उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार भले ही अफसरों और कर्मचारियों को पारदर्शिता और ईमानदारी का पाठ पढ़ा रही हो, लेकिन उनमें जवाबदेही और जिम्मेदारी का अहसास कम ही दिखाई दे रहा है. ऐसे में सरकार ने सख्त रुख अपना लिया है.यूपी सरकार ने चल अचल संपत्तियों का ब्योरा न देने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों का अगस्त का वेतन रोकने का फैसला कर लिया है.


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उत्तर प्रदेश में में राज्य कर्मचारियों की संख्या 17 लाख से ज्यादा है. इनमें से करीब 26 फीसदी ने ही ऑनलाइन ब्योरा दिया है. प्रदेश सरकार ने IAS और PCS अधिकारियों के बाद सभी वर्ग के अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए चल अचल संपत्ति का ब्योरा ऑनलाइन देना अनिवार्य किया है. मुख्य सचिव ने शासनादेश में कहा कि 31 अगस्त तक संपत्तियों का ब्योरा देने वाले को ही वेतन दिया जाएगा.


गौरतलब है कि हर साल इसी तरह सरकारी अफसरों और कर्मचारियों की संपत्ति का ब्योरा तलब किया जाता है. इसमें चल-अचल संपत्ति की पूरी जानकारी कर्मचारी को देनी होती है. कई बार रिमांडर के बावजूद सरकारी कर्मी इसे गंभीरता से नहीं लेते. लेकिन योगी आदित्यनाथ सरकार ने इस बार सख्ती का मूड बना लिया है. माना जा रहा है कि अगर वेतन रोकने की चेतावनी के बावजूद ये अफसर और कर्मचारी नहीं माने और अनुशासनात्मक कार्रवाई का कदम भी उठाया जा सकता है.