क्या है एस्मा, जिससे थर्राते हैं सरकारी कर्मचारी, यूपी में बिजली हड़ताल के खिलाफ बना हथियार
What is ESMA: यूपी में बिजली व्यवस्था निजीकरण के बाद कर्मचारियों के हड़ताल पर चले जाने की चेतावनी को देखते हुए सरकार ने एस्मा लागू कर दिया है. आखिर एस्मा में ऐसा क्या है हड़ताल पर जाते ही सरकार इसे लागू कर देती है?.
What is ESMA: यूपी में बिजली व्यवस्था के निजीकरण के फैसले के खिलाफ कर्मचारी हड़ताल पर जा रहे हैं. निजीकरण को लेकर सरकार और कर्मचारियों के बीच तनातनी का माहौल है. बिजली कर्मचारियों के हड़ताल पर रोक लगाने के लिए योगी सरकार ने प्रदेश में 6 महीने तक एस्मा लागू कर दी है. तो आइये जानते हैं क्या है ESMA, जब भी बिजली कर्मचारियों की ओर से हड़ताल का ऐलान किया जाता है तो सरकार इसे हथियार के रूप में इस्तेमाल कर देती है.
क्या है एस्मा (ESMA)
एस्मा (ESMA) यानी एसेंशियल सर्विसेज मैनेजमेंट एक्ट. इसे हिंदी में अत्यावश्यक सेवा अनुरक्षण कानून के नाम से भी जाना जाता है. यह कानून तब इस्तेमाल किया जाता है जब कर्मचारी हड़ताल पर जाते हैं. इस कानून को हड़ताल को रोकने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. खास बात यह है कि इस कानून ज्यादा से ज्यादा 6 महीने के लिए लगाया जा सकता है. हालांकि, इस कानून को लगाने से पहले सरकार द्वारा कर्मचारियों को एक नोटिफिकेशन देना आवश्यक होता है.
6 महीने की सजा भी हो सकती है
बता दें कि यह कानून किसी भी सरकार द्वारा तब लगाया जाता है जब उनके पास हड़ताल रोकने के सारे रस्ते बंद हो जाते हैं. साथ ही हड़ताल का प्रतिकूल प्रभाव आवश्यक सेवाओं पर पड़ने लगता है. यह कानून जिस सर्विस (सेवा) पर लगाया जाता है. उससे जुड़े कर्मचारी फिर हड़ताल नहीं कर सकते हैं. वहीं, अगर कोई कर्मचारी इस कानून का पालन नहीं करता है तो उसे 6 महीने की जेल की सजा का प्रावधान है.
बिना वारंट के गिरफ्तारी का प्रावधान
राज्य सरकार की तरफ से लगाए गए एस्मा एक्ट के तहत सरकारी कर्मचारियों को किसी भी तरह के विरोध प्रदर्शन और हड़ताल करने के लिए प्रतिबंधित कर दिया जाता है. अगर एस्मा एक्ट लागू होने के बाद कर्मचारी हड़ताल या प्रदर्शन करते हैं और उससे राज्य सरकार के कामकाज प्रभावित होते हैं तो ऐसे कर्मचारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जा सकती है. इसके अलावा बिना वारंट के उन्हें गिरफ्तार भी किया जा सकता है.
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