UP School Time / लखनऊ: बेसिक शिक्षा परिषद से जुड़े उत्तर प्रदेश के स्कूल सुबह के 8 से शुरू होकर दोपहर के 2 बजे तक चलेंगे. अपने स्तर से बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा समय में बदलाव नहीं किया जा सकेगा. मंगलवार को ही बेसिक शिक्षा निदेशक प्रताप सिंह बघेल द्वारा सभी बीएसए को इस संबंध में निर्देश जारी कर दिए गए. बेसिक शिक्षा निदेशक की ओर से कहा गया कि अपरिहार्य स्थिति में निदेशक के संज्ञान में मामला लाने के बाद ही किसी तरह का निर्णय ले पाएंगे. पिछले कुछ दिनों में कुछ जिलों में बेसिक शिक्षा अधिकारियों ने बढ़ रही गर्मी को आधार बताकर अपने जिले के स्कूलों में समय बदल दिया था, इसी के बाद कई जिलों में भी स्कूलों के टाइमिंग में बदलाव करने की जाने लगी थी. जिस पर निदेशक द्वारा ये निर्देश जारी किए गए हैं. 


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तापमान में वृद्धि 
प्रदेश में लगातार तापमान में वृद्धि होती जा रही है. मंगलवार की बात करें तो कुछ इस तरह तापमान रहा. 
लखनऊ का अधिकतम तापमान 38.8 डिग्री सेल्सियस, वहीं न्यूनतम तापमान 24.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज हुआ.
हरदोई में अधिकतम तापमान 38 डिग्री सेल्सियस, वहीं न्यूनतम तापमान 22 डिग्री सेल्सियस दर्ज हुआ.
कानपुर में अधिकतम तापमान 40.5 डिग्री सेल्सियस, वहीं न्यूनतम तापमान 24.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज हुआ.
लखीमपुर खीरी में अधिकतम तापमान 37 डिग्री सेल्सियस, वहीं न्यूनतम तापमान 27.2 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया.


जागरूकता कार्यकम का आयोजन करें
डीएम ने लखनऊ में सभी विभागों के अधिकारियों को निर्देशित किया है कि गर्मी और हीट वेव (लू) से सुरक्षा रहने और बचाव को लेकर इंतजाम तय कराए जाएं. अधिकारियों को डीएम सूर्यपाल गंगवार ने प्राथमिक स्कूलों, इंटर के साथ ही डिग्री कॉलेजों के समय को बदलने के भी निर्देश दिए हैं. बाहर खेलकूद व छात्रों की अन्य गतिविधियां न कराएं. हीटवेव से बचाव, सुरक्षा को लेकर जागरूकता कार्यकम का आयोजन किया जाए. जिसमें जिला आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण के सहयोग लें. 


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डीएम ने कई तरह के सहयोग लेने की भी बात कही है. जैसे- 
पार्कों, पर्यटन स्थलों बस स्टैण्डों, रेलवे स्टेशनों, कई और सार्वजनिक स्थलों पर स्वयं सहायता समूहों की मदद से छाया, पेयजल व मुफ्त प्याऊ जुटाए जाएं. 
स्वास्थ्य विभाग, अग्निशमन विभाग के अलावा नागरिक सुरक्षा और रेड क्रॉस सोसायटी की मदद ली जाए. 
ग्रामीणों से अपील की गई है कि गेहूं की कटाई बाद जो अवशेष हो उनको न जलायाएं और न तो खुला छोड़ें. इन्हें जमीन में गड्ढा कर दबाएं. 
पेड़ों की सूखी पत्तियां, टहनियां या सूखे कचरे न जलाएं, बल्कि मिट्टी में दबाएं. 
गो आश्रय में सभी गोवंश को छाया उपलब्ध करवाएं.