What is STF : यूपी एसटीएफ की कार्रवाई को लेकर इन दिनों प्रदेश में चर्चाओं का बाजार गर्म है. सुल्तानपुर में सर्राफा व्यापारी की दुकान में 28 अगस्त को हुई डकैती मामले में एक लाख रुपये के इनामी बदमाश अनुज प्रताप सिंह को एसटीएफ और यूपी पुलिस ने एनकाउंटर में ढेर कर दिया. इससे पहले एक अन्य आरोपी मंगेश यादव को भी एसटीएफ ने एनकाउंटर में मार गिराया था. एसटीएफ पुलिस की स्पेशल यूनिट है, जिसका गठन 90के दशक के कुख्यात अपराधी श्रीप्रकाश शुक्ला पर शिकंजा कसने के लिए किया गया था.  आइए जानते हैं यूपी एसटीएफ क्या है, इसकी कमान किसके हाथ में होती है और ये कैसे काम करता है.


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कब हुआ यूपी एसटीएफ का गठन?
जानकार कहते हैं कुख्यात माफिया श्रीप्रकाश शुक्ला के अपराधिक किस्सों से अखबार के पन्ने रंगे रहते थे. यूपी पुलिस के लिए वह सिरदर्द बन चुका था. श्रीप्रकाश शुक्ला ने तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की सुपारी ले ली थी. जिसके बाद एसटीएफ (स्पेशल टास्क फोर्स)  का गठन 26 साल पहले 4 मई 1998 को हुआ था. इसके बाद एसटीएफ कई कुख्यात गैंगस्टर्स को एनकाउंटर में ढेर कर चुकी है. बिकरू कांड के आरोपी विकास दुबे से लेकर माफिता अतीक के बेटे असद जैसे कई नाम शामिल हैं.


कैसे काम करती है एसटीएफ?
एसटीएफ की कमान एडिशनल डीजी रैंक के ऑफिसर के पास होती है. जिसकी सहायता आईजी रैंक का एक अधिकारी करता है. एसटीएफ कई यूनिटों में काम करती हैं, जिसका प्रभारी एसपी कार्य करता है.एसटीएफ के पास राज्य में कहीं भी एक्शन लेने का अधिकार होता है. एसटीएफ राज्य के बाहर भी कार्रवाई कर सकती है लेकिन इसके लिए उस राज्य पुलिस की मदद लेना जरूरी है. यूपी में अभी 8 यूनिट अलग-अलग जगह काम कर रही हैं. 


 


क्यों किया गया एसटीएफ का गठन?
यूपी पुलिस की ऑफिशियल वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक एसटीएफ का गठन नीचे दिए कामों के लिए किया गया है.
1. माफिया गिरोहों के बारे में खुफिया जानकारी इकट्ठा करना और ऐसे गिरोहों के खिलाफ खुफिया आधारित कार्रवाई.
2.विघटनकारी तत्वों विशेषकर आईएसआई एजेंटों के खिलाफ एक्शन प्लान बनाना और उस पर काम करना.
3.जिला पुलिस के सहयोग से सूचीबद्ध गिरोहों के खिलाफ कार्रवाई
4.डकैतों के गिरोह, विशेषकर अंतरजिला गिरोहों के विरुद्ध प्रभावी कार्रवाई.
5.संगठित अपराधियों के अंतरजिला गिरोहों के विरुद्ध प्रभावी कार्रवाई.


एसटीएफ में कौन हो सकता है शामिल?
एसटीएफ की डायरेक्ट भर्ती नहीं होती है. इनमें पुलिस विभाग से ही कर्मियों को लिया जाता है. पुलिसकर्मियों का सिलेक्शन उनके पुराने ट्रैक रिकॉर्ड, ईमानदारी और तैनाती के दौरान काम के आधार पर किया जाता है. एसटीएफ की सैलरी अलग से तय नहीं होती है. यानी इसमें शामिल पुलिसकर्मियों को उनकी रैंक के आधार पर जो सुविधाएं मिलती हैं, वही एसटीएफ में मिलती हैं.


 


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