Sitapur 84 kos Yatra / सीतापुर: धार्मिक व पौराणिक तीर्थ नैमिषारण्य से विश्व का जानामाना 84 कोसी परिक्रमा का प्रारंभ हो गया. आज यानी सोमवार को ब्रह्म मुहूर्त में घंटा-घड़ियाल व शंख की ध्वनि के साथ आदि शक्ति मां ललिता मंदिर के पास के चौराहे पर चौरासी कोसी समिति के अध्यक्ष डंका बजाया गया और इसी के साथ रामादल अपने पहले पड़ाव कोरौना के लिए निकल गए. इस दौरान साधु-संत, महंत और श्रद्धालुओं पर फूलों की बारिश की गई. प्रशासानिक, पुलिस और पालिका अधिकारी पुष्पवर्षा के साथ साथ फूल-माला पहनाया गया. 


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परिक्रमा में शामिल साधु संतों का स्वागत
मोक्ष प्रदान करने वाली परिक्रमा पथ पर भक्ति का जन सैलाब उमड़ गया. देश विदेश से परिक्रमा में शामिल हुए लोगों ने साधु संतों पर पुष्प वर्षा भी की. 84 कोशी परिक्रमा में हाथी घोड़ा पालकी रथ और पैदल परिक्रमा करते लोग राम नाम की धुन पर नाचते और झूमते दिखाई दिए. परिक्रमा में लगे लोग पहले पड़ाव कोरौना के लिए प्रस्थान कर गए. 


साधु संत और लोगों पर पुष्प वर्षा
त्रेता युग से होती आ रही नैमिषारण्य की 84 कोशी परिक्रमा में देश-विदेश से भी श्रद्धालु शामिल होते हैं. 84 कोशी परिक्रमा जैसे ही औरंगाबाद गांव से गुजरी तो औरंगाबाद में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने परिक्रमा का भव्य स्वागत किया. साधु संतों को माला पहनाकर साधु संतों का स्वागत किया. इतना ही नहीं मुस्लिम समुदाय के लोगों ने परिक्रमा मैं शामिल साधु संत और लोगों पर पुष्प वर्षा भी की. औरंगाबाद कस्बे में हिंदू मुस्लिम एकता की मिसाल भी देखने को मिली. परिक्रमा का पहला पड़ाव कोरौना होगा और फिर मंगलवार की भोर में सभी दूसरे पड़ाव हरैया के लिए निकल जाएंगे. सीतापुर और हरदोई में कुल 11 पड़ाव होंगे. अंतिम पड़ाव मिश्रिख होगा जहां पर पंच कोसी परिक्रमा की जाएगी. 


कब और कहां होगा पड़ाव
11 मार्च सोमवार प्रथम पड़ाव कोरौना
12 मार्च मंगलवार हरैया
13 मार्च बुधवार नगवा कोथावां
14 मार्च गुरुवार गिरधरपुर उमरारी
15 मार्च शुक्रवार साकिन गोपालपुर
16 मार्च शनिवार देवगवां
17 मार्च रविवार मडेरुवा
18 मार्च सोमवार जरिगवां
19 मार्च मंगलवार नैमिषारण्य
20 मार्च बुधवार कोल्हुवा बरेठी
21 मार्च गुरुवार से मिश्रिख पहुंचकर परिक्रमा समाप्ती. हालांकि यहां पर पंचकोसी परिक्रमा को प्रारंभकर 25 मार्च को इसका समापन होगा. दधीचि कुंड तीर्थ में बुडकी स्नान कर सभी परिक्रमार्थी अपने घर चले जाएंगे.