्क स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जाए.
मालूम हो कि झांसी मेडिकल कॉलेज के एनआईसीयू वार्ड यानी गंभीर रूप से बीमार बच्चों के गहन चिकित्सा कक्ष में आग लगने के बाद शनिवार रात को 11 बच्चों की जिंदा जलकर मौत हो गई थी. इस मामले में योगी सरकार ने तीन स्तरीय जांच का आदेश दिया है. साथ ही सभी जिलों के अस्पतालों में फायर सेफ्टी ऑडिट की जांच की कार्यवाही भी शुरू कर दी है. लखनऊ के ही 900 से अधिक अस्पतालों में दो तिहाई में अग्नि सुरक्षा के इंतजाम मानक के अनुरूप नहीं पाए गए हैं. 80 अस्पतालों को नोटिस जारी किया गया है. अन्य जिलों के सरकारी अस्पतालों, मेडिकल कॉलेज में इसी तरह का अभियान छेड़ा गया है.
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