Lucknow News/ तुषार श्रीवास्तव: अवैध खनन पर लगाम लगाने के लिए योगी सरकार अब उच्च तकनीक का सहारा लेने वाली है. जानकारी के मुताबिक जिन इलाकों में अवैध खनन होता है वहां अब सैटेलाइट के जरिये निगरानी होगी. इतना ही नहीं अवैध खनन करने में लगे वाहनों को VTS प्रणाली से ट्रैक किया जा सके. खनन क्षेत्रों को ड्रोन के जरिये सर्वे  होगा. इसके अलावा ईंट भट्ठों की भी रिमोट सेंसिंग के जरिये चिन्हित किया जाएगा. साथ ही प्रवर्तन कार्यों के लिए यूनिफॉर्म का भी प्रस्ताव है. यानी अब यूपी में अवैध रूप से मिट्टी, मौरंग और बालू की लूट के दिन लदने वाले हैं. आइये विस्तार से बताते हैं ये तकनीक क्या है और सरकार इसका इस्तेमाल कैसे करने वाली है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

विभाग के अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार अवैध खनन/ परिवहन की रोकथाम के लिए उच्च तकनीक के इस्तेमाल के कई प्रस्ताव हैं. इनमें व्हीकल ट्रैकिंग सिस्टम (VTS) औैर रिमोट सेंसिंग (Remote Sensing) का इस्तेमाल सबसे महत्वपूर्ण है. 


रिमोट सेंसिंग तकनीक कैसे काम करती है.
रिमोट सेंसिंग एक ऐसी तकनीक है जिसके द्वारा किसी वस्तु या व्यक्ति से भौतिक संपर्क स्थापित किए बगैर उसके बारे में जानकारी हासिल की जा सकती है. यह तकनीक विभिन्न प्रकार की ऊर्जा तरंगों और माइक्रोवेव का अपयोग करके डेटा एकत्रित करती है. 


वीटीएस प्रणाली कैसे करेगी काम
व्हीकल ट्रैकिंग सिस्टम यानी VTS से उपखनिज को लाने जे जाने वाहनों की रियल ट्राइम ट्रैकिंग मुमकिन हो सकेगी. यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि वाहन पर ई- अभिवहन प्रपत्र तभी जारी हो जब वह खनन क्षेत्र के लिए जियो फेंस एरिया में प्रत्यक्ष रूप से उपस्थित हो. बता दें कि वीटीएस प्रणाली को लागू करने के लिए यूपीडेस्कों से प्रस्ताव पारित हो गया है. 


ये भी पढ़ें: शिक्षकों के बाद यूपी के अफसरों की बारी, पोर्टल पर संपत्ति का रिकॉर्ड देने के आदेश से प्रशासनिक महकमे में हड़कंप


ये भी पढ़ें: Har ghar nal Scheme: नल जल कनेक्शन में यूपी ने बनाया रिकॉर्ड, सबसे कम खर्च में घरों तक पहुंचा दिया पानी